राजनीति से संन्यास लेने वाले वीके पांडियन का काफी संघर्ष भरा रहा है जीवन

तमिलनाडु के साधारण परिवार के वीके पांडियन सरकारी स्कूल में पढ़े, आईएएस अधिकारी बने और सर्मपण और लगन के कारण नवीन पटनायक के सबसे करीबी बन सके

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
नवीन पटनायक के बहुत करीबी रहे वीके पांडियन ने राजनीति से संन्यास ले लिया है.
नई दिल्ली:

ओडिशा (Odisha) में बीजू जनता दल (BJD) सरकार में काफी ताकतवर रहे वीके पांडियन (VK Pandian) ने सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया है. उन्होंने स्वीकारा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बीजेडी की हार के पीछे बीजेपी के अभियान की भूमिका रही है. उन्होंने लोगों से माफी मांगते हुए कहा कि उन्हें सत्ता की कोई इच्छा नहीं थी, बल्कि वे तो केवल अपने गुरु नवीन पटनायक (Naveen Patnaik) की मदद करना चाहते थे. तमिलनाडु के एक छोटे से गांव के निवासी वीके पांडियन का आईएएस अधिकारी बनने तक का सफर संघर्ष से भरा रहा है.

वीके पांडियन, यानी वी कार्तिकेयन पांडियन का जन्म तमिलनाडु में 29 मई 1974 को हुआ था. बहुत साधारण परिवार की संतान पांडियन की शुरुआती पढ़ाई तमिलनाडु में एक गांव के सरकारी स्कूल में हुई. तमिल, उड़िया, अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं के जानकार वीके पांडियन ने मदुरै के एग्रीकल्चर कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट से कृषि में स्नातक की डिग्री हासिल की है.

बाद में उन्होंने दिल्ली में इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. इसके बाद उन्होंने यूपीएसी की परीक्षा दी और सन 2000 में भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस अधिकारी बने. पांडियन को शुरू में पंजाब कैडर में नियुक्त किया गया था, लेकिन वे विवाह के आधार पर वे बाद में ओडिशा आ गए. पांडियन की पत्नी सुजाता कार्तिकेयन ओडिशा की हैं. वे भी सन 2000 के आईएएस बैच की हैं.

सबसे अधिक गरीबी से घिरे इलाके में अधिकारी बने
ओडिशा आने के बाद पांडियन सबसे पहले राज्य के सबसे अधिक अभाव ग्रस्त जिले कालाहांडी में धर्मगढ़ का एसडीएम बनाया गया था. वहां उन्होंने समर्पण के साथ सेवाएं दीं. इसके बाद उन्हें मयूरभंज और फिर गंजम में कलेक्टर बनाया गया.

पांडियन को सन 2011 में ओडिशा के मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ किया गया. उनकी ईमानदारी और काम के प्रति समर्पण ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को काफी प्रभावित किया. इसके बाद उनकी पटनायक से निकटता बढ़ती गई. पांडियन पटनायक के निजी सचिव के रूप में ओडिशा सरकार की प्रत्येक योजना के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाते रहे. हालांकि वे हमेशा पर्दे के पीछे ही रहे. बाद में वे इस्तीफा देकर सक्रिय राजनीति में उतर आए और उन्हें सरकार में मंत्री का दर्जा दिया गया.

बीजेडी की हार के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने पर राजनीति छोड़ी
वीके पांडियन ने लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों में बीजू जनता दल की हार के बाद रविवार को सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया. पांडियन ने यह घोषणा तब की जब उन्हें चुनावों में बीजेडी की हार के लिए जिम्मेदार ठहराया गया. बीजेपी ने बीजेडी के खिलाफ अपना अभियान ‘ओडिया अस्मिता' की थीम पर बनाया था. इसमें तमिलनाडु में जन्मे पूर्व आईएएस अधिकारी पांडियन के प्रभाव को उजागर किया गया था. बीजेपी ने कहा था कि वे