बिहार के श्रमिकों पर हमलों को अफवाह बताते हुए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन (M K Stalin) के उन्हें सुरक्षा का आश्वासन दिया. अब विभिन्न उद्योग संगठनों ने शनिवार को एम के स्टालिन से यही संदेश हिंदी में प्रसारित करने का अनुरोध किया, ताकि हिंदी भाषी क्षेत्र से राज्य में आने वाले मजदूरों के डर को दूर किया जा सके. फेडरेशन ऑफ कोयम्बटूर इंडस्ट्रियल एसोसिएशन (FOCIA) ने कहा कि ऐसा कदम जरूरी था, क्योंकि श्रमिकों को गुमराह किया गया है कि यह राज्य उनके लिए असुरक्षित है. इसके लिए तमिलनाडु में हिंदी भाषी प्रवासी मजदूरों पर हमलों के बारे में फर्जी खबरें सोशल मीडिया साइटों पर फैलाई गई हैं. इससे मजदूरों और बिहार में रहने वाले उनके परिवारों में दहशत का माहौल है.
कड़ी कार्रवाई करने के बयान जारी किए
स्टालिन ने अफवाह और फर्जी खबरें फैलाने वालों के खिलाफ चेतावनी दी और उन्हें "भारतीय विरोधी" करार दिया. इससे पहले दिन में, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने अपने बिहार के समकक्ष नीतीश कुमार को आश्वस्त किया कि राज्य में सभी प्रवासी श्रमिक सुरक्षित हैं और दहशत फैलाने वाले व अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. तिरुपुर और कोयंबटूर जिलों में प्रशासन और पुलिस (जहां बड़ी संख्या में बिहारी श्रमिक कपड़ा उद्योगों में कार्यरत हैं) ने अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के बयान जारी किए.
घर लौट रहे मजदूर
तिरुपुर के जिला कलेक्टर एस विनीत ने कहा कि रेलवे स्टेशनों पर बड़ी संख्या में मजदूर मौजूद थे, क्योंकि वे होली का त्योहार मनाने के लिए घर जा रहे थे. भाजपा अखिल भारतीय महिला मोर्चा की अध्यक्ष और कोयम्बटूर दक्षिण विधायक वनथी श्रीनिवासन ने कथित तौर पर इस मुद्दे पर मजदूरों के तिरुपुर छोड़ने पर गंभीर चिंता व्यक्त की. श्रीनिवासन ने कहा कि संविधान देश में कहीं भी काम करने के लिए सभी नागरिकों को समान अधिकार प्रदान करता है और भाजपा अखिल भारतीय महिला मोर्चा की अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण करने के बाद देश भर में अपने दौरे के दौरान उन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह सहित अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हजारों तमिलों को काम करते पाया. भाजपा नेता ने कहा कि समस्या की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री स्टालिन को ऐसी अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए और जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज करना चाहिए.
उत्तर भारत से आने वाले श्रमिकों को काम नहीं देने की मांग
इस बीच, दो कपड़ा निकायों ने कहा कि मजदूरी के मामले में स्थानीय श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों के बीच कोई भेदभाव नहीं था और दोनों को उद्योगों द्वारा समान रूप से व्यवहार किया गया था. भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ के अध्यक्ष और दक्षिणी इंडिया मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष टी राजकुमार और रवि सैम ने एक बयान में कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में, राजनीतिक संगठनों का एक वर्ग प्रवासी मजदूरों के मामले पर हंगामा कर रहा है और मांग कर रहा है कि उत्तर भारत से आने वाले श्रमिकों को तमिलनाडु में काम करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. उद्योग जगत ने इशारा किया कि ऐसे समूह तमिलनाडु में श्रमिक वर्ग के मन में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के खिलाफ नफरत के बीज बो रहे हैं और इस तरह का रवैया तमिलनाडु जैसे औद्योगिक रूप से विकसित राज्य के लिए खतरा पैदा करेगाउ और उद्योग के प्रदर्शन को समग्र रूप से प्रभावित करेगा.
आरजेडी ने ट्वीट कर ये कहा
आरजेडी ने ट्वीट कर कहा, "तमिलनाडु से बिहारी श्रमवीर बता रहे हैं कि हिंसा की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है. देशतोड़क भाजपाइयों की अफवाहों और झूठ पर ध्यान ना दें. भाजपाई जातिवादी संगठन RSS से प्रशिक्षित अव्वल दर्जे के झूठे लोग है. ये बिहार के साथ-साथ देश की अखंडता का नुकसान कर रहे हैं. बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष ने तमिलनाडु बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से बिहारी मजदूरों पर हमले के बारे में पूछा तो वहां के अध्यक्ष ने बताया कि,” ये सब अफ़वाह, भ्रम है और हमारे तमिलनाडु को बदनाम किया जा रहा है. यहां सब सुरक्षित हैं."
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