महाराष्‍ट्र में कोरोना के नए केस बढ़ने का कारण 'डबल म्‍यूटंट' वैरिएंट तो नहीं, जानें क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ..

महाराष्ट्र में जो 'डबल म्‍यूटंट' वैरिएंट है वो E484Q और L452R म्‍यूटेशंस का कॉम्बिनेशन है. वायरस में बदलाव आते रहते हैं मगर अधिकतर की वजह से ज्‍यादा परेशानी नहीं होती

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महाराष्‍ट्र में महज़ चार दिनों में ही क़रीब 1,16,000 कोविड के नए केस रिपोर्ट किए गए हैं (प्रतीकात्‍मक फोटो)
मुंंबई:

Maharashtra corona cases update: महाराष्‍ट्र में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं. देश के नए लगभग 60% कोविड मामले रोजाना अकेले महाराष्ट्र से रिपोर्ट हो रहे हैं. दो हफ़्तों में नए मामलों में  ज़बरदस्त तेज़ी आयी है. सरकार को महाराष्ट्र के 206 सैम्पल में ‘डबल म्‍यूटंट' वैरिएंट' (Double mutant Variant) मिला है. महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित कोविड टास्क फ़ोर्स का मानना है कि महाराष्ट्र में अचानक बढ़े मामलों (New corona cases in Maharashtra) का अहम कारण नया वेरिएंट हो सकता है. कोविड अस्पतालों में दो-तीन हफ़्तों में चार गुना मरीज़ बढ़े हैं. राज्‍य में बेकाबू होता जा रहा कोरोना अब अस्पतालों में भीड़ बढ़ा रहा है. सरकार ने पुष्टि की है कि वायरस रूप बदल चुका है.

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क्या होता है Double mutant Variant
महाराष्ट्र के 206 सैम्पल्ज़ में कोरोना वायरस का एक नया 'डबल म्‍यूटंट' वैरिएंट मिला है. नागपुर में करीब 20% सैम्‍पल इसी वैरिएंट के हैं. आसान भाषा में कहें तो 'डबल म्‍यूटेशन' तब होता है जब वायरस के दो म्‍यूटेटेड स्‍ट्रेन्‍स मिलकर एक तीसरा स्‍ट्रेन बनाते हैं. महाराष्ट्र में जो 'डबल म्‍यूटंट' वैरिएंट है वो E484Q और L452R म्‍यूटेशंस का कॉम्बिनेशन है. वायरस में बदलाव आते रहते हैं मगर अधिकतर की वजह से ज्‍यादा परेशानी नहीं होती. लेकिन कुछ म्‍यूटेशंस के चलते वायरस ज्‍यादा संक्रामक या घातक हो सकता है.

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क्‍या कहते हैं विशेषज्ञ

नागपुर में दो हफ़्तों में कोविड केसों में 140% का उछाल देखा है, 20% सैम्पल में नया वेरिएंट यहा देखने को मिला है. सरकार कहती है कि वेरिएंट से उछाल का कनेक्शन नहीं है. नागपुर के सरकारी मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट कहते हैं कि ऐक्टिव मामलों में अचानक तेज़ी आयी है.सरकारी मेडिकल कॉलेज के सुपरिटेंडेंट डॉ अविनाश गावंडे बताते हैं, 'इसमें ट्रांसमिशन ज़्यादा है, पिछले बार के मुक़ाबले कई गुना ज़्यादा ऐक्टिव केसेस अभी हैं, वैसे उसकी तुलना में गंभीर मरीज़ अभी कम हैं.''नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के डायरेक्‍टर डॉ. सुजीत कुमार कहते हैं, ‘'E484Q, L452R महाराष्ट्र के 206 सैम्पल में ये मिले हैं. दिल्ली के 9 सैम्पल में मिले हैं. नागपुर में हमें 20% सैम्पल में ये मिले हैं. हालांकि कोविड मामलों में उछाल से इसको जोड़कर नहीं देख सकते. अभी तक का डेटा ऐसा नहीं कहता.''

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महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित टास्क फ़ोर्स के सदस्य और फ़ोर्टिस क्रिटिकल केयर के डायरेक्टर डॉक्टर राहुल पंडित मानते हैं कि नया वेरिएंट अचानक बढ़े संक्रमण के फैलाव का अहम कारण हो सकता है. उन्‍होंने कहा, ‘'इस वक़्त जो हमारे पास मरीज़ आ रहे हैं, ज़रूर इसमें म्यूटंट वेरिएट एक वजह है, ये फैलाव काफ़ी जल्दी हुआ है और शायद हमारी इन्यूनिटी से भी ये बच जाए. सभी मरीज़ों की तो जीनोम सीक्वेंसिंग नहीं हुई है लेकिन काफ़ी देखने मिल रहा है किकई मरीज़ जो एसिम्प्टमैटिक हैं उनमें से कई को सातवें या आठवें दिन सिम्प्टम दिखने लगते हैं.लंग्स पर असर दिख रहा है और अस्पताल आने की ज़रूरत पड़ रही है. 

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मुंबई में बुधवार को सबसे ज़्यादा 5,185 नए कोविड केस रिपोर्ट हुए, कोविड जंबो सेंटर के डीन बताते हैं की तीन हफ़्ते में चार गुना मरीज़ बढ़े हैं.  बीकेसी जंबो हॉस्पिटल के डीन डॉ. राजेश डेरे कहते हैं, ‘'हमारे पास डेढ़ सौ से लेकर पौने दो सौ के आसपास मरीज़ थे. आज 940 के क़रीब मरीज़ हैं, आईसीयू के 108 बेड में 80 से ज़्यादा फुल हैं. डायलसिस के 12 में से 6 बेड डेली चल रहे हैं. तीन हफ़्तों में 4 गुना मरीज़ बढ़े हैं.''सभी उम्र पर संक्रमण हावी है, आईसीयू और वेंटिलेटर बेड की ज़रूरत बढ़ने लगी है फ़ोर्टिस क्रिटिकल केयर के डायरेक्टर डॉ राहुल पंडित के अनुसार, ‘'क़रीब क़रीब सभी उम्र के लोग हैं जिनमें संक्रमण दिख रहा है. लगभग सभी मरीज़ या तो ऑक्सिजन या BiPAP मशीन पर हैं. थोड़े मरीज़ों को वेंटिलेटर की ज़रूरत पड़ रही है, पर इसकी संख्या कुछ दिनों में बढ़ी है. कुछ समय पहले अगर 10% लोग वेंटिलेटर पर थे तो अब 25% वेंटिलेटर पर हैं. मुझे डर है कि जैसे-जैसे नम्बर बढ़ते जाएंगे. सीरियस पेशेंट की संख्या शायद बढ़ेगी.'' महाराष्ट्र राज्‍य की बात करें तो यहां महज़ चार दिनों में ही क़रीब 1,16,000 कोविड के नए केसस रिपोर्ट किए गए हैं. नए वेरिएंट पर वैज्ञानिक और डेटा तैयार कर रहे हैं. सरकार ने साफ़ किया है कि जहां तक वैक्‍सीन के इस नए वैरिएंट पर असर की बात है तो अभी तक ऐसी कोई वजह नहीं मिली है जिससे ये माना जाए कि टीके इनसे सुरक्षा देने में नाकामयाब होंगे.

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