साल 2022 में यूपी समेत पांच राज्यों में चुनावों के लिए EVM और VVPAT को रिलीज करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये मामला सिर्फ चुनाव आयोग तक सीमित नहीं है बल्कि और भी मुद्दे हैं. इसलिए हम अपील दायर करने की समय सीमा पर फिर से विचार करेंगे और सारी याचिकाओं को अगले हफ्ते सूचीबद्ध करेंगे. दरअसल, 2022 में यूपी समेत पांच राज्यों में चुनावों के लिए EVM और VVPAT को रिलीज करने के मुद्दे पर चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. सुप्रीम कोर्ट से छह राज्यों में हो चुके विधानसभा चुनावों के लिए चुनाव याचिकाएं दायर करने की समयसीमा तय करने की गुहार लगाई गई है. आयोग ने इस्तेमाल हुए ईवीएम व वीवीपीएटी को रिलीज करने की मांग की है.
2022 में यूपी समेत 5 राज्यों में चुनावों के लिए EVM के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा चुनाव आयोग
चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से अपनी उस याचिका पर तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई थी जिसमें आरोप लगाया कि छह राज्यों के विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल ईवीएम और वीवीपीएटी अप्रयुक्त पड़े हैं क्योंकि कोविड-19 के कारण चुनाव याचिका समेत अन्य याचिकाओं के दायर करने की समयसीमा को बढाने के कारण उन्हें संरक्षित रखा गया है. आयोग की ओर से पेश वकील वकील विकास सिंह ने पीठ से कहा था कि बड़ी संख्या में ईवीएम) और वीवीपीएटी को अभी भी संरक्षित कर रखा गया है और इन सभी को रिलीज करने की आवश्यकता है. उन्होंने मांग की कि असम, पश्चिम बंगाल, केरल, दिल्ली, पुडुचेरी, तमिलनाडु विधानसभा चुनावों से संबंधित चुनाव याचिकाएं को दाखिल करने के लिए एक समयसीमा तय की जाए. दरअसल, चुनाव आयोग ने कहा है कि अगले साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब आदि राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में आयोग की याचिका पर जल्द सुनवाई जरूरी है.
दरअसल, कोरोना की दसरी लहर की शुरुआत में CJI की अध्यक्षता वाली पीठ ने गत 27 अप्रैल, को चुनाव याचिकाओं समेत अन्य याचिकाएं दायर करने की वैधानिक अवधि में ढील दी थी. नतीजन अब भी कोई उम्मीदवार चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका दायर कर सकता है. यही वजह है कि चुनाव आयोग को ईवीएम और वीवीपीएटी को सुरक्षित रखना है. कुछ महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में इस्तेमाल लाखों ईवीएम और वीवीपीएटी ब्लॉक पड़े हैं और इनका इस्तेमाल आने वाले विधानसभा चुनावों में नहीं किया जा सकता है.
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से असम, केरल, दिल्ली, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल से संबंधित चुनाव याचिकाएं दायर करने के लिए समय सीमा तय करने का आग्रह किया है. यह भारत के चुनाव आयोग के लिए चिंता का कारण है क्योंकि यह अगले साल कुछ राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने वाला है गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश की विधानसभाओं का कार्यकाल 2022 में समाप्त हो रहा है. आवेदन में, यह बताया गया है कि चुनावों के दौरान उचित शारीरिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए चुनाव आयोग ने चुनावों में एक मतदान केंद्र में मतदाताओं की संख्या को 1000 मतदाताओं तक सीमित कर दिया है. इसलिए उन मतदान केंद्रों में अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाए गए जहां मतदाताओं की संख्या 1000 से अधिक थे. इसलिए, आगामी चुनावों में लगभग 37.73 प्रतिशत अतिरिक्त मतदान केंद्र बनाने की आवश्यकता होगी.
पहली बार वोटर बन रहे हैं तो अब वोटर ID के साथ मिलेगा चुनाव आयोग से एक पर्सनल लेटर, जानें क्यों
राज्य विधानसभाओं के आम चुनाव कराने के लिए, आम तौर पर राज्यों को 135% ईवीएम और 145% वीवीपैट (कुल मतदान केंद्रों पर) प्रदान किए जाते हैं. मतदान केंद्रों में अपेक्षित वृद्धि के साथ, ईवीएम और वीवीपीएटी की आवश्यकता को और भी बढ़ाया जा सकता है. यानी इन राज्यों में ईवीएम और वीवीपैट की सामान्य आवश्यकता के अलावा 51% अतिरिक्त ईवीएम और 55% अतिरिक्त वीवीपीएटी आवंटित करने की आवश्यकता है.