गुजरात और राजस्थान में मौसमी बारिश (Rain) की शुरुआत के साथ दक्षिण-पश्चिम मानसून (South West Monsoon) पूरे देश में पहुंच गया है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) ने शनिवार को यह जानकारी दी. मौसम विभाग ने कहा, ‘‘आठ जुलाई की सामान्य तिथि से छह दिन पहले शनिवार को दक्षिण-पश्चिम मानसून पूरे देश में दस्तक दे चुका है.'' एक जून की सामान्य तिथि से तीन दिन पहले 29 मई को दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत केरल में हुई थी.
कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए अहम दक्षिण-पश्चिम मानसून की प्रगति सुस्त रही है और देश में बारिश में आठ प्रतिशत तक की कमी दर्ज की गई है. मौसम वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि आने वाले महीनों में मानसून रफ्तार पकड़ेगा और जुलाई में देश में अच्छी बारिश होगी.
आईएमडी के मुताबिक, राजस्थान को छोड़कर मानसून के कोर जोन में आने वाले सभी राज्यों में अब तक कम बारिश हुई है. मानसून कोर जोन में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्य शामिल हैं जो वर्षा आधारित कृषि क्षेत्र हैं.
गुजरात में 2 जुलाई तक लंबी अवधि के औसत (long period average) की तुलना में 37 फीसदी कम बारिश हुई है, इसके बाद ओडिशा में 34 फीसदी, महाराष्ट्र में 25 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 25 फीसदी, और मध्य प्रदेश में 15 प्रतिशत बारिश हुई है. हालांकि राजस्थान में लंबी अवधि के औसत की तुलना में 33 फीसदी अधिक बारिश हुई है.
आईएमडी द्वारा जारी जुलाई के पूर्वानुमान के अनुसार, पूरे देश में वर्षा का औसत एलपीए के 94 प्रतिशत से 106 प्रतिशत पर सामान्य रहने की संभावना है. 1971-2020 के वर्षा के आंकड़ों के आधार पर जुलाई का एलपीए लगभग 280.4 मिमी है.
मौसम कार्यालय ने अगले पांच दिनों के दौरान ओडिशा, गुजरात, कोंकण और गोवा में, 4 और 5 जुलाई को मध्य भारत में और 5 और 6 जुलाई को उत्तर पश्चिम भारत में बारिश की गतिविधियों के बढ़ने का अनुमान लगाया है.
राज्य मौसम कार्यालय के मुताबिक, मानसून सामान्य से छह दिन पहले ही शनिवार को पूरे देश में छा चुका है, लेकिन इस सीजन में बारिश का औसत 5 फीसदी कम है. दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश में कृषि उत्पादन और आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण मानसून सामान्य से कुछ दिन पहले 29 मई को दक्षिणी केरल राज्य के तट पर पहुंचा था, आशाजनक शुरुआत के बाद बारिश में धीरे-धीरे कम आई है और जून में 8 फीसदी कम बारिश हुई है.
पिछले महीने हुई हल्की बारिश ने धान रोपने की गति को धीमा कर दिया. भारत के चावल किसानों ने इस सीजन में अब तक 43 लाख हेक्टेयर में अनाज बोया है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 27 फीसदी कम है. मानसून में देश की करीब 70 फीसदी बारिश होती है. भारत में चावल उत्पादन और इसके निर्यात के लिए बारिश महत्वपूर्ण है.
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