सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को दोपहर तीन बजे एक स्पेशल बेंच ने स्वत: संज्ञान लेकर विशेष सुनवाई करते हुए महिला की कुंडली जांचने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. खास बात यह है कि यह स्वत: संज्ञान बेंच खुद चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने गठित की, वह भी तब जब वे खुद देश से बाहर हैं. उनके निर्देशों के बाद जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने यह सुनवाई की.
सुप्रीम कोर्ट के शीर्ष सूत्रों के अनुसार CJI डीवाई चंद्रचूड़ इन दिनों देश से बाहर हैं. सुप्रीम कोर्ट में अवकाश चल रहा है और उन्होंने इसके लिए तीन वेकेशन बेंचों का गठन किया है.
शनिवार को सुबह-सुबह विदेश में ही CJI चंद्रचूड़ को इलाहाबाद हाईकोर्ट के 23 मई के उस आदेश की जानकारी मिली जिसमें हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के हेड को एक महिला की कुंडली की जांच करने का निर्देश दिया था, ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह लड़की मांगलिक है या नहीं.
जानकारी के मुताबिक CJI चंद्रचूड़ को इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री से संपर्क किया और उस मुद्दे पर स्वत: संज्ञान लेकर बेंच का गठन कर सुनवाई के निर्देश दिए. CJI के निर्देशों के बाद जस्टिस सुधांशु धुलिया और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने तीन बजे यह सुनवाई की और इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच की सुनवाई पर रोक लगा दी.
सुप्रीम कोर्ट के सूत्रों के अनुसार CJI चंद्रचूड़ न्यायपालिका को लेकर हमेशा सतर्क रहते हैं. पहले भी उन्होंने छुट्टी होने के बावजूद इस तरह के फैसले किए हैं.
दरअसल 23 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रेप पीड़िता की कुंडली जांचने का आदेश दिया था. यह आदेश हाईकोर्ट ने रेप के आरोपी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफसर की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए दिया. हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को आदेश दिया कि वह एक सप्ताह के भीतर पीड़ित युवती की कुंडली की जांच करके बताए कि वह मांगलिक है या नहीं. पीड़िता की कुंडली सीलबंद लिफाफे में मांगी गई है.
दरअसल इलाहाबाद विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर रेप के आरोप में जेल में बंद हैं. आरोपी शिक्षक ने अपनी जमानत के लिए हाईकोर्ट में अर्जी लगाई थी. उस पर सुनवाई के दौरान आरोपी ने अपने वकील के माध्यम से कहा कि पीड़िता मांगलिक है, इसलिए वह उससे शादी नहीं कर सकता.
हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता मांगलिक है या नहीं, यह जांच के बाद पता चलेगा. हाईकोर्ट ने लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को पीड़िता की कुंडली देखने का आदेश दिया है और इसकी रिपोर्ट एक सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराने को कहा है. पीड़िता की कुंडली सीलबंद लिफाफे में मांगी गई है.
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