NCP में टूट के बाद क्या करेंगे शरद पवार? क्या इस बार भी कर पाएंगे वापसी?

जब भी संकट आता है शरद पवार नई उर्जा के साथ उभर आते हैं और लोगों में जा कर खुद को साबित करते हैं. ये महाराष्ट्र ने बार बार देखा है. आज जो शुरू हुआ है यह शरद पवार के जिंदगी की चौथी इनिंग है. 

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नई दिल्ली:

एनसीपी में टूट के बाद अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि शरद पवार आगे क्या करेंगे और एनसीपी का क्या होगा. क्या अजित पवार के जाने के बाद एनसीपी के वजूद पर खतरा मंडरा रहा है .क्या शरद पवार और सुप्रिया सुले एनसीपी को बचा पाएंगे और खुद शरद पवार की हैसियत भारतीय राजनीति में उसी तरह बरकरार रहेगी जो अभी तक है. 

एनसीपी से अजित पवार के अलग होने के बाद अगले ही दिन शरद पवार सतारा के कराड पहुंचे और अपने राजनीतिक गुरू यशवंत राव चव्हाण की समाधि पर फूल चढाया. शरद पवार के साथ कराड से कांग्रेस के नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान भी साथ थे. पवार ने एनसीपी पर आए संकट की घड़ी में वही किया जिसके लिये वो जाने जाते हैं. वो अपनी पार्टी की लड़ाई को अब लोगों के बीच लेकर जाना चाहते हैं. एनसीपी को फिर खड़ा करने में इस बार उनके साथ तीसरी पीढी के रोहित पवार भी साथ दिखे जो विधायक भी हैं. शरद पवार ने 5 जुलाई को मुबंई में  एनसीपी विधायकों और पदाधिकारियों की बैठक भी बुलाई है.

यह पहली बार नहीं है कि शरद पवार ने अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में कोई राजनीतिक संकट झेला हो और वापसी ना की हो. पवार की राजनीतिक जीवन में कम से कम चार ऐसे मौके आए हैं जब उन्होने दुबारा से शुरूआत करके अपनी राजनीतिक साख बचाई है. और अपनी राजनीतिक जमीन पाई है.

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शरद पवार ने बार-बार की है वापसी

आज से लगभग 45 साल पहले साल 1978 में शरद पवार ने यशवंतराव चव्हाण (कांग्रेस-U) और वसंतदादा पाटिल की सरकार को छोड़कर जनता पार्टी की मदद से अपनी सरकार बनाई थी. उस समय मात्र 38 साल की उम्र में शरद पवार मुख्यमंत्री बने थे.  1999 में  कांग्रेस पार्टी को छोड़कर संगमा, तारिक़ अनवर के साथ मिलकर पवार ने NCP का गठन किया था. विधानसभा चुनाव बाद कांग्रेस के साथ मिलकर ही उन्होंने बाद में सरकार बनाई थी. विलासराव देशमुख मुख्यमंत्री बने थे. 

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बीजेपी-शिवसेना के बीच मजबूत गठबंधन था.  पवार के नेतृत्व में कांग्रेस से ज़्यादा सीट लेकर NCP उभरी.अजित पवार की बग़ावत किया लेकिन शरद पवार उसे सुलझाने में सफल रहे.  शरद पवार ने महाविकास अघाड़ी का गठन किया. उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनाए गए. 

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साल 2023 में एक बार फिर शरद पवार मुश्किलों में हैं. अजित पवार ने बगावत कर दी है. शरद पवार ने एक बार फिर सतारा से शुरुआत की है. महाराष्ट्र की राजनीति पर नजर रखने वाले भी मानते हैं कि हालांकि इस बार शरद पवार के सामने चुनौतियां बड़ी है. लेकिन वो इस खेल के माहिर खिलाड़ी हैं और एनसीपी को दुबारा खड़ा कर सकते हैं. 

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शरद पवार कुशल संगठनकर्ता माने जाते हैं

जब भी संकट आता है शरद पवार नई उर्जा के साथ उभर आते हैं और लोगों में जा कर खुद को साबित करते हैं ..ये महाराष्ट्र ने बार बार देखा है..आज जो शुरू हुआ है यह शरद पवार के जिंदगी की चौथी इनिंग है. वरिष्ठ पत्रकार वेंकटेश केसरी का कहना है कि शरद पवार अच्छे संगठनकर्ता है. मगर उम्र उनके आड़े आ सकता है देखते हैं वो अपनी पार्टी को कितना समय दे पाएंगे.

शरद पवार के हर कदम पर विपक्ष के तमाम नेताओं की भी नजर हैं जब से एनसीपी पर संकट आया है लगभग सभी विपक्षी नेताओं ने उनसे संर्पक किया है. विपक्ष की अगली बैठक बेंगलूरू में 17-18 जुलाई में होने वाली है. लेकिन शरद पवार की ताकत महाराष्ट्र है और वहां उनको अपनी जमीन मजबूत करनी होगी ताकि राष्ट्रीय स्तर पर उनका राजनीतिक रसूख बना रहे.

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