आप उस कौम पर दाग लगाना चाहते हो... जिन्ना का जिक्र कर जब भड़क गए गौरव गोगोई

गौरव गोगोई ने कहा, ' उस कौम को जिसने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी है आप उस कौम पर दाग लगाना चाहते हैं.'

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नई दिल्ली:

विपक्ष की तरफ से वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने सरकार पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि मुस्लिम कौम को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. गोगोई ने कहा, ' उस कौम को जिसने भारत की आजादी की लड़ाई लड़ी है आप उस कौम पर दाग लगाना चाहते हैं. 2 लाख उलेमा शहीद हुए आप उस कौम पर दाग लगाना चाहते हैं. जिसने भारत छोड़ो आंदोलन में साथ दिया, आप उस कौम पर दाग लगाना चाहते हैं. जिसने अंग्रेजों के बांटो और राज करो को खारिज किया आप उस कौम पर दाग लगाना चाहते हैं. आप उस कौम पर दाग लगाना चाहते हो जिसने जिन्ना की दो राष्ट्र के विचार को खारिज किया.

गौरतलब है कि  केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया. विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए किरेन रिजिजू ने कहा, "ऑनलाइन, ज्ञापन, अनुरोध और सुझाव के रूप में कुल 97,27,772 याचिकाएं प्राप्त हुई हैं. 284 डेलिगेशन ने कमेटी के सामने अपनी बात रखी और सुझाव दिए. सरकार ने उन सभी पर ध्यानपूर्वक विचार किया है, चाहे वे जेपीसी (संयुक्त संसदीय समिति) के माध्यम से हों या सीधे दिए गए ज्ञापन. इतिहास में पहले कभी किसी विधेयक को इतनी बड़ी संख्या में याचिकाएं नहीं मिली हैं. कई लीगल एक्सपर्ट, कम्युनिटी लीडर्स, धार्मिक लीडर्स और अन्य लोगों ने कमेटी के सामने अपने सुझाव रखे. पिछली बार जब हमने बिल पेश किया था, तब भी कई बातें बताई थी. मुझे उम्मीद ही नहीं, यकीन है कि जो इसका विरोध कर रहे थे, उनके हृदय में बदलाव होगा और वे बिल का समर्थन करेंगे. मैं मन की बात कहना चाहता हूं, किसी की बात को कोई बदगुमां न समझे कि जमीं का दर्द कभी आसमां न समझे."

किरेन रिजिजू ने आगे कहा, "साल 2013 में यूपीए सरकार ने वक्फ बोर्ड को ऐसा अधिकार दिया कि वक्फ बोर्ड के आदेश को किसी सिविल अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती. अगर यूपीए सरकार सत्ता में होती तो संसद इमारत, एयरपोर्ट समेत पता नहीं कितनी इमारतों को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया जाता. साल 2013 में मुझे इस बात पर बहुत आश्चर्य हुआ कि इसे कैसे जबरन पारित किया गया. 2013 में वक्फ अधिनियम में प्रावधान जोड़े जाने के बाद, दिल्ली में 1977 से एक मामला चल रहा था, जिसमें सीजीओ कॉम्प्लेक्स और संसद भवन सहित कई संपत्तियां शामिल थीं. दिल्ली वक्फ बोर्ड ने इन पर वक्फ संपत्ति होने का दावा किया था. मामला अदालत में था, लेकिन उस समय यूपीए सरकार ने सारी जमीन को डीनोटिफाई करके वक्फ बोर्ड को सौंप दिया. अगर हमने आज यह संशोधन पेश नहीं किया होता, तो हम जिस संसद भवन में बैठे हैं, उस पर भी वक्फ संपत्ति होने का दावा किया जा सकता था."

उन्होंने कहा, "किसी ने कहा कि ये प्रावधान गैर संवैधानिक हैं. किसी ने कहा कि गैर-कानूनी हैं. यह नया विषय नहीं है. आजादी से पहले पहली बार बिल पास किया गया था. इससे पहले वक्फ को इनवैलिडेट (अवैध करार) किया गया था. 1923 में मुसलमान वक्फ एक्ट लाया गया था. ट्रांसपेरेंसी और अकाउंटेबिलिटी का आधार देते हुए एक्ट पारित किया गया था."

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