यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने के एक दिन बाद शिक्षा मंत्रालय ने इस मामले पर उठ रहे सवालों के जवाब दिए. मंत्रालय की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया गया कि नैशनल साइबर थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट की तरफ से संकेत मिलने के बाद एग्जाम को रद्द करने का फैसला किया गया है. क्या इसके पीछे किसी कोचिंग संस्थान का हाथ है या फिर परीक्षा आयोजित करवाने वाले एनटीए के कर्मचारी इसमें मिले हुए हैं, मंत्रालय ने इन सवालों के भी जवाब दिए.
शिक्षा मंत्रालय ने परीक्षा रद्द किए जाने के कारणों पर की बात
शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव गोविंद जायसवाल ने कहा कि मंत्रालय को शुरुआती जांच से यह लगा कि परीक्षा की पवित्रता प्रभावित हुई है. इसके बाद ही एग्जाम को रद्द करने का फैसला किया गया. उन्होंने कहा कि जल्द ही परीक्षा की तारीख जारी कर दी जाएगी. जायसवाल ने कहा कि इस मामले को सीबीआई को रेफर किया गया है. दोषी पाए जाने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई जाएगी. उन्होंने कहा कि स्टूडेंट्स का हित सबसे ऊपर है, इसीलिए परीक्षा को रद्द करने का फैसला किया गया है.
मंत्रालय को नैशनल साइबर थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट से मिला था इनपुट
पत्रकारों ने सवाल किया कि आखिर एनटीए को क्या इनपुट मिले थे और क्या कोचिंग संस्थानों या फिर एनटीए के किसी कर्मचारी का हाथ इसके पीछे है. इस पर जायसवाल ने कहा कि यूजीसी को नैशनल साइबर थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट से कुछ इनपुट मिले थे. यह यूनिट गृह मंत्रालय के अंदर काम करती है. इससे लगा कि एग्जाम में कुछ गड़बड़ी हुई है.
क्या पेपर लीक की शिकायत मिली है? इस सवाल पर जायसवाल ने कहा कि साइबर सेल अलग अलग डिजिटल प्लैटफॉर्म पर काम करती है. कुछ कम्युनिकेशन से कुछ संकेत मिले थे. इस मामले की जांच एजेंसी को दी जा चुकी है.
परीक्षा के फॉरमेट बदले जाने के सवाल पर ये बोले जायसवाल
बता दें कि पहते नेट की परीक्षा ऑनलाइन होती थी और छात्र कम्प्यूटर पर इस परीक्षा को देते थे लेकिन इस बार परीक्षा से महज एक महीने पहले ही छात्रों को पता चला था कि उनका एग्जाम ऑनलाइन नहीं बल्कि ऑफलाइन होगा. इस बारे में पूछे जाने पर शिक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव गोविंद जायसवाल ने कहा, "नेट के लिए 83 सब्जेक्ट्स की परीक्षा आयोजित की गई थी और जो भी कदम उठाए गए वो इसलिए उठाए गए ताकि परीक्षा को बेहतर बनाया जा सके. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि परीक्षा को बेहतर बनाने की कोशिश की गई थी. कई बार स्टूडेंट्स भी अपनी परेशानी बताते हैं और फॉरमेट को बदलने की सलाह देते हैं. इस वजह से अलग अनुभवों और इनपुट के आधार पर इस साल परीक्षा के फॉरमेट को बदला गया था."