"जब IAS, IPS और MP देते हैं संपत्ति का ब्योरा, तो..." : संसद में सुशील मोदी का वो भाषण जानें क्यों हो रहा है वायरल

सुशील मोदी उन याचिकाकर्ताओं में से एक होने पर गर्व करते थे जिस पर पटना उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने के आदेश दिए थे, जिसके कारण बाद में 1997 में लालू को मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था.

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नई दिल्ली:

बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) का सोमवार रात निधन हो गया. वो लंबे समय से कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे. उनके निधन पर पीएम मोदी और राहुल गांधी सहित सभी पार्टियों के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. सभी उन्हें अपनी-अपनी तरह से याद कर रहे हैं. इस बीच कुछ दिनों पहले ही राज्यसभा में दिए उनके सिस्टम में पारदर्शिता वाला बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इसमें उन्होंने नेता और ब्यूरोक्रेट की तरह सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों के लिए भी संपत्ति का ब्यौरा देना अनिवार्य करने की बात कही थी.

सुशील मोदी ने राज्यसभा में अपने भाषण में कहा था, "आईएएस, आईपीएस, आईएफएस और सेंट्रल सिविल सर्विसेज यानि अंडर सेक्रेट्री, डिप्टी सेक्रेट्री और डायरेक्टर को ज्वाइनिंग के समय और फिर प्रत्येक वर्ष अपनी संपत्ति का अनिवार्य रूप से ब्योरा देना पड़ता है. सीएजी भी प्रति वर्ष बेवसाइट पर अपनी संपत्ति का डिक्लरेशन करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया है कि एमएलए, एमपी का चुनाव लड़ने वाले लोगों की संपत्ति मतदाताओं को जानने का अधिकार है, जब कोई एमपी/एमएलए चुनाव के लिए खड़ा होता है, तो उसको अपनी संपत्ति का एफिडेविट फाइल करना पड़ता है और एमपी बनने के बाद 90 दिनों के भीतर और फिर प्रत्येक वर्ष 30 जून तक सभी सांसदों को संपत्ति का ब्योरा देना पड़ता है. यहां तक कि सेंट्रल कैबिनेट यानि प्रधानमंत्री तक, सभी मंत्री प्रति वर्ष अपनी संपत्ति का ब्योरा देते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के जजों को लेकर ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है."

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सुशील कुमार मोदी को भारतीय जनता पार्टी की बिहार इकाई में संभवतः उस सबसे बड़े नेता के तौर पर जाना जाएगा, जिन्हें राज्य में पार्टी को आगे बढ़ाने के लिए धैर्यपूर्वक काम करने के लिए हमेशा याद किया जाएगा. बिहार के एक वैश्य परिवार में जन्मे सुशील मोदी पटना विश्वविद्यालय में बीएससी की पढ़ाई के दौरान छात्र राजनीति में शामिल हुए और उन्होंने प्रसिद्ध समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में 1974 के बिहार आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. इसी दौरान वो भावी सहयोगी नीतीश कुमार और अपने विरोधी लालू प्रसाद के संपर्क में भी आए.

सुशील मोदी बिहार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक बन गए और अक्सर राजनीति में अपने प्रवेश का श्रेय दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को देते थे.

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सुशील मोदी ने 1990 में अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत की
सुशील मोदी द्वारा अक्सर साझा किए जाने वाले एक किस्से के अनुसार, 1986 में उनके विवाह समारोह में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष वाजपेयी ने उनसे कहा था कि अब छात्र राजनीति छोड़ने और ‘‘पूर्णकालिक राजनीतिक कार्यकर्ता'' बनने का समय आ गया है. उन्होंने 1990 में पटना मध्य विधानसभा सीट से अपनी चुनावी यात्रा की शुरुआत की और शहर के पुराने निवासी उन्हें एक विनम्र व्यक्ति के रूप में याद करते हैं, जो स्कूटर पर चलते थे.

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सुशील मोदी को उनके दृढ़ संकल्प के लिए भी जाना जाता था, जिसका पता बिहार में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की सरकार के कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ उनकी अथक सक्रियता से पता चलता था. सुशील मोदी उन याचिकाकर्ताओं में से एक होने पर गर्व करते थे जिस पर पटना उच्च न्यायालय ने बहुचर्चित चारा घोटाले की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने के आदेश दिए थे, जिसके कारण बाद में 1997 में लालू को मुख्यमंत्री का पद छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया था.

उन्होंने बिहार विधानसभा में विपक्ष के एक सशक्त नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई, इस पद पर वे 2004 तक रहे, जब तक कि वे भागलपुर से लोकसभा के लिए निर्वाचित नहीं हो गए. हालांकि, एक साल बाद, राज्य विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद)-कांग्रेस गठबंधन हार गया और मोदी बिहार में वापस आ गए.

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सुशील मोदी ने कई जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाया
सुशील मोदी को जनता दल (यूनाइटेड) के नेता एवं नीतीश कुमार का भी करीबी माना जाता था. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लंबे समय तक राज्य के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. इस महत्वपूर्ण अवधि के दौरान पार्टी ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष का पद भी सौंपा और मोदी ने दोनों जिम्मेदारियों को कुशलता से निभाया, जिससे उनके कई प्रशंसक बन गए.

सुशील मोदी ने एक दशक से अधिक समय तक महत्वपूर्ण वित्त विभाग संभाला था और राज्य के आर्थिक बदलाव की पटकथा लिखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी.

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