उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar) ने रविवार को कहा कि कंबोडिया, भारत के ही बड़े परिवार का हिस्सा है और उन्हें यहां आकर ऐसा लगा, जैसे वह अपने ही घर में हैं. धनखड़ ने यहां ‘ता प्रोह्म' मंदिर में ‘हॉल ऑफ डांसर्स' का संरक्षण कार्य पूरा होने के बाद उसका उद्घाटन किया. धनखड़, अपनी पत्नी सुदेश धनखड़ और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ ता प्रोह्म मंदिर गए और उन्होंने वहां पूजा-अर्चना की. उन्होंने देश के तीन दिवसीय दौरे के अंतिम दिन अंकोरवाट मंदिर में भी दर्शन किए.
धनखड़ ने अंकोर पुरातात्विक परिसर स्थित ता प्रोह्म मंदिर में बने ‘हॉल ऑफ डांसर्स' का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘हम अपने विस्तारित पड़ोसी देश में नहीं हैं, हम अपने विस्तारित परिवार में हैं.'' ता प्रोह्म मंदिर स्थित ‘द हॉल ऑफ डांसर्स' कंबोडिया में सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और जीर्णोद्धार के लिए भारत और कंबोडिया के बीच 40 लाख डॉलर की सहयोगात्मक परियोजना का हिस्सा है.
धनखड़ ने बाद में ट्वीट किया, ‘‘आज अंकोरवाट मंदिर के दर्शन का सौभाग्य मिला. इस प्राचीन स्मारक की भव्यता एवं विशालता अद्वितीय है. यह आध्यात्मिकता और मानवीय उत्कृष्टता का एक आदर्श मिश्रण है. वास्तुकला का यह चमत्कार भारत एवं कंबोडिया के सदियों पुराने ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंधों का उदाहरण है.''
अंकोरवाट मंदिर राजा सूर्यवर्मन द्वितीय द्वारा 12वीं शताब्दी में निर्मित दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक ढांचा है और यह खमेर वास्तुकला का सर्वोत्तम नमूना है.
ता प्रोह्म कंबोडिया के अंकोर क्षेत्र में सर्वाधिक लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है.
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘अंकोरवाट, ता प्रोह्म और प्रीह विहार मंदिरों की भव्य संरचनाएं भारत और कंबोडिया के जुड़ाव का जीवंत प्रमाण हैं. हमारा सभ्यतागत और सांस्कृतिक जुड़ाव दोनों देशों के लोगों की समान गर्मजोशी में नजर आता है.''
उपराष्ट्रपति धनखड़ के यहां पहुंचने पर सिएम रीप प्रांत के वाइस गवर्नर पिन प्रकड़ और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने उनका स्वागत किया.
इससे पहले धनखड़ ने नोम पेन्ह में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) को संबोधित किया.
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 17वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन (ईएएस) को संबोधित करते हुए खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर वैश्विक चिंताओं को रेखांकित किया और नौवहन एवं ऊपर से उड़ान भरने (ओवरफ्लाइट) की स्वतंत्रता के साथ मुक्त, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत को बढ़ावा देने में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन तंत्र की भूमिका पर जोर दिया.
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