क्यों खास है भारत को रूस से मिला एयर डिफेंस सिस्टम S-400? दुश्मन के हर वार को हवा में कर देगा नष्ट

भारत ने इस एयर डिफेंस सिस्टम को रूस से खरीदा है. फिलहाल भारत को तीन स्क्वाड्रन मिल चुके हैं और बाकी के दो स्क्वाड्रन एक साल के भीतर मिल जाएंगे.

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डीआरडीओ भी देसी एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है.

भारतीय वायुसेना ने S 400 एयर डिफेंस डिफेंस सिस्टम को चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात कर दिया गया है. जो कि अब पूरी तरह से ऑपरेशनल भी हो गया है. भारत ने यह सिस्टम रूस से खरीदा है. फिलहाल भारत को तीन स्क्वाड्रन मिल चुके हैं और बाकी के दो स्क्वाड्रन एक साल के भीतर मिल जाएंगे. एक स्क्वाड्रन में आठ लॉन्चर होते हैं जो आठ ट्रक में आते हैं यह एक साथ 32 मिसाइल फायर करता है और साथ में 100 टारगेट  को भी एक साथ पहचान कर लेता है.

600 किमी. से दूर टारगेट को डिटेक्ट करने की क्षमता

जानकारी के मुताबिक 600 किलोमीटर दूर टारगेट को डिटेक्ट करता है और 400 किलोमीटर आते ही डिस्ट्रॉय कर देता है. यानि चीन और पाकिस्तान की और से कोई भी हवाई हमला होता है तो उसको यह नाकामयाब कर देगा. इसके जरिए लड़ाकू विमान, मिसाइल और ड्रोन जैसे कोई भी हमलावर हथियार को तबाह किया जा सकता है. इसे दुनिया मे सबसे बेहतर एयर डिफेंस सिस्टम में से एक माना जाता है.

डीआरडीओ भी बना रहा है देसी एयर डिफेंस सिस्टम

डीआरडीओ भी वायुसेना और नौसेना के लिये देसी एयर डिफेंस सिस्टम बना रहा है. भारत ने 2018-19 में एस-400 मिसाइलों के पांच स्क्वाड्रन के लिए रूसी पक्ष के साथ ₹ 35,000 करोड़ से अधिक के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें से तीन पहले ही देश में आ चुके हैं, लेकिन शेष दो की डिलीवरी रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण अटकी थी. सूत्रों ने कहा कि रूसी और भारतीय अधिकारी शेष दो मिसाइल स्क्वाड्रनों की अंतिम डिलीवरी कार्यक्रम पर चर्चा करने के लिए जल्द ही फिर से बैठक करेंगे. रूसी पक्ष अंतिम डिलीवरी समयसीमा के बारे में बहुत स्पष्ट नहीं है क्योंकि वे यूक्रेन के साथ संघर्ष में भी व्यस्त हैं.

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