पार्सल, गिफ्ट और पुलिस की वर्दी.... एक वॉट्सऐप कॉल के जरिए आप हो सकते हैं डिजिटल अरेस्ट, समझें कैसे हो रहा फ्रॉड

डिजिटल अरेस्ट आजकल ऑनलाइन फ्रॉड और स्कैम का नया तरीका है. इसमें आपको डायरेक्ट कॉल नहीं की जाती. स्कैमर्स आपको वॉट्सऐप कॉल करके किसी न किसी बहाने ब्लैकमेलिंग की कोशिश करते हैं. कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है.

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प्रतीकात्मक फोटो.

विपुल- हैलो
प्रवीण- जी बताएं
विपुल- आप प्रवीण मिश्रा बोल रहे है?
प्रवीण- बोल रहा हूं
विपुल- मैं कस्टम से बोल रहा हूं, आपके नाम से एक पार्सल मुंबई से ईरान जा रहा है...उसमें ड्रग्स पकड़ा गया है.
प्रवीण- मैंने तो कोई पार्सल किया ही नहीं है.
विपुल- आपका आधार नंबर- 666 332 4251 है ना?
प्रवीण-नहीं मेरा नंबर तो कुछ और है.
विपुल- क्या नंबर है
प्रवीण- मेरा आधार नंबर तो 644 412 4221 है
विपुल- आप नर्वस मत होइए...मैंने भी तो यही नंबर बोला था.

यहीं से सामने वाला आपके करीब आने की कोशिश करता है...और धीरे धीरे आप हो जाते हैं डिजिटल अरेस्ट. इन दिनों ये शब्द बहुत चर्चा में है. NDTV ने डिजिटल अरेस्ट पर दिल्ली पुलिस के DCP (IFSO) हेमंत तिवारी से खास बातचीत की है. आइए जानते हैं आखिर क्या है डिजिटल अरेस्ट? इससे बचने के लिए कौन-कौन सी सावधानियां जरूरी:-

डिजिटल अरेस्ट क्या है?
डिजिटल अरेस्ट आजकल ऑनलाइन फ्रॉड और स्कैम का नया तरीका है. इसमें आपको डायरेक्ट कॉल नहीं की जाती. स्कैमर्स आपको वॉट्सऐप कॉल करके किसी न किसी बहाने ब्लैकमेलिंग की कोशिश करते हैं. कानून में डिजिटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है. इस तरह की कॉलिंग में स्कैमर्स में कोई पुलिस की वर्दी पहनकर या सरकारी विभाग का अधिकारी बनकर ठगी को अंजाम देता है. पहले वो आपको किसी जानकारी (ये फर्जी भी हो सकती है) को लेकर मेंटली टॉर्चर करते हैं. फिर आने वाले कुछ घंटों या कुछ दिनों में बहुत कुछ खराब होने की चेतावनी देते हैं. साइबर ठग पुलिस की वर्दी में होता है, इसलिए इस तरह की कॉलिंग में ज्यादातर लोग नर्वस हो जाते हैं. बस वहीं से स्कैमर्स आपको अपनी जाल में फंसा लेते हैं.    

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कैसे करते हैं डिजिटल अरेस्ट?
कंप्यूटर रिकॉर्डेड कॉल आपको बताती है कि हम TRAI से बोल रहे हैं... या हम कस्टम से बोल रहे हैं या हम RBI से बोल रहे हैं...या हम CBI से बोल रहे हैं या ED के अधिकारी बोल रहे हैं. वो किसी भी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी का नाम बताते हैं. वो कहते हैं आपके लिए एक बहुत महत्वपूर्ण मैसेज है, अगर आप सुनना चाहते हैं तो 9 दबाएं... इस तरह के कंप्यूटर जेनरेटेड कॉल के बाद विक्टिम उत्सुकतावश 9 दबा देता है. 9 दबाते ही कॉल सेंटर में कॉल ट्रांसफर हो जाती है. वहां कोई कॉल उठाता है, उनसे पूछा जाता है कि बताएं क्यों कॉल किया है. वो ऐसे जाहिर करते हैं कि कॉल आपने किया है. फिर विक्टिम कहेगा कि कॉल तो आपके तरफ से आई है. तब वो पूछते हैं अपना नाम बताइए...नाम बताने के साथ ही चीटिंग का सिलसिला शुरू हो जाता है.

