वक्फ बिल पर कल आर-पार : 8 घंटे की 'अग्निपरीक्षा' का गेम प्लान तैयार

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में वक्फ बिल के मुद्दे पर चर्चा हुई. विपक्ष ने विधेयक पर चर्चा के लिए 12 घंटे का समय आवंटित करने की मांग की, जबकि सरकार ने 8 घंटे का कम समय रखने पर जोर दिया.

विज्ञापन
Read Time: 8 mins
नई दिल्ली:

लोकसभा में बुधवार को पक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार घमासान देखने को मिलेगा. सरकार चर्चा और पास कराने के लिए वक्फ संशोधन विधेयक सदन में ला रही है. इसके लिए दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक का समय तय किया गया है. दोनों ही पक्ष इसको लेकर अभी से रणनीति बनाने में जुट गए हैं. बीजेपी और कांग्रेस सहित कई पार्टियों ने लोकसभा के अपने सांसदों को व्हिप भी जारी किया है और सदन में मौजूद रहने को कहा है. विपक्षी दलों ने इसको लेकर एक बड़ी बैठक की है, जिसमें ये रणनीति बनाई गई है कि वक्फ बिल को लेकर सरकार का किस तरह मुकाबला किया जाए.

चर्चा के दौरान लोकसभा में जबरदस्त हंगामा होने के आसार हैं. क्योंकि विपक्षी दल इसका पुरजोर विरोध कर रहे हैं और इसे असंवैधानिक एवं मुस्लिम समुदाय के हितों के खिलाफ बता रहे हैं.

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर विपक्षी दल शुरू से ही असहमति जता रहे हैं. उनका कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर प्रभाव डाल सकता है. वहीं, सरकार का दावा है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने और दुरुपयोग रोकने के लिए जरूरी है.

Advertisement

बीजेपी ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी किया

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा में मुख्य सचेतक संजय जायसवाल ने व्हिप जारी कर बुधवार, 2 अप्रैल को सभी लोकसभा सांसदों को सदन में अनिवार्य रूप से उपस्थित रहने का निर्देश गया है. बीजेपी का कहना है कि लोकसभा में बुधवार को कुछ महत्वपूर्ण विधायी कार्यों को पारित किया जाना है, जिसके लिए पार्टी के सभी सांसदों की उपस्थिति अनिवार्य है. पार्टी ने अपने सांसदों को निर्देश दिया है कि वे सदन में उपस्थित रहकर सरकार के पक्ष का समर्थन करें और विधायी प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपन्न करने में सहयोग दें.

Advertisement

कांग्रेस ने अपने लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी किया

कांग्रेस ने भी पार्टी के सभी लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी कर अगले तीन दिनों तक सदन में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है. कांग्रेस ने तीन पंक्ति का व्हिप तब जारी किया, जब सरकार ने स्पष्ट किया कि विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक बुधवार को चर्चा और पारित कराने के लिए लोकसभा में लाया जाएगा.

Advertisement

लोकसभा में बिल का विरोध करेगी कांग्रेस

बिल को लेकर कांग्रेस का कहना है कि पार्टी का जो रुख पहले था वही आज भी है. सदन में इस बिल का विरोध किया जाएगा, क्योंकि इस बिल के माध्यम से एनडीए सरकार की बांटने की कोशिश है. कांग्रेस के सदस्यों ने जेपीसी में जो विचार व्यक्त किए हैं, वही व‍िचार आज भी है. इस बिल को लाकर सिर्फ बांटने का प्रयास किया जा रहा है. भाजपा की सरकार हमेशा ही ऐसा करती है. इसका एक स्टेप वक्फ संशोधन बिल है. कांग्रेस हमेशा से 'अल्पसंख्यकों' के साथ रही है.

Advertisement

वक्फ बिल का उद्देश्य लोगों को न्याय दिलाना - सत्ता पक्ष

इधर सत्ता पक्ष के सांसदों का कहना है कि वक्फ संशोधन विधेयक गरीब मुसलमानों के फायदे के लिए है. उन्होंने विपक्ष पर वक्फ संशोधन विधेयक के बारे में देश को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि देश के गरीब मुसलमान यह समझ चुके हैं कि यह विधेयक उनके हित में है. उन्होंने कहा कि वक्फ की बड़ी-बड़ी प्रॉपर्टी पर बड़े मुसलमानों का कब्जा होता है. आम हिंदुओं की जमीन पर भी कब्जा कर ली जाती है. अगर सरकार द्वारा संसद में कोई बिल पेश किया जा रहा है, तो इसका उद्देश्य लोगों को न्याय दिलाना है. न्यायालय, उच्च न्यायालय और सिविल न्यायालय सभी उनके लिए सुलभ होंगे. सभी को नैसर्गिक न्याय मिलेगा. इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए.

टीडीपी ने वक्फ संशोधन विधेयक का किया समर्थन

इसी बीच, एनडीए में शामिल तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने भी केंद्र सरकार को वक्फ संशोधन विधेयक पर समर्थन दिया है. टीडीपी ने घोषणा की है कि वह इस बिल के पक्ष में मतदान करेगी. इससे सरकार को विधेयक पारित कराने में और मजबूती मिलेगी.

