कर्नाटक के उडुपी जिले के एक सरकारी कॉलेज में कुछ मुस्लिम छात्राएं विरोध प्रदर्शन कर रही हैं. उनकी मांग है कि कक्षाओं के दौरान उन्हें हिजाब पहनने की इजाजत दी जाए. कॉलेज और इन छात्राओं के बीच यह खींचतान लगभग तीन सप्ताह से जारी है. गुरुवार की सुबह इन छात्राओं ने कॉलेज के गेट पर तख्तियों के साथ विरोध प्रदर्शन किया. छात्रों का कहना है कि उन्हें हिजाब पहनने से रोकना उनके मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, और इसके बिना वे पुरुष लेक्चरर्स के सामने बैठने पर असहज महसूस करती हैं. जबकि उनकी सीनियर्स को क्लासरूम में हिजाब पहनने की इजाजत थी. प्रदर्शन कर रही छात्रों में से एक, आलिया ने एनडीटीवी को बताया, "हम हिजाब पहनकर कॉलेज आए थे. हालांकि, हमें एक बार फिर कक्षाओं में जाने से रोक दिया गया है."
रेशम ने कहा, "हमें हिजाब पहन कर क्लास में आने पर 20 दिनों के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. हम न्याय चाहते हैं." एक अन्य छात्रा मुस्कान जैनब ने सवाल किया, "संविधान हमें हिजाब पहनने का अधिकार देता है, कॉलेज इसे क्यों रोक रहा है?"
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ताजा विरोध कॉलेज के अधिकारियों और जिला अधिकारियों द्वारा छात्रों को एक अल्टीमेटम देने के एक दिन बाद शुरू हुआ है. इस अल्टीमेटम में लिखा गया है कि ड्रेस कोड का पालन करें और एक शिक्षा प्राप्त करें, या फिर घर जाएं और अपनी पसंद से पहनें.
राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने एनडीटीवी से कहा था कि यह प्रथा "अनुशासनहीनता" है और स्कूल और कॉलेज "धर्म का पालन करने की जगह नहीं हैं". उनके इस बयान के बाद से ही विरोध प्रदर्शन तेज हो गया. नागेश ने "कुछ लोगों" पर आरोप भी लगाया कि ये लोग 2023 के विधानसभा चुनाव से पहले इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं. "कुछ लोगों" से उनका मतलब पीएफआई से जुड़े कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के लोगों से है जो इन छात्रों का समर्थन कर रहे हैं. हालांकि छात्रों ने आज सीएफआई से किसी भी तरह के संबंध होने से इनकार किया है.
आलिया ने एनडीटीवी से कहा, "हम कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का हिस्सा नहीं हैं. हमें कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया या समर्थन नहीं मिला, इसलिए हमने सीएफआई से संपर्क किया."
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यह पूछे जाने पर कि क्या शिक्षा विभाग को लड़कियों के अपने धर्म का पालन करने से रोकना चाहिए, या क्या हिजाब, स्कार्फ आदि पहनने से किसी दिशा-निर्देश का उल्लंघन होता है, तो नागेश ने कांग्रेस की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब यहा कांग्रेस की सरकार थी, तब सब नियमों का पालन करते थे, लेकिन अब ही इन्हें परेशानी है.
आलिया ने एनडीटीवी को बताया कि उनके वरिष्ठों को कक्षाओं के दौरान हिजाब पहनने की अनुमति दी गई थी, लेकिन ऐसा करने के लिए उन्हें "मानसिक रूप से प्रताड़ित" किया गया.
"कॉलेज में धार्मिक भेदभाव है. हम 'सलाम' नहीं कह सकते. सरकारी कॉलेज होने के बावजूद उर्दू में बात नहीं कर सकते. अन्य छात्रों को तुलु (एक स्थानीय भाषा) में बोलने की अनुमति है. व्याख्याता हमसे तुलु में बात करते हैं, लेकिन हमें उर्दू में बोलने की अनुमति नहीं है." आलिया ने यह भी जोर देते हुए कहा कि कॉलेज के नियम और शर्तें हिजाब पहनने का कोई संदर्भ नहीं देती हैं. वे ऐसा क्यों कर रहे हैं जैसे हम कोई अपराध कर रहे हैं? हम केवल एक स्कार्फ मांग रहे हैं.
कल नागेश ने स्वीकार किया कि राज्य सरकार ने "ड्रेस कोड तय नहीं किया है", लेकिन विरोध करने वाली छात्राओं से फिर भी नियम का पालन करने का आग्रह किया.