उत्तर प्रदेश के नगीना से सांसद चुने गए चंद्रशेखर आजाद ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि अखिलेश यादव दलितों का वोट तो चाहते हैं,लेकिन उनका नेतृत्व नहीं खड़ा होना देना चाहते हैं. चंद्रशेखर ने यह बात न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कही है.उन्होंने कहा कि उन्होंने 2022 में विधानसभा चुनाव के समय समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की कोशिश की थी, लेकिन सफलता नहीं मिली थी.
किनका वोट चाहते हैं अखिलेश यादव
चंद्रशेखर आजाद ने कहा,''मैंने 2022 में समाजवादी पार्टी से गठबंधन की कोशिश की,लेकिन अखिलेश जी ने आरोप लगा दिया कि इनके पास किसी का फोन आ गया इसलिए चले गए हैं.लेकिन इस बार मेरे पास किसी का फोन नहीं आया.इस बार वो हिम्मत नहीं जुटा पाए कि वो हमें अवसर दें और हमारा साथ लेकर आगे बढ़ें.वो इन वर्गों (दलितों) का वोट तो चाहते थे,इसलिए उन्होंने संविधान और बाबा साहब समेत तमाम महापुरुषों की बात की,वो इन वर्गों का वोट तो चाहते हैं,लेकिन लीडरशिप नहीं खड़ा होने देना चाहते हैं.
आजाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद से सवाल किया गया था कि समाजवादी पार्टी,बसपा, कांग्रेस और बीजेपी में से कोई भी पार्टी आपके लिए फिट क्यों नहीं बैठ रही है. इस सवाल के जवाब में नगीना के सांसद ने कहा,''मैंने बसपा के लिए बहुत ट्राई किया.लेकिन उन लोगों ने मुझे बहुत बुरा-भला कहा. मुझे अपमानित भी किया.लेकिन मैंने उन्हें कभी अपमानित नहीं किया.कोई अपने आप अपने ऊपर मुकदमे नहीं लगवाता है और न ही कोई अपनी मर्जी से जेल जाता है.जेल की जिंदगी बहुत बुरी होती है.इसलिए किसी के संघर्ष को अपमानित नहीं करना चाहिए.किसने किन परिस्थितियों में कौन सा रास्ता चुना है.''
अखिलेश यादव और चंद्रेशखर आजाद का रिश्ता
दरअसल चुनाव से पहले एक साथ नजर आने वाले चंद्रशेखर आजाद और अखिलेश यादव चुनाव से ठीक पहले अपने रास्ते अलग-अलग कर लेते हैं.साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले का समय याद करिए. लग रहा था कि अखिलेश यादव और चंद्रशेखर आजाद के बीच गठबंधन हो जाएगा.दोनों नेता साथ-साथ नजर आ रहे थे.लेकिन एक दिन अचानक चंद्रशेखर ने अखिलेश यादव को दलित विरोधी बता दिया.इसी के साथ गठबंधन की आस भी खत्म हो गई.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद नवंबर 2022 में खतौली और रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराए गए. सपा ने खतौली सीट जयंत चौधरी की आरएलडी को दी और रामपुर में खुद चुनाव मैदान में उतरी.इस उपचुनाव में अखिलेश यादव और चंद्रशेखर आजाद फिर एक साथ नजर आए.चंद्रशेखर ने दोनों सीटों पर चुनाव प्रचार किया. इसमें जयंत की आरएलडी खतौली सीट तो जीत गई, लेकिन सपा रामपुर हार गई.
नगीना में चंद्रशेखर आजाद की जीत
इसके बाद उम्मीद की जाने लगी कि अखिलेश यादव और चंद्रशेखर फिर एक हो सकते हैं. लेकिन बात बनी नहीं. इस बीच चंद्रशेखर आजाद ने नगीना लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान किया. वहां से समाजवादी पार्टी ने पूर्व न्यायिक अधिकारी मनोज कुमार उतार दिया. इससे दोनों नेताओं के रिश्ते में फिर खटास आ गई.चंद्रशेखर आजाद ने नगीना में सपा, बसपा औऱ बीजेपी की किलेबंदी को ध्वस्त करते हुए डेढ़ लाख से अधिक वोटों से जीत दर्ज की.
फिर आमने-सामने होगी सपा और आजाद समाज पार्टी
जानकार बताते हैं कि समाजवादी पार्टी और आजाद समाज पार्टी में बात सीटों के बंटवारे पर ही बिगड़ जाती है. आजाद समाज पार्टी जितनी सीटें मांगती है, सपा उतनी देने को तैयार नहीं होती है. दूसरी बात यह है कि आजाद समाज पार्टी का अधिक प्रभाव अभी पश्चिम उत्तर प्रदेश में ही है.वहां समाजवादी पार्टी का भी मजबूत जनाधार है.वहां सपा का आजाद समाज पार्टी से समझौते उसे अपना आधार ही कमजोर होने का डर सताता है. यही वजह है कि दोनों दलों में समझौता नहीं हो पाता है. चंद्रशेखर आजाद भी आजकल चुनौती देने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देते हैं.विधानसभा उपचुनाव में दोनों दल एक बार फिर आमने सामने होने वाले हैं. नगीना में मिली जीत से उत्साहित आजाद समाज पार्टी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा की है. इसमें मैनपुरी की करहल सीट भी शामिल है.यह सीट अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई है. यहां से उनके परिवार के तेजप्रताप यादव के चुनाव लड़ने की संभावना है. चंद्रशेखर ने करहल से भी उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है.
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