नीतीश कुमार ने वक्फ बिल को लेकर अपनी पार्टी के नेताओं से की बात

नीतीश कुमार ने वक्फ बिल को लेकर अपनी पार्टी जेडीयू के नेताओं से बात की है. जेडीयू एनडीए में शामिल है. पार्टी नेताओं ने कहा है कि हमने इस विधेयक को लेकर सरकार को अहम सुझाव दिए हैं. हमारे सुझावों को तरजीह भी दी गई है. सूत्रों के अनुसार जेडीयू ने सरकार से कहा है कि नए कानून को पिछली तारीख से लागू नहीं करना चाहिए. यानी मौजूदा पुरानी मस्जिद, दरगाह या अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थान के साथ कोई छेड़छाड़ न हो. वक्फ कानून में इसका स्पष्ट प्रावधान होना चाहिए.

जेडीयू ने यह भी कहा था कि जमीन राज्यों का विषय है. लिहाजा वक्फ की जमीन के बारे में किसी भी फैसले में राज्यों की स्पष्ट राय भी ली जानी चाहिए. सूत्रों के अनुसार जेपीसी द्वारा सुझाए गए 14 महत्वपूर्ण संशोधनों में इन्हें भी शामिल किया गया है.

वक्फ बिल को लेकर जेडीयू के सुझाव

  • वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद इसमें राज्य सरकार का अधिकार क्षेत्र बना रहेगा.
  • संपत्ति वक्फ की है या नहीं, यह तय करने के लिए राज्य सरकार कलेक्टर से ऊपर के रैंक के अधिकारी को नियुक्त कर सकती है.
  • मौजूदा मस्जिदों, दरगाहों या अन्य मुस्लिम धार्मिक स्थानों पर कोई छेड़छाड़ नहीं होगी. 
  • यह कानून पुरानी तारीख से लागू नहीं होगा.
  • औकाफ की सूची को गजट में प्रकाशन के 90 दिनों के भीतर ऑनलाइन पोर्टल पर अपडेट करना अनिवार्य होगा.
  • विधेयक के अनुसार, वक्फ परिषद में पदेन सदस्यों के अलावा दो गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल होंगे. साथ ही, वक्फ बोर्ड में वक्फ मामलों से संबंधित संयुक्त सचिव पदेन सदस्य होंगे.


लोकसभा में बिल को स्पष्ट बहुमत

लोकसभा में फिलहाल 542 सांसद हैं. इसमें बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. उसके पास 240 सदस्य हैं. उसे एनडीए में शामिल दलों का समर्थन हासिल है. इस समय एनडीए में शामिल दलों की लोकसभा में संख्या 293 है. इनमें टीडीपी और जेडीयू जैसे दल हैं, जिनके सदस्यों की संख्या दहाई के अंक में हैं. ऐसे में बिल पास कराने को लेकर संख्या सत्ता पक्ष के साथ है.

बिल के विरोध में विपक्ष के 245 सांसद

वहीं लोकसभा के 245 सदस्य इस बिल के विरोध में हैं. इनमें कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. लोकसभा में कांग्रेस के 99 सदस्य हैं. कांग्रेस के अलावा केवल सपा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों की ही संख्या दहाई में है. लोकसभा में सपा के 37 तो तृणमूल कांग्रेस के 28 सदस्य हैं. विपक्षी गठबंधन में उद्धव ठाकरे की शिवसेना और शरद पवार की एनसीपी भी शामिल है. उद्धव ठाकरे की शिवसेना के नौ और शरद पवार की एनसीपी के आठ सदस्य हैं.

इससे पहले लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में इस मुद्दे पर चर्चा हुई. विपक्ष ने विधेयक पर चर्चा के लिए 12 घंटे का समय आवंटित करने की मांग की, जबकि सरकार ने 8 घंटे का कम समय रखने पर जोर दिया. इसके बाद सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई और विपक्षी दलों के नेता बैठक छोड़कर बाहर आ गए.

बाद में संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि कुछ दल चार से छह घंटे की चर्चा चाहते थे, वहीं विपक्ष 12 घंटे की चर्चा कराने पर अड़ा रहा. हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ने चर्चा के लिए आठ घंटे निर्धारित किए हैं और सदन की भावना के अनुरूप इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है. रिजिजू ने इस बात पर हैरानी जतायी कि विपक्ष ने बीएसी की बैठक से वॉकआउट क्यों किया?

उन्होंने कहा कि वह बुधवार को 12 बजे निचले सदन में प्रश्नकाल समाप्त होते ही विधेयक को चर्चा और पारित कराने के लिए रखेंगे. विपक्ष के कुछ दल चर्चा से बचने के लिए बहाने बना रहे हैं. रिजिजू ने कहा कि लोकसभा द्वारा विधेयक पारित किए जाने के बाद राज्यसभा को इसकी सूचना दी जाएगी.

वहीं लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि विपक्ष बीएसी की बैठक से बाहर आ गया, क्योंकि सरकार अपना एजेंडा थोप रही है और मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड को जोड़ने के मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग स्वीकार नहीं की गई. उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष को मौका नहीं दिया जा रहा.

पिछले साल विधेयक पेश करते समय सरकार ने इसे दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति को भेजने का प्रस्ताव किया था. समिति द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने के बाद, उसकी सिफारिश के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मूल विधेयक में कुछ बदलावों को मंजूरी दी थी. विधेयक में भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और प्रशासन में सुधार का प्रावधान प्रस्तावित है.

Featured Video Of The Day
Waqf Amendment Bill: वक्फ बिल पर Mukhtar Abbas Naqvi और Javed Ali Khan आमने सामने | Hot Topic