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डिजिटल अरेस्ट की पहचान कैसे कर सकते हैं?
दिल्ली पुलिस के DCP (IFSO) हेमंत तिवारी  बताते हैं, "डिजिटल अरेस्ट की पहचान करने के लिए सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है. अगर आपके पास अनजान नंबर से कोई फोन कॉल आता है तो आपको अलर्ट हो जाना पड़ेगा. आपको अपनी पर्सनल इंफो और बैंक की डिटेल लीक शेयर नहीं करनी है.

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स्कैमर्स आपको यकीन दिलाते हैं कि आपसे जाने अनजाने कोई गलती हो गई है. आपके आधार या पैन का गलत इस्तेमाल किसी अनजान ने किया है. जिसके कारण कोई जांच है, जो किसी लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी में शुरू हो गई है. जब आप उस कॉल टेकर को बताते हैं कि मेरी गलती नहीं है...तब वह कहता है शायद आपके डॉक्युमेंट का गलत इस्तेमाल हो गया है. मैं आपकी कॉल क्राइम ब्रांच या कस्टम उसमें ट्रांसफर कर रहा हूं. वहां जो अधिकारी बैठे हैं, उनके सामने आप अपना ऑनलाइन बयान दे दीजिए. उसके बाद आपका केस क्लोज कर दिया जाएगा.

विक्टिम एक कॉल पर कैसे बंध जाता है?
दरअसल, स्कैमर्स इसलिए ऐसा करते हैं, ताकि आप अपनी मदद के लिए किसी और से बात न कर पाए. विक्टिम को लगता है कि धोखे से अगर कुछ हो गया है, तो मैं अपनी बात रखकर मैटर को क्लोज करा देता हूं. इसके बाद अगली एसेंजी से बात करना विक्टिम की सबसे बड़ी गलती होती है. वहीं, पर डार्क साइकोलॉजी शुरू होती है. इस तरीके से विक्टिम को मैन्युपुलेट करते हैं कि वो मजबूर हो जाता है कि उनकी कही बात को माने.

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साइबर स्लैवरी क्या होती है?
डिजिटल अरेस्ट के दौरान सारे लोग जो आपसे बात कर रहे हैं, वो खुद में विक्टिम होते हैं. साइबर स्लैवरी एक टर्म है. ये हर देश में हो रहा है. हर देश में युवाओं को प्रेरित करते हैं कि विदेश में आपकी जॉब लगवा देंगे. शर्त ये कि आपको जरूरी भाषा में बात करनी आनी चाहिए. मसलन अगर राजस्थान के रहनेवालों को चीट करना है, तो आपको राजस्थानी आनी चाहिए. तमिल के लिए तमिल या अंग्रेजी की जानकारी होनी चाहिए. कंप्यूटर पर डेटा फीड करना आना चाहिए. ये आपसे एक साल का कॉन्ट्रैक्ट कराते हैं. आप उनके कहे अनुसार चीट करने का काम करते रहे तो कोई दिक्कत नहीं है. वरना आपको भी हैरेस किया जाएगा.

जो पैसा ट्रांसफर होता है, कहां जाता है?
सारे के सारे पैसे म्यूल अकाउंट में आते हैं. म्यूल का मतलब ये कि जिस बंदे के नाम पर अकाउंट है, उसे उसकी जानकारी नहीं है. अगर है भी तो उससे ट्रिक करके खुलवाई जाती है.

पैसा वापस लेने का क्या प्रोसेस होता है
चैसे ही आपको पता चले कि फ्रॉड हो गया है. आपको 1930 पर तुरंत कॉल करना है. वहां आपकी बेसिक जानकारी मांगी जाएगी. ट्रांजैक्शन डीटेल मांगा जाएगा. डिटेल बताने पर आपके मोबाइल पर मैसेज से एक लिंक भेजा जाएगा. ताकि आप इस लिंक पर अपनी डिटेल अपडेट कर दें. इसके बाद मामला संबंधित पुलिस स्टेशन के पास जाएगा. संबंधित बैंक को मैसेज जाएगा. आप जितनी जल्दी कॉल करेंगे, उतनी जल्दी जांच शुरू होगी.

