साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी में उन्मादी भीड़ ने आग लगा दी थी
वर्ष 2002 में 27 फरवरी को गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी को बंद कर आग लगा देने वाले 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज़मानत दे दी है. उम्रकैद की सज़ा काट रहे इन दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत दी गई है, क्योंकि ये सभी 17 से 20 साल की सज़ा काट चुके हैं. लेकिन कोर्ट ने इसी केस के उन चार दोषियों को ज़मानत देने से इनकार कर दिया, जिन्हें निचली अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई थी, लेकिन फिर हाईकोर्ट ने सज़ा को उम्रकैद में बदल दिया था. आइए जानते हैं, क्या था गोधरा कांड.
- दरअसल, 27 फरवरी, 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन से रवाना हुई साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी में उन्मादी भीड़ ने आग लगा दी थी, जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी.
- अहमदाबाद की ओर जा रही साबरमती एक्सप्रेस अभी गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोक दी थी, और फिर पथराव के बाद ट्रेन के एक डिब्बे को आग के हवाले कर दिया गया था. ट्रेन में सवार लोग हिन्दू तीर्थयात्री थे और अयोध्या से लौट रहे थे.
- इस घटना के बाद गुजरात के कई इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी. हालात पर काबू पाने के लिए सेना को बुलाना पड़ा था.
- इस केस में 1,500 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई थी. ट्रेन जलाने के मामले में गिरफ़्तार किए गए लोगों पर POTA लगाया गया.
- इस केस में उम्रकैद की सज़ा काट रहे 27 दोषियों ने ज़मानत अर्ज़ी दाखिल की थी, जिनमें से 8 की अर्ज़ी मंज़ूर कर ली गई है. एक दोषी की अग्रिम ज़मानत की अवधि को उसकी पत्नी को कैंसर हो जाने के कारण पहले ही बढ़ा दिया गया था.
- इस केस में विशेष अदालत ने कुल 31 लोगों को दोषी करार दिया था, और 63 अन्य को बरी कर दिया था. विशेष अदालत ने गोधरा कांड में 31 दोषियों में से 11 को फांसी और 20 को उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी.
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