चंडीगढ़ शहर पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शहर के इतिहास और विरासत को उकेरा

चंडीगढ़ के बसने के बारे में बताया कि भारत को वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद, पंजाब सरकार ने भारत सरकार के परामर्श से मार्च 1948 में राज्य की नई राजधानी के लिए साइट को मंज़ूरी दी.

विज्ञापन
Read Time: 21 mins
चंडीगढ़ शहर को दो चरणों में विकसित किया गया था.
नई दिल्ली:

चंडीगढ़ शहर पर अपना फैसला देते हुए जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस बी वी नागरत्ना ने अपने 131 पेज के फैसले में चंडीगढ़ के इतिहास और विरासत को उकेरा है. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले की शुरूआत में लिखा, "इसे एक नया शहर होने दें, अतीत की परंपराओं से मुक्त भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक... भविष्य में राष्ट्र की आस्था की अभिव्यक्ति". ये भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के शब्द थे, जब उन्होंने पंजाब राज्य की राजधानी के लिए एक नए शहर के संस्थापक सिद्धांतों की स्थापना की थी. इसके बाद चंडीगढ़ के बसने के बारे में बताया कि भारत को वर्ष 1947 में स्वतंत्रता मिलने के बाद, पंजाब सरकार ने भारत सरकार के परामर्श से मार्च 1948 में राज्य की नई राजधानी के लिए साइट को मंज़ूरी दी. नए शहर को फ्रांसीसी वास्तुकार ले कोर्बुज़िए ने अन्य आर्किटेक्ट्स, अर्थात्, पियरे जेनेरेट, जेन बी ड्रू और मैक्सवेल फ्रे के साथ मिलकर डिजाइन किया था. शहर की योजना शहरी डिजाइन, भूनिर्माण और वास्तुकला के जीवंत उदाहरण के रूप में बनाई गई थी.

यह एक साधारण निर्माण सामग्री का उपयोग करके बनाया जाने वाला और कला के अभिन्न कार्यों से अलंकृत शहर था. ले कोर्बुज़िएर द्वारा प्रतिपादित चंडीगढ़ की स्मारकीय वास्तुकला सूर्य, अंतरिक्ष और हरियाली की टाउन प्लानिंग अवधारणा के सिद्धांतों पर आधारित है. ले कोर्बुज़िएर ने योजना में प्रकाश, अंतरिक्ष और हरियाली के सिद्धांतों को शामिल किया और मानव शरीर को एक रूपक के रूप में इस्तेमाल किया - 'सिर' में कैपिटल कॉम्प्लेक्स था, 'दिल' वाणिज्यिक केंद्र था. यानी सेक्टर 17, फेफड़े ( लेजर वैली, असंख्य खुले स्थान और सेक्टर हरियाली), बुद्धि (सांस्कृतिक और शैक्षिक संस्थान), विसरा (औद्योगिक क्षेत्र), और ' हाथ'  अकादमिक और ओपन कोर्टयार्ड जैसी सुविधाएं आदि हैं. और सरकुलेशन सिस्टम  की कल्पना सड़कों के सात प्रकार होने के रूप में की गई थी जिन्हें 7V के रूप में जाना जाता है.

चंडीगढ़ की परिकल्पना एक प्रशासनिक शहर के रूप में की गई है, जिसमें जनसंख्या का पदानुक्रमित वितरण ऐसा है कि उत्तरी क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व कम है, जो दक्षिणी क्षेत्रों की ओर बढ़ता है. चंडीगढ़ को एक कम वृद्धि वाले शहर के रूप में नियोजित किया गया है, और इतना विकसित किया गया है कि इसकी स्थापना के साठ साल बाद भी यह काफी हद तक मूल अवधारणा को बरकरार रखता है. इस तरह इस "खूबसूरत शहर" की अवधारणा का जन्म हुआ. 

Advertisement

पंजाब राज्य के पंजाब और हरियाणा राज्यों में विभाजन पर, शहर को केंद्र शासित प्रदेश (UT) बना दिया गया, और दोनों राज्यों की राजधानी बन गई. चंडीगढ़ शहर को दो चरणों में विकसित किया गया था, फेज I में सेक्टर 1 से 30 और फेज II में सेक्टर 31 से 47 थे. फेज I को 1,50,000 की कुल आबादी के लिए कम ऊंचाई वाले प्लॉट वाले विकास के लिए डिज़ाइन किया गया था.  फेज II क्षेत्रों में फेज I क्षेत्रों की तुलना में बहुत अधिक घनत्व होना था. 

Advertisement

1952 में, भारत सरकार ने, चंडीगढ़ शहर में विकास को विनियमित करने के लिए, पंजाब की राजधानी (विकास और विनियम) अधिनियम, 1952 (इसके बाद "1952 अधिनियम" के रूप में संदर्भित) अधिनियमित किया. 1960 में, पंजाब सरकार ने, 1952 कानून की धारा 5 और 22 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, चंडीगढ़ (स्थलों और भवनों की बिक्री) नियम, 1960 (बाद में "1960 नियम" के रूप में संदर्भित) बनाए.1960 के नियमों का नियम 14 किसी साइट या इमारत के हिस्सा करने या समामेलन पर रोक लगाता है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Allu Arjun News: Telugu Superstar का सड़क से सदन तक विरोध
Topics mentioned in this article