महाराष्ट्र में सरकारी अधिकारी पर रेप के आरोप के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने पहले कहा कि वह रेप के आरोपी व्यक्ति को पीड़ित से शादी करने में मदद कर सकता है, लेकिन बाद में अदालत ने कहा कि हम याचिकाकर्ता को उससे शादी करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते. प्रधान न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे ने ये टिप्पणियां महाराष्ट्र के जलगांव में एक युवती से लगातार धमकी देकर रेप करने के आरोपी सरकारी कर्मचारी की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान की थीं. CJI ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा, “यदि आप शादी करना चाहते हैं तो हम आपकी मदद कर सकते हैं और अगर नहीं तो आपको नौकरी गंवानी पड़ेगी और जेल जाना होगा. आपने लड़की से छेड़खानी की है, बलात्कार किया है. आप सरकारी कर्मचारी हैं आपको परिणाम का पता होना चाहिए.'
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आरोपी के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल एक सरकारी कर्मचारी है और नौकरी खो सकता है. CJI ने कहा, “आप जानते हैं कि आप एक सरकारी कर्मचारी हैं. हम आपको मजबूर नहीं कर रहे हैं. अन्यथा आप कहेंगे कि अदालत चाहती है कि आप उससे शादी करें” वकील ने कहा कि वह अपने मुवक्किल से बात करेगा और अदालत को बताया जाएगा. बाद में जब मामले की सुनवाई हुई तो वकील ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल की शादी हो चुकी है और वह पीड़ित से शादी नहीं कर सकता. उन्होंने यह भी कहा कि मुकदमा चल रहा है और मामले में आरोप तय नहीं किए गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारी होने के कारण अगर मुझे गिरफ्तार किया जाता है तो मैं अपने आप निलंबित हो जाऊंगा. SC ने कहा कि उसे चार सप्ताह तक गिरफ्तार नहीं किया जाएगा और वह नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकता है.
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दरअसल याचिकाकर्ता मोहित सुभाष चव्हाण महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी में तकनीशियन है. दिसंबर 2019 में एक लड़की ने लगातार काफी समय तक उसके साथ जबरन रेप का आरोप लगाया था. लड़की के मुताबिक, वह नाबालिग थी तभी से आरोपी रेप कर रहा था. इस पर जलगांव पुलिस ने रेप और धमकी देने के साथ- साथ POCSO के तहत भी मामला दर्ज किया गया. आरोपी को ट्रायल कोर्ट ने अग्रिम जमानत दे दी लेकिन हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया. इसके खिलाफ आरोपी ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. गौरतलब है कि आरोपी ने याचिका में कहा कि पीड़िता ने आरोप लगाया था कि वो जब स्कूल में पढ़ रही थी तब से वो उसके साथ रेप कर रहा था. बाद में जब पीड़िता अपनी मां के साथ पुलिस के पास शिकायत देने गई तो तो आरोपी की मां ने उनसे अनुरोध किया कि वह किसी भी शिकायत को दर्ज न करें क्योंकि वह याचिकाकर्ता के अपराध को स्वीकार करती है. साथ ही ये भी वादा किया कि वो पीड़िता बहू बनाने के लिए तैयार है. आरोपी ने ये भी आरोप लगाया गया है कि, 02.06.2018 को नोटरी से अंडरेटिंग साइन कराई गई कि जब पीड़िता 18 वर्ष की हो जाएगी तो उसकी शादी करा दी जाएगी, लेकिन बाद में आरोपी की मां ने इससे इनकार कर दिया जिसके कारण शिकायत दर्ज कराई गई.