सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की ही एक अन्य पीठ के 13 मई, 2022 के फैसले को अमान्य करार दिया, जिसने गुजरात सरकार को बिलकीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की सजा माफी के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के मई 2022 के फैसले में कहा गया था कि सजा माफी का फैसला करने का अधिकार गुजरात के पास है. सुप्रीम कोर्ट द्वारा गुजरात सरकार के छूट आदेश को रद्द करने का एक मुख्य आधार सुप्रीम कोर्ट का मई 2022 का फैसला था जिसमें माना गया था कि जिस राज्य (गुजरात) में अपराध हुआ था, वहां की सरकार के पास छूट का फैसला करने का अधिकार क्षेत्र था.
"धोखाधड़ी" की और "तथ्यों को छुपाया"
सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की है कि याचिकाकर्ता राधेश्याम भगवानदास शाह ने मई 2022 का फैसला प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ के समक्ष "धोखाधड़ी" की और "तथ्यों को छुपाया". SC पीठ ने कहा है कि शाह ने सुप्रीम कोर्ट से संपर्क कर स्पष्टता मांगी थी कि किस राज्य को छूट पर निर्णय लेने का अधिकार है? महाराष्ट्र जहां ट्रायल हुआ या गुजरात जहां घटनाएं/अपराध हुआ उसने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि गुजरात और महाराष्ट्र के दो उच्च न्यायालयों ने "पूरी तरह से अलग-अलग विचार" दिए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ''दो उच्च न्यायालयों द्वारा नाटकीय रूप से अलग-अलग विचार अपनाने का सवाल ही नहीं उठता क्योंकि उपयुक्त सरकार का मुद्दा बॉम्बे उच्च न्यायालय के समक्ष बिल्कुल भी प्रश्न में नहीं था. 'बॉम्बे हाई कोर्ट ने केवल महाराष्ट्र जेल में बंद दोषियों को उनके मूल राज्य यानी गुजरात राज्य में स्थानांतरित करने का मामला निपटाया और कोई अन्य मुद्दा नहीं उठाया. साथ ही, गुजरात हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सजा माफी के मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार से संपर्क करने के लिए कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि दोषी ने माफी के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट बेंच से सीबीआई, सीबीआई ट्रायल कोर्ट, दाहोद पुलिस अधीक्षक और जिला जज की प्रतिकूल राय भी छिपाई.
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