सशस्त्र पुलिस बलों में 'अग्निवीरों' की भर्ती क्यों होगी बड़ी चुनौती, पढ़ें

पुलिस सेवा से जुड़ी वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इतने बड़े स्तर पर अग्रिवीरों की भर्ती एक चुनौती की तरह होगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी से बताया कि अभी तक उनके पास अग्निवीरों की भर्ती को लेकर कोई साफ दिशा-निर्देश नहीं हैं.

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Agnipath Scheme के तहत भर्ती होगी एक चुनौती. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

देशभर में अग्निपथ योजना के विरोध के बीच अग्निवीरों की भर्ती को लेकर भी एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है. दरअसल, पुलिस सेवा से जुड़ी वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि इतने बड़े स्तर पर अग्रिवीरों की भर्ती एक चुनौती की तरह होगी. एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी से बताया कि अभी तक उनके पास अग्निवीरों की भर्ती को लेकर कोई साफ दिशा-निर्देश नहीं हैं. हमे तो ये भी नहीं पता है कि इन अग्निवीरों को हमे एक्स सर्विसमैन कैटेगरी के तहत भर्ती करना है या किसी और कैटेगरी में. बता दें कि गृहमंत्री अमित शाह द्वारा अग्निवीरों को केंद्रीय सशस्त्र पुलिस (सीएपीएफ) बल में वरीयता दिए जाने की घोषणा के दो दिन बाद भी अभी तक पैरामिलिट्री के अलग-अलग विंग्स के पास किसी तरह कोई दिशा-निर्देश नहीं पहुंचा है. 

फिलहाल पैरामिलिट्री की पांचों विंगों - बीएसएफ, सीआरपीएफ,आईटीबीपी, एसएसबी, और सीआईएसएफ में कुल 73000 पद खाली हैं. गृहमंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार असम राइफ्लस में भी कुल 73,219 पद खाली हैं. इनके अलावा केंद्रशासित प्रदेशों की पुलिस में भी 18,124 पद खाली हैं. उधर. अगर सीएपीएफ के नियम की बात करें तो अभी तक सिर्फ 10 फीसदी पूर्व सैनिकों को ही दोबारा से भर्ती करने का प्रावधान है. अधिकारी ने कहा कि अगर अग्निवीर इस कैटेगरी के तहत भर्ती किए जाते हैं तो उन्हें एक बार फिर से ट्रेनिंग करनी होगी.

वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अग्निवीरों को ट्रेनिंग तो दी जाएगी लेकिन सीएपीएफ की जरूरत अलग होती है. उन्होंने कहा कि बीएसएफ, आईटीबीपी, एसएसबी, और सीआईएसएफ का काम बॉर्डर पर पेट्रोलिंग करना, ड्रग्स पकड़ना, चुनाव और दंगों के दौरान कानून व्यवस्था को बनाए रखना, वीवीआईपी की सिक्यूरिटी, मेट्रो और एयरपोर्ट में यात्रियों पर नजर रखने का होता है. जबकि सशस्त्र बल का एक भी काम ऐसा नहीं होता जो इस प्रोफाइल से मेल खा सके. 

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इतना ही नहीं इन अग्निवीरों को प्रोत्साहित रख पाना भी एक बड़ी चुनौती साबित होगी. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें सिर्फ रोजगार के लिए जबरदस्ती छोटे पैरामिलिट्री फोर्स में शामिल होना होगा. अधिकारी ने कहा कि सीएपीएफ को जवानों के मानसिक स्थिति से भी दो-चार होना पड़ेगा. सीएपीएफ में अग्निवीरों के शामिल करने का फैसला उन्हें भी पूरी तरह से आश्चर्य में डाल गया है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि सरकार इस तरह के बदलाव से पहले इसे एक पायलट प्रोजेक्ट की तरह लागू करती है. पायलट प्रोजेक्ट की सफलता के आधार पर ही आगे कोई फैसला लिया जाता है. इस बार भी सरकार को पहले एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसे लागू करना चाहिए था.  

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इन सब के बीच, गृहमंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि अग्निपथ स्कीम के आने से सीएपीएफ में भर्ती होने वाले युवाओं की उम्र सीमा को भी कम किया जा सकता है. फिलहाल सीएपीएफ में भर्ती की उम्र सीमा 28 से 35 साल के बीच है. हालांकि सीपीएफए अधिकारी इस बात से सहमत नहीं दिख रहे हैं. 

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