कौन हैं सैम पित्रोदा? राहुल गांधी से क्या है कनेक्शन, सियासी भूचाल ला देने वाले उनके 6 बड़े बयान

सैम पित्रोदा इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. उनको ही भारत में सूचना क्रांति का जनक माना जाता है. यूपीए सरकार के कार्यकाल में वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वह UN के लिए प्रधानमंत्री का सलाहकार भी रह चुके हैं.

नई दिल्ली:

इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा (Sam Pitroda)अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहते हैं. हाल ही में उन्होंने इंहेरिटेन्स टैक्स (Inheritance tax) को लेकर बयान दिया था, जिसे पीएम मोदी (PM Narendra Modi) ने मुद्दा बनाते हुए कांग्रेस (Congress) पर जमकर निशाना साधा था. अब पित्रोदा के एक बयान पर कांग्रेस (Congress) एक बार फिर से घिरती नजर आ रही है. उन्होंने पूर्वी भारत और उत्तर भारत के रंग-रूप पर बयान देकर एक बार फिर से राजनीतिक भूचाल ला दिया है. 

आइए जानते हैं अपनी बयानबाजी से कांग्रेस को संकट में डालने वाले सैम पित्रोदा आखिर हैं कौन?

कौन हैं सैम पित्रोदा?
सैम पित्रोदा का पूरा नाम सत्यनारायण गंगाराम पित्रोदा है. वह इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष हैं. उनको ही भारत में सूचना क्रांति का जनक माना जाता है. यूपीए सरकार के कार्यकाल में वह तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में वह UN के लिए प्रधानमंत्री का सलाहकार भी रह चुके हैं. वह जन सूचना संरचना और नवप्रवर्तन सलाहकार भी रहे. सैम पित्रोदा एक बिजनेसमैन भी हैं. वह अमेरिका में कई कंपनियां भी चलाते हैं. 

गुजराती परिवार में हुआ जन्म
सैम पित्रोदा का जन्म ओडिशा के टिटलागढ़ में एक गुजराती बढ़ई परिवार में हुआ था. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गुजरात के वल्लभ विद्यानगर से पूरी की. वहीं, वडोदरा के महाराजा सयाजीराव यूनिवर्सिटी से फिजिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में मास्टर डिग्री ली. साल 1964 में अमेरिका जाकर उन्होंने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की. साल 1981 में भारत लौटकर उन्होंने देश की टेली कम्युनिकेशन सिस्टम को मॉर्डन बनाने के बारे में सोचा. 

टेलीकॉम में पित्रोदा का योगदान
साल 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के आमंत्रण पर उन्होंने टेलीकॉम के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास के लिए सी-डॉट यानी 'सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ़ टेलिमैटिक्स' की स्थापना की थी. उनकी क्षमता से प्रभावित होकर राजीव गांधी ने उनकी डोमेस्टिक और फॉरिन टेलीकॉम पॉलिसी को दिशा देने का काम किया. 

2005 से 2009 तक रहे भारतीय ज्ञान आयोग के चेयरमैन 
सैम पित्रोदा साल 2005 से 2009 तक भारतीय ज्ञान आयोग के चेयरमैन भी रह चुके हैं. वह भारत के दूर संचार आयोग के संस्थापक और पहले अध्यक्ष भी रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने 21वीं सदी के लिए ज्ञान से संबंधित संस्थानों और बुनियादी ढांचे के लिए सुधार का खाका तैयार किया. 

सैम पित्रोदा का राहुल गांधी से क्या है कनेक्शन?
सैम पित्रोदा को राहुल गांधी का राजनीतिक गुरु माना जाता है. राहुल गांधी समय-समय पर उनसे मुलाकात कर कई मुद्दों पर उनसे सलाह-मिशवरा करते रहे हैं. यही वजह है कि बीजेपी उनको राहुल गांधी का अंकल कहकर तंज कसती है.  


बयानों से कब-कब सुर्खियों में रहे सैम पित्रोदा?
-सैम पित्रोदा ने जून 2023 में कहा था कि मंदिरों से देश की बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी दिक्कतों का समाधान नहीं होगा, इन मुद्दों पर कोई बात नहीं करता. हर कोई राम और हनुमान मंदिर की बातें करता है. उन्होंने ये कहकर राजनीतिक भूचाल ला दिया था कि मंदिर निर्माण से आपको रोजगार नहीं मिलेगा.
-सैम पित्रोदा ने 'द स्टेटमेंट' को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत को विविधतापूर्ण देश बताया. उन्होंने कहा, "जहां पूर्व के लोग चीनी जैसे दिखते हैं. पश्चिम के लोग अरब जैसे. उत्तर के लोग गोरे और दक्षिण के लोग अफ्रीका जैसे दिखते हैं." हालांकि, उनके इस बयान से कांग्रेस ने किनारा कर लिया.
-कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैम पित्रोदा ने पिछले दिनों कहा था कि अमेरिका में विरासत टैक्स लगता है. यानी किसी शख्स के मरने के बाद उसकी संपत्ति का कुछ हिस्सा उसके रिश्तेदारों को दिया जाता है, जबकि एक बड़ा हिस्सा सरकार अपने पास रख लेती है. सैम पित्रोदा ने इस कानून को एक रोचक कानून बताया था.
-सैम पित्रोदा को साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान दिए गए एक बयान को लेकर भी आलोचना झेलनी पड़ी. 1984 सिख दंगों को लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि तत्कालीन त्तालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के इशारे पर सिख दंगे हुए थे, जिस पर -सैम पित्रोदा ने कहा था कि 1994 में हुआ तो हुआ. हालांकि, बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा था कि उनकी हिंदी अच्छी नहीं है. वह कहना चाहते थे कि जो हुआ वह बुरा हुआ.
-साल 2019 में सैम पित्रोदा ने कहा था कि मेडिकल क्लास को स्वार्थी नहीं बनना चाहिए. उनको कांग्रेस की प्रस्तावित न्याय योजना की फंडिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा टैक्स देने के लिए तैयार रहना चाहिए. उन्होंने कहा था कि टैक्स का बोझ बढ़ने से मिडिल क्लास को स्वार्थी बनीं बनना चाहिए. उनके इस बयान पर काफी बवाल हुआ था. 
-साल 2018 में पुलवामा में हुए अटैक के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में एयरस्ट्राइक को लेकर भारत सरकार के एक्शन पर सवाल उठाते हुए कहा था कि पुलवामा जैसे हमले होते रहते हैं. इसके बारे में मैं ज्यादा नहीं जानता. उन्होंने कहा था कि मुंबई में भी हमला हुआ था.

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