विपक्ष को एकजुट करने के लिए पटना में हुई बैठक में किस नेता ने क्या कहा? खास बातें

बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाईटेड के नेता नीतीश कुमार की पहल पर आयोजित की गई इस बैठक में 15 विपक्षी पार्टियों के 32 नेता शामिल हुए

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विपक्ष की पार्टिंयों की अगली बैठक जुलाई में हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में होगी.
नई दिल्ली:

बिहार की राजधानी पटना में शुक्रवार को विपक्ष को एकजुट करने और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाने के उद्देश्य से विपक्षी दलों के नेताओं की बैठक हुई. बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल यूनाईटेड के नेता नीतीश कुमार की पहल पर आयोजित की गई इस बैठक में 15 विपक्षी पार्टियों के 32 नेता शामिल हुए. इस बैठक में चार घंटे तक चर्चा चली.

बैठक में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस को पहले अपनी बात कहने के लिए कहा गया लेकिन पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि वे बाकी सभी नेताओं की बात सुनने के बाद बोलेंगे.

बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार ने कहा : व्यापक विपक्षी एकता की दिशा में यह पहला कदम है. 2024 के करीब आने तक इस गठबंधन में और भी पार्टियां शामिल होंगी.

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राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख लालू यादव ने कहा : राज्य की सबसे बड़ी पार्टी को नेतृत्व करना चाहिए, अन्य दलों को समर्थन देना चाहिए. बड़ी पार्टियों को बड़ा दिल दिखाना चाहिए. सीट बंटवारे म ें कांग्रेस का खुला और लचीला रुख होना चाहिए.

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख शरद पवार ने कहा : सिर्फ चुनाव ही नहीं, हमें लोकतंत्र की रक्षा के लिए मिलकर काम करना चाहिए.

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बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा : बीजेपी के खिलाफ केवल एक संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार होना चाहिए. यह भारत की जनता बनाम मोदी की लड़ाई है.

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तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन ने कहा : अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग फॉर्मूला होना चाहिए. राज्य में मजबूत पार्टी के नेतृत्व में राज्यवार गठबंधन हो. यदि कोई गठबंधन नहीं है तो सीट बंटवारे की व्यवस्था या भाजपा के खिलाफ विपक्ष का साझा उम्मीदवार हो.

शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे ने कहा : यह तानाशाही बनाम लोकतंत्र की लड़ाई है.

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने कहा : हम व्यापक विपक्षी एकता के हित में अन्य राज्यों में विस्तार नहीं करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कांग्रेस को आज दिल्ली अध्यादेश पर अपने निर्णय की घोषणा करनी चाहिए.

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती : अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और केंद्रशासित प्रदेश के विभाजन का हवाला देते हुए कहा कि कश्मीर के साथ जो हुआ वह सिर्फ कश्मीर के साथ नहीं है, बीजेपी अन्य राज्यों में भी ऐसा करेगी.

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा : हम बड़े प्रदेश से हैं, हमारा दिल भी बड़ा होगा. हम सीट बंटवारे या साझा उम्मीदवार की व्यवस्था के लिए तैयार हैं. हम कांग्रेस विरोधी नहीं हैं. लड़ाई बीजेपी के खिलाफ है.

झारखंड के मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के प्रमुख हेमंत सोरेन ने कहा : पूरे देश में संयुक्त अभियान चलना चाहिए.

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा : हम समान विचारधारा वाले दलों के साथ गठबंधन करने के लिए तैयार हैं. (उन्होंने बैठक से कुछ मिनट पहले आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता के बयान पर सवाल उठाया) संसद सत्र के दौरान विपक्षी दल नियमित रूप से बैठक करते हैं और संयुक्त रणनीति बनाते हैं. AAP उन बैठकों में शामिल हुई है. इस अध्यादेश के लिए अलग तंत्र क्यों? बीजेपी से लड़ने के लिए गठबंधन की यह पूर्व शर्त नहीं हो सकती. (आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिस पर ममता बनर्जी और अन्य नेताओं ने हस्तक्षेप किया. उन्होंने इस बैठक में अध्यादेश पर कांग्रेस के रुख के लिए केजरीवाल के आग्रह पर सवाल उठाया)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा : हम यहां खुले दिमाग के साथ हैं...बिना किसी पुरानी पसंद-नापसंद के. हम सभी लचीले होंगे. हमें इस लड़ाई में एक साथ रहना होगा, चाहे कुछ भी करना पड़े.

बैठक के निष्कर्ष :
1. अगली बैठक 10 या 12 जुलाई को शिमला में होगी.
2. अगली बैठक कांग्रेस की अगुवाई में बुलाई जाएगी.
3. शिमला बैठक में पार्टियों के बीच सीट बंटवारे की व्यवस्था पर चर्चा होगी.
4. अगली बैठक में समान विचारधारा वाले और अधिक दलों को आमंत्रित किया जाएगा.

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