Explainer : क्या है 'स्टिकी बम' जो बना आतंकियों का नया 'हाथ'? अमरनाथ यात्रा को लेकर खास अलर्ट

ब्रिटेन के स्टुअर्ट मैक्रे ने स्टिकी बम को पहली बार 1940 में बनाया था. 10 इंच के लंबाई के इस बम का वजन लगभग 1 किलो होता है. द्वितीय विश्वयुद्ध में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था.

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बम को निष्क्रिय करते सुरक्षाकर्मी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में बड़ी आतंकी साजिशों के नाकाम होने से झुंझलाए टेररिस्ट अब बदलते वक्त के साथ आतंक फैलाने के नए तरीके अपना रहे हैं. हाल के दिनों में घाटी में सुरक्षा कर्मियों (Security Force) ने एक नए तरह का बम बरामद किया है, जिसका नाम है 'स्टिकी बम' (Sticky Bomb), यानी चिपकाना वाला बम. इसे किसी भी वाहन पर चिपकाया जा सकता है और टाइमर या रिमोट के जरिये इसे नियंत्रित किया जा सकता है.

सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने पिछले साल फरवरी में सांबा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास ड्रोन से गिराए गई हथियारों की एक खेप को जब्त किया था, जिसमें 14 आईईडी के अंदर चुंबक लगा हुआ था. यह इस तरह की बरामद की गई विस्फोटक की पहली खेप थी.

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इसीलिए अब जम्मू कश्मीर में वार्षिक अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) के दौरान तैनात किए जाने वाले केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के जवानों को 'स्टिकी बम' (Sticky Bomb) के खतरों से निपटने के लिये प्रशिक्षित भी किया गया है. सुरक्षा बलों की सतर्कता के कारण आतंकवादियों द्वारा ‘स्टिकी बम' का इस्तेमाल कर हमला करने की कई साजिशों को बीते एक साल के दौरान नाकाम किया गया है.

क्या है 'स्टिकी बम'?
'स्टिकी' का मतलब होता है चिपकाने वाला, यानि ऐसी तकनीक जिसमें विस्फोटक के साथ चुंबक लगा हो, ताकि वो मेटल की किसी भी सतह पर चिपकाया जा सके. इसे मैग्नेटिक बम भी कहते हैं. आपने कई फिल्मों में देखा होगा, जिसमें खलनायक गाड़ियों पर कहीं चुंबक वाला बम चिपका देता और उसे रिमोट के जरिए कंट्रोल करता है. फिर जब उसकी मर्जी होती है उसे विस्फोट कर देता है. 'स्टिकी बम' में टाइमर भी होता है, मतलब तय समय में इसमें विस्फोट किया जा सकता है. ये आकार में काफी छोटा, लेकिन खतरनाक होता है.

कैसे होता है इस्तेमाल?
'स्टिकी बम' का इस्तेमाल ज्यादातर गाड़ियों पर किया जाता है, चुकि वो मेटल का बना होता है इसीलिए चुंबक के साथ आसानी से चिपक जाता है और गाड़ी पेट्रोल या डीजल की होने की वजह से विस्फोट और भी बड़ा होता है. इसका धमाका सभी दिशाओं में बराबर असर करता है, इसीलिए नुकसान भी बड़ा होता है. अधिकारियों का कहना है कि सतर्कता से ही इससे बचा जा सकता है.

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क्यों इस्तेमाल करना है ज्यादा आसान?
कम वजन और छोटे आकार का होने की वजह से इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना काफी आसान होता है. ये बम काफी कम खर्च में भी बन जाता है. इसे आसानी से छुपकर किसी गाड़ी में चिपकाकर धमाका किया जा सकता है. इसीलिए आतंकी अब इस बम का इस्तेमाल ज्यादा करने लगे हैं. जम्मू-कश्मीर में हाल के वारदातों में ये देखा भी गयी है. आतंकी इसे दूसरे देशों से तस्करी कर मंगाते हैं.

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स्टुअर्ट मैक्रे ने बनाया था पहली बार
ब्रिटेन के स्टुअर्ट मैक्रे ने इसे पहली बार 1940 में बनाया था. 10 इंच के लंबाई के इस बम का वजन लगभग 1 किलो होता है. द्वितीय विश्वयुद्ध में इसका पहली बार इस्तेमाल किया गया था. हाल ही में अफगानिस्तान में तालिबान ने इस बम का कई बार इस्तेमाल किया. वहीं इरान में भी हाल के दिनों में स्टिकी बम का इस्तेमाल कर कई बार तबाही मचाई गई है.

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43 दिनों तक चलने वाली अमरनाथ यात्रा इस बार 30 जून से दो मार्गो, दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में नूनवान से 48 किलोमीटर और मध्य कश्मीर के गांदेरबल से 14 किलोमीटर छोटे मार्ग बालटाल से होगी. कोविड के कारण इस बार दो साल के अंतराल के बाद हो रही इस यात्रा को लेकर सुरक्षा बल काफी सतर्क हैं. इस यात्रा के दौरान आतंकियों के 'स्टिकी बम' इस्तेमाल करने की भी आशंका है. हालांकि सुरक्षा कर्मियों ने इससे पहले भी इस तरह की कई साजिशों को नाकाम किया है.
 

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