बेंगलुरु:
कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार द्वारा आरसीबी की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान मची भगदड़ को लेकर बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर रहे बी दयानंद को निलंबित किए जाने से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है. चिन्नास्वामी स्टेडियम के गेट पर बुधवार को भगदड़ मचने से 11 लोगों की मौत हो गई और 47 लोग घायल हो गए.
यहां जानिए शीर्ष पुलिस अधिकारी के लिए आगे क्या होने वाला है...
- सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि केंद्र सरकार पुलिस कमिश्नर के निलंबन को मंजूरी देगी या नहीं. कर्नाटक में विपक्षी भाजपा के नेताओं ने शीर्ष पुलिस अधिकारी और अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को बलि का बकरा बनाने के लिए सिद्धारमैया सरकार की आलोचना की है.
- नियमों के अनुसार, केंद्र सरकार को 30 दिनों के भीतर पुलिस आयुक्त, जो एक भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी है, के निलंबन की पुष्टि करनी होती है. केंद्र की ओर से कोई पुष्टि नहीं होने पर ये कार्रवाई नहीं मानी जाएगी.
- कई आईपीएस अधिकारी निलंबित शीर्ष पुलिस अधिकारी के पीछे मजबूती से खड़े हैं. उन्होंने भाजपा नेताओं से कहा है कि सिद्धारमैया सरकार द्वारा लिए गए फैसले की पुष्टि नहीं करने के लिए केंद्र सरकार से कहें.
- बेंगलुरु के पूर्व पुलिस कमिश्नर और भाजपा नेता भास्कर राव ने कहा कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया "घबराहट की स्थिति में आ गए हैं." राव ने कहा कि वह अपनी पार्टी से निलंबन वापस लेने की मांग भी करेंगे.
- सूत्रों ने बताया कि भगदड़ को लेकर शीर्ष पुलिस अधिकारी और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई ने पुलिस बल के मनोबल को प्रभावित किया. राव ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "बेंगलुरु सिटी पुलिस कमिश्नर का निलंबन कर्नाटक पुलिस के इतिहास का सबसे काला दिन है.ये सच बोलने का इनाम है. कमिश्नर ने और उनकी टीम ने बेंगलुरु को सुरक्षित रखने के लिए पूरी रात काम किया."
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