"कौन-सी अदालत धड़कते दिल वाले भ्रूण को खत्म करना चाहेगी...?", अबॉर्शन ऑर्डर पर सुप्रीम कोर्ट

मंगलवार को गर्भ को गिरा देने की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट को इस बात से नाराज़गी थी कि AIIMS की मेडिकल रिपोर्ट इतनी देर से क्यों दाखिल की गई, और कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि रिपोर्ट पहले क्यों पेश नहीं की गई थी.

Advertisement
Read Time: 5 mins
नई दिल्ली:

सरकार की ओर से एक मेडिकल रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 26 हफ़्ते के गर्भ को गिरा देने की अनुमति देने वाले आदेश को फिलहाल होल्ड पर रख लिया है. मेडिकल रिपोर्ट में बताया गया था कि भ्रूण 'viable' है, यानी उसमें जीवन के लक्षण दिख रहे हैं, और उसके जीवित रहने की संभावनाएं प्रबल हैं. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश को वापस लेने की सरकार की अर्ज़ी पर सुनवाई के दौरान कहा कि वह कोई भी नया आदेश जारी करने से पहले महिला से बात करना चाहती है.

मामले की सुनवाई दोपहर 2 बजे दोबारा शुरू होगी.

मंगलवार को गर्भ को गिरा देने की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट को इस बात से नाराज़गी थी कि AIIMS की मेडिकल रिपोर्ट इतनी देर से क्यों दाखिल की गई, और कोर्ट ने यह भी जानना चाहा कि रिपोर्ट पहले क्यों पेश नहीं की गई थी.

जस्टिस हिमा कोहली ने कहा, "हमारे आदेश के बाद ही क्यों...? उन्हें इससे पहले क्यों याद नहीं आया...? कौन-सी अदालत है, जो धड़कते दिल वाले भ्रूण को खत्म करना चाहेगी, निश्चित रूप से हम तो नहीं, भगवान के लिए..."

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने इस दंपति को 26-हफ़्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति दे दी थी, क्योंकि याचिकाकर्ता का तर्क था कि पहले से दो बच्चों की मां महिला कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं और प्रसव के बाद होने वाले डिप्रेशन से पीड़ित है.

महिला ने कहा था कि वह आर्थिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं है, क्योंकि अभी उसकी दूसरी संतान को ही स्तनपान करवाना पड़ता है.

Featured Video Of The Day
Kerala Murder Mystery: नशे में अपनी पत्नी को धमकाना पड़ा महंगा, खुला एक पुराने हत्याकांड का राज़