पठानकोट में आतंकियों से भिड़ गए थे... जानिए कौन हैं गाजा में शहीद रिटायर्ड कर्नल वैभव काले?

टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वैभव काले (Retired Colonel Vaibhav Kale) अकादमी में 97वें कोर्स के 'नवंबर' स्क्वाड्रन से थे. वह 1999 में एनडीए से पासआउट हुए थे. आईएमए से पासआउट होने के बाद उन्हें 2000 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था. 

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नई दिल्ली:

इजरायल-हमास युद्ध (Israel Gaza War) के बीच गाजा के राफा शहर में हमले की चपेट में आने से संयुक्त राष्ट्र के लिए काम करने वाले रिटायर्ड भारतीय कर्नल की मौत (Retired Colonel Vaibhav Anil Kale) हो गई. हर कोई यह जनना चाहता है कि आखिर कर्नल काले थे कौन. बता दें कि उनका पूरा नाम कर्नल वैभव अनिल काले था, उनकी उम्र 46 साल थी. उन्होंने भारतीय सेना से दो साल पहले साल 2022 में समय से पहले रिटायरमेंट ले लिया था. उनको दो महीने पहले संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा और संरक्षा विभाग (UNDSS) में सुरक्षा समन्वय अधिकारी नियुक्त किया गया था.

काले भारतीय सेना में कब हुए थे शामिल?

इतना ही नहीं वह कश्मीर में 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स की कमान भी संभाल चुके हैं.वह खुफिया और आतंकवाद विरोधी अभियानों का हिस्सा रहे. काले के भारतीय सेना में शामिल होने को लेकर अलग-अलग जानकारी सामने आई है. भाषा में छपी खबर के मुताबिक, उनके रिश्तेदार विंग कमांडर (रिटायर्ड) प्रशांत करडे ने बताया, रिटायर्ड कर्नल अनिल काले भारतीय सेना में 1998 में शामिल हुए थे. उन्होंने 2009 और 2010 के बीच संयुक्त राष्ट्र में आकस्मिक मुख्य सुरक्षा अधिकारी के रूप में भी काम किया था.

काले के सोशल मीडिया मंच लिंक्डइन पर दी गई जानकारी के मुताबिक वह अप्रैल 2004 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे. उन्होंने 2009 से 2010 तक संयुक्त राष्ट्र में मुख्य सुरक्षा अधिकारी के तौर पर सेवाएं दीं. वैभव अनिल काले महाराष्ट्र के नागपुर के रहने वाले थे. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई सोमलवार उच्च माध्यमिक स्कूल से की थी. उन्होंने दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी से बिहेवियरल साइंस और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून में ग्रैजुएशन किया था. काले नेअपनी पढ़ाई IMM लखनऊ और इंदौर समेत अन्य संस्थानों से भी की थी.

रिटायर्ड कर्नल काले के परिवार के बारे में जानें

टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक वैभव काले अकादमी में 97वें कोर्स के 'नवंबर' स्क्वाड्रन से थे. वह 1999 में एनडीए से पासआउट हुए थे. आईएमए से पासआउट होने के बाद उन्हें 2000 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था. वैभव काले के भाई विशाल काले भारतीय वायुसेना में ग्रुप कैप्टन के पद पर तैनात हैं, जबकि उनके चचेरे भाई अमेय काले भी सेना में कर्नल हैं. 

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रिटायर्ड कर्नल वैभव अनिल काले महू में सेना के इन्फैंट्री स्कूल में कोच थे. सोमवार सुबह यूएनडीएसएस के अन्य कर्मचारियों के साथ वह संयुक्त राष्ट्र के वाहन में राफा के 'यूरोपियन अस्पताल'  जाते समय वह हमले की चपेट में आ गए. अपने पीछे वह पत्नी अमृता और दो बच्चों को छोड़ गए हैं. सेना ने रिटायरमेंट लेने के बाद वह अपने परिवार के साथ पुणे में रहने लगे थे. काले का पार्थिव शरीर मिस्त्र के रास्ते भारत लाया जाएगा और पुणे में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा.

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पठानकोट एयरबेस हमले से क्या था काले का कनेक्शन?

टीओआई में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, वैभव काले ने पठानकोट एयरबेस पर 2016 के हुए आतंकवादी हमले को रोकने में भी अहम भूमिका निभाई थी. उनके करीबी दोस्त, लेफ्टिनेंट कर्नल हांगे ने बताया कि काले पठानकोट हमले के समय भारतीय सेना की 11 जम्मू-कश्मीर राइफल्स बटालियन की कमान संभाल रहे थे. उन्होंने और उनकी यूनिट ने उस ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाई थी. कर्नल हांगे का कहना है कि वैभव काले एक  खुशमिज़ाज़ इंसान थे. राफा में 'यूरोपियन अस्पताल' जाते समय वाहन के हमले की चपेट में आने से उनकी मौत हो गई.

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