बच्चों को हैंडल करना बिल्कुल भी आसान नहीं है. माता-पिता नहीं डाटें तो बच्चे मनमानी करते हैं और अगर डांटें तो बच्चे दिल पर ले लेते हैं. ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि मां-बाप बच्चों को कैसे हैंडल करें. क्यों कि बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है. छोटी-छोटी बातों का उनके मन पर गहरा असर होता है. अगर सबके सामने उनको डांट दिया जाए तो वे इसे बेइज्जती समझ लेते हैं.आहत होकर कई बार वह गलत कदम उठा लेते हैं. हाल ही में पश्चिम बंगाल के पंसकुरा में भी ऐसा ही कुछ हुआ है. 7वीं क्लास में पढ़ने वाले बच्चे ने इसलिए आत्महत्या (West Bengal Suicide) कर ली, क्यों कि उसकी मां ने सबसे सामने उसको डांट दिया था. बच्चा अपने पीछे एक सुसाइड नोट छोड़ गया है, जो झकझोर देने वाला है.
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बच्चे का झकझोर देने वाला सुसाइड नोट
अपने सुसाइड नोट में बच्चे ने लिखा था, 'मां मैंने चोरी नहीं की'. बच्चे के ये आखिरी शब्द दिल को झकझोरकर रख देने वाले हैं. दरअसल हुआ ये कि रविवार को बकुलदा हाई स्कूल में पढ़ने वाले 13 साल के कृष्णेंदु दास पर एक मिठाई की दुकान से चिप्स के तीन पैकेट चुराने का आरोप लगा था. मिठाई की ये दुकान गोसाईंबेर बाजार में एक सिविल वॉलेंटियर शुभांकर दीक्षित की थी. स्थानीय लोगों का कहना है कि शुभांकर की गैरमौजूदगी में बच्चे ने दुकान से चिप्स के 3 पैकेट चुरा लिए.
चिप्स चोरी के आरोप में बच्चे को पीटा
दुकान मालिक ने बच्चे को दुकान से थोड़ी दूर चिप्स के पैकेट के साथ देखा तो उसके पीछे दौड़ पड़ा. उसके चोरी के बारे में पूछताछ की गई. उसने दुकानदार को 5 रुपए के हिसाब से तीन चिप्स के पैकेट के 20 रुपए दे दिए. इसके बाद भी दुकानदार नहीं माना. वह पैसे लौटाने के बहाने बच्चे को वापस दुकान पर ले गया और उसको मारा पीटा. इतना ही नहीं दुकादार ने बच्चे से सार्वजनिक रूप से माफी भी मंगवाई.
मां ने सबसे सामने डांटा, कर ली सुसाइड
बच्चे के साथ ये सब अभी हुआ ही था कि उसकी मां को जैसे ही इस बारे में पता चला वह भी उसे फिर से उसी मिठाई की दुकान पर लेकर गई और सबके सामने डांटा. इस बात से 13 साल का लड़का इस कदर आहत हो गया कि घर लौटते ही उसने आत्महत्या की कोशिश की. गंभीर हालत में उसे तुरंत तामलुक मेडिकल कॉलेज अस्पताल ले जाया गया, जहां गुरुवार को उसकी मौत हो गई.
मां की डांट से बच्चा हुआ आहत
पीड़ित परिवार का आरोप है कि मिठाई दुकानदार के बर्ताव की वजह से बच्चा ऐसा खौफनाक कदम उठाने को मजबूर हो गया. तब से दुकान मालिक फरार है. परिवार इस बात को भी मान रहा है कि मां के सार्वजनिक रूप से डांटे जाने का भी बच्चे के मन पर गहरा असर हुआ. मां की डांट से बच्चा बहुत दुखी था.
मां-बाप ध्यान दें, इन बातों का रखे ख्याल
यह घटना उन मां-बाप के लिए किसी सबक से कम नहीं है, जो बात-बात पर सबके सामने बच्चों को डांट देते हैं. क्यों कि उम्र के इस पड़ाव में बच्चे बहुत ही सेंसिटिव होते हैं. वह इसे अपनी बेइज्जती से जोड़ लेते हैं. कई बार वह ऐसा कदम उठा लेते हैं, जिसके बाद पछताने के अलावा कोई और रास्ता परिवार के पास भी नहीं होता. इसीलिए माता-पिता को बच्चों को हैंडल करने में बहुत ही सतर्कता बरतनी चाहिए. उनको समझाएं न कि सबसे सामने उन्हें डांटें. डाटना भी है तो अकेले में डांटें, ताकि उनको बेइज्जती महसूस न हो.