स्कैमर्स को हमारी इंफॉर्मेशन कैसे मिलती है?
ट्रू कॉलर के अलावा हमलोग कहीं भी अपने डिजिटल फुट प्रिंट छोड़ देते हैं. मोबाइल नंबर और नाम दर्ज कर देते हैं. मोबाइल अब पार्ट ऑफ लाइफ है. बिजली, पानी के अलावा अब मोबाइल भी बेसिक जरूरत में है. हम कई जगह नाम और नंबर शेयर कर देते हैं. अभी हमारा डेटा प्रोडक्शन प्रोटोकॉल बहुत वीक है. वहां से ये नंबर डार्क वेव पर चले जाते हैं और स्कैमर्स के हाथ लग जाते हैं.

डिजिटल अरेस्ट से बचने के लिए क्या करें?
डिजिटल अरेस्ट में साइबर ठगों का सबसे बड़ा हथियार वॉट्सऐप है. वॉट्सऐप वीडियो कॉल के जरिए ही वह लोगों को अपना शिकार बनाते हैं. इसलिए सबसे पहले अपने वॉट्सऐप की सेटिंग्स में कुछ बदलाव करें, जिससे अगर कोई अनजान नंबर से कॉल आए तो आपके पास सिर्फ नोटिफिकेशन पहुंचे. इसके बाद इन बातों का ध्यान रखें:-

-अनजान नंबर से आए कॉल को तुरंत ट्रू-कॉलर जैसे ऐप से वेरिफाई जरूर करें.
-आपके मोबाइल पर जो नंबर सेव नहीं है, आम तौर पर इन नंबरों से आई कॉल को इग्नोर करें.
-वॉट्सऐप, फेसबुक या इंस्‍टाग्राम पर आने वाले किसी भी संदिग्ध कॉल को न उठाएं.
-अगर फोन उठा लिया है तो घबराएं नहीं. बस अपनी पर्सनल और फाइनेंशियल जानकारी शेयर न करें.
-इस दौरान फोन पर लंबी बातचीत करने से बचें. शक होने पर तुरंत फोन काट दें. 

अनजान कॉल को कैसे साइलेंट कर सकते हैं?
पिछले कुछ सालों में वॉट्सऐप के अनजान कॉल्स के जरिए स्कैम के मामले तेजी से बढ़े हैं. इसे रोकने के लिए वॉट्सऐप ने एक नया फीचर जोड़ा है. इस फीचर का नाम है- अननोन कॉल साइलेंट. इसे ऑन करते ही Unknown और Spam कॉल्स ऑटोमैटिक म्यूट हो जाएंगे. हालांकि आपके पास किस नंबर से कॉल आया है, यह नोटिफिकेशन के जरिए पता चल सकेगा.

वॉट्सऐप के अननोन कॉल साइलेंट फीचर को ऑन करने के लिए आप सेटिंग्स को ओपन करें. ‘Privacy' के ऑप्शन पर जाकर क्लिक करें. फिर ‘calls' के ऑप्शन पर क्लिक करें. यहां ‘Silence unknown callers' का ऑप्शन मिलेगा. उसे सिलेक्ट करके ऑन कर दें.

फेक कॉल्स की ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं?
वॉट्सऐप पर आने वाले फर्जी कॉल और मैसेज को रोकने को लेकर टेलीकॉम डिपार्टमेंट ने चक्षु पोर्टल लॉन्च किया है. इस पोर्टल पर संदिग्ध मैसेज, कॉल या वॉट्सऐप पर आने वाले स्पैम कॉल्स की शिकायत कर सकते हैं.

दिल्ली में डिजिटल अरेस्ट के कितने मामले?
-दिल्ली में 16 अक्टूब 2023 में डिजिटल अरेस्ट के मामले नहीं थे.
-फरवरी मार्च 2024 से ऐसे मामलों की बाढ़ सी आ गई.
-2024 में अबतक डिजिटल के 38 मामले आए. 
-इनमें से 32 मामलों में अरेस्टिंग हुई है. 44 लोग अरेस्ट हुए हैं.
-अब तक कुल 55 करोड़ की चीटिंग हुई है.