पश्चिम बंगाल में विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को आरोप लगाया कि राज्य में पंचायत चुनावों के दौरान केंद्रीय बलों को ‘जानबूझकर' तैनात नहीं किया गया. इसपर, सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि यदि केंद्रीय बलों को तैनात किया जाता, तो हिंसा नहीं होती. भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि यदि संवेदनशील स्थानों पर केंद्रीय (सशस्त्र पुलिस) बलों को तैनात किया जाता, तो इतनी हिंसा नहीं होती तथा लोगों ने बिना किसी भय के स्वतंत्र रूप से अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया होता.
उन्होंने कहा, ‘‘केंद्रीय बलों को जानबूझकर संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात नहीं किया गया.''
घोष ने आरोप लगाया कि मतदान केंद्रों पर केंद्रीय बलों को तैनात करने के बजाय उनसे राजमार्गों की गश्ती करवाई गई या उन्हें थानों में रखा गया.
उन्होंने दावा किया, ‘‘जहां कहीं उन्हें तैनात भी किया गया, वहां हिंसा और मतपत्रों की लूट के बाद ऐसा किया गया.''
उन्होंने कहा, ‘‘कलकत्ता उच्च न्यायालय ने उन्हें सभी मतदान केंद्रों पर तैनात करने का आदेश दिया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.''
इस पर, राज्य में सत्तारूढ़ टीएमसी ने कहा कि इस बात की कोई गारंटी नहीं थी कि यदि केंद्रीय बलों को तैनात किया जाता तो हिंसा नहीं होती.
पार्टी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने आरोप लगाया कि 2021 के विधानसभा चुनाव के दौरान कूच बिहार में केंद्रीय बलों की गोलीबारी में चार लोगों की जान चली गई थी.
उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में 61,000 मतदान केंद्रों पर मतदान हुआ तथा हिंसा सिर्फ करीब 60 मतदान केंद्रों पर हुई तथा उनमें से आठ पर ही गंभीर घटनाएं हुई.
उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर मामलों में, हिंसा में तृणमूल कार्यकर्ताओं की ही मौत हुई.''
अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में हुई हिंसा में 15 लोगों की मौत हुई है.
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