कौन हैं IPS अधिकारी जालिंदर सुपेकर और अमिताभ गुप्ता? महाराष्ट्र में क्यों गूंज रहा इनका नाम

विजय कुंभार बताते हैं कि हर बड़े तबादले और नियुक्ति के पीछे पैसे चल रहे हैं, यह सबका खुला राज़ है. सुपेकर और गुप्ता के केस में सिर्फ ऊपरी परतें दिख रही हैं.

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महाराष्ट्र की सियासत और पुलिस महकमे में इन दिनों एक नाम तेजी से गूंज रहा है. 500 करोड़ रुपये का जेल खरीद घोटाला! घोटाला भी ऐसा, जिसमें सवाल उठे हैं IPS अफसरों की ईमानदारी पर, नाम जुड़े हैं जेल प्रशासन के सबसे ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों से. जालिंदर सुपेकर और अमिताभ गुप्ता पर लगे आरोप न सिर्फ चौंकाने वाले हैं, बल्कि सिस्टम के भीतर गहराई तक फैले भ्रष्टाचार की कहानी बयां करते हैं. 

कौन सा घोटाला हुआ

ये कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं. एक ऐसा घोटाला, जो सीधे महाराष्ट्र की जेलों से जुड़ा है, और जिसमें घोटाले की रकम है, पूरे 500 करोड़ रुपये! आरोप हैं कि जेल में बंद कैदियों के लिए खरीदे जाने वाले खाने, कपड़े और अन्य सुविधाओं में बड़ा घोटाला किया गया है. इस पूरे मामले में सबसे पहले नाम उजागर किए पूर्व सांसद और स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के नेता राजू शेट्टी ने.

राजू शेट्टी ने बताया कि हमने मार्च 2025 में इस घोटाले का पर्दाफाश किया. जेलों में खरीदे गए सामानों में जबरदस्त भ्रष्टाचार हुआ है, और इसमें बड़े अधिकारी शामिल हैं. शेट्टी का दावा है कि 2023 से लेकर 2025 तक इस घोटाले को अंजाम दिया गया. उस दौरान, अमिताभ गुप्ता जेल विभाग के प्रमुख सचिव (विशेष) थे और जालिंदर सुपेकर DIG यानी जेल प्रशासन के रूप में तैनात थे. इन दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने कैदियों के लिए खरीदे जाने वाले सामानों में भारी गड़बड़ियां कीं, घटिया क्वालिटी के सामान बढ़ी हुई कीमतों पर सप्लायर्स से मिलीभगत से खरीदे. सिर्फ खाना नहीं, बल्कि कपड़े, बर्तन सब कुछ महंगे दामों पर खरीदा गया. एक आरोपी से 550 करोड़ की डील की बात भी सामने आई है, जिसमें कहा गया कि उसे रिहा करवाने के लिए पैसे मांगे गए थे.

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कौन हैं जालिंदर सुपेकर और अमिताभ गुप्ता? 

अमिताभ गुप्ता एक वरिष्ठ IPS अधिकारी हैं. वो पुणे के पुलिस कमिश्नर रहे और बाद में जेल विभाग के सचिव भी बने. वहीं जालिंदर सुपेकर जेल DIG के तौर पर महाराष्ट्र भर की जेल व्यवस्था में मजबूत पकड़ रखते रहे. सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन अफसरों को राजनीतिक संरक्षण भी मिला खासकर पुणे में अजित पवार गुट से.

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सामाजिक कार्यकर्ता विजय कुंभार बताते हैं कि जेलों में अनियमितताओं की खबरें सालों से आ रही थीं, लेकिन सुपेकर और गुप्ता पर कभी कार्रवाई नहीं हुई. इसकी वजह उनका राजनीतिक संरक्षण भी है. इतना ही नहीं, एक RTI कार्यकर्ता ने गंभीर आरोप लगाए कि गुप्ता ने पुणे में अपने कार्यकाल के दौरान 800 से 1000 हथियार लाइसेंस जारी किए. और हर लाइसेंस के बदले 15 से 20 लाख रुपये तक वसूले गए. अगर ये सच है, तो मामला सिर्फ जेलों तक सीमित नहीं है, यह भ्रष्टाचार कई महकमों में फैला हुआ है.

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कई तरह के आरोप लग रहे

RTI कार्यकर्ता सुनिल तटकरे ने बताया कि ये घोटाला सिर्फ जेल विभाग तक सीमित नहीं है. हथियार लाइसेंस घोटाला भी उतना ही बड़ा है, और यही लोग उसमें भी शामिल थे. इस घोटाले की जांच मार्च 2025 में शुरू हुई थी, लेकिन अब तक किसी बड़े अफसर के खिलाफ FIR दर्ज नहीं हुई है. राजू शेट्टी ने इन अधिकारियों की संपत्तियों की जांच की मांग की है, ताकि यह साफ़ हो सके कि उनकी संपत्ति उनकी आय के घोषित स्रोतों से मेल खाती है या नहीं. यह भी दावा किया गया है कि सुपेकर ने कुछ जप्तियों के दौरान बैंक लॉकर से कैश और सोना निकाल लिया. हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हुई है.

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विजय कुंभार बताते हैं कि हर बड़े तबादले और नियुक्ति के पीछे पैसे चल रहे हैं, यह सबका खुला राज़ है. सुपेकर और गुप्ता के केस में सिर्फ ऊपरी परतें दिख रही हैं.अब कई लोग यह भी सवाल पूछ रहे हैं कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले को लेकर चुप्पी क्यों साधे हुए हैं. फडणवीस कहते हैं कि जो भी दोषी होगा, बख्शा नहीं जाएगा. कानून सबके लिए समान है.

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