जानें, राजस्थान में 'प्रीप्लांटरी मॉडल' क्या है... जिसकी सुप्रीम कोर्ट ने की तारीफ

जस्टिस मेहता ने कहा, "हमें राजस्थान के एक जिले में तैयार किए गए प्रीप्लांटरी मॉडल से प्रेरणा लेनी चाहिए. अत्यधिक खनन के कारण, गांव में पर्यावरण को बहुत नुकसान हुआ है."

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(फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के एक जिले में चल रहे 'प्रीप्लांटरी मॉडल' की सराहना की है. दरअसल, इस योजना के तहत, जिले में जन्म लेने वाली हर लड़की के लिए 111 पौधे लगाए जाते हैं. जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस एसवीएन भट्टी और जस्टिस संदीप मेहता की तीन जजों की बेंच ने राजस्थान  में 'पवित्र पेड़ों' के संरक्षण से संबंधित अपना फैसला सुनाते हुए इसका जिक्र किया है. 

जस्टिस मेहता ने कही ये बात

जस्टिस मेहता ने कहा, "हमें राजस्थान के एक जिले में तैयार किए गए प्रीप्लांटरी मॉडल से प्रेरणा लेनी चाहिए. अत्यधिक खनन के कारण, गांव में पर्यावरण को बहुत नुकसान हुआ है. उस जगह के सरपंच के दूरगामी दृष्टिकोण के कारण, हर लड़की के जन्म पर 111 पेड़ लगाए जाते हैं. यह बहुत सराहनीय है और अब तक वहां लगभग 14 लाख पेड़ लगाए जा चुके हैं".

सुप्रीम कोर्ट ने कहा - यह लैंगिक न्याय को भी दर्शाता है

यह लैंगिक न्याय को भी दर्शाता है और कन्या भ्रूण हत्या की घटनाओं पर भी रोक लगाता है. यह एक शानदार पहल है क्योंकि अब महिलाओं की आबादी अन्य से अधिक है. हम राजस्थान राज्य में 'पवित्र वनों' के संरक्षण के मुद्दे पर विचार कर रहे हैं. राज्य में पवित्र वनों को संरक्षित करने की जरूरत है. राज्य के वन विभाग को उपग्रह द्वारा स्पष्ट और विस्तृत मानचित्रण करने और उन्हें वन के रूप में वर्गीकृत करने का निर्देश दिया गया है.

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हमारे निर्देश का भी इस निर्णय में किया जाना चाहिए पालन

राजस्थान को इस निर्णय में हमारे निर्देशों का पालन करना चाहिए. 'पवित्र वनों' को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षण दिया जाना चाहिए और उन्हें 'सामुदायिक रिजर्व' घोषित किया जाना चाहिए . हमने राज्य से इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति बनाने के लिए कहा है, जिसकी अध्यक्षता हाईकोर्ट के जज करेंगे. अदालत ने फैसले में अन्य निर्देश भी पारित किए हैं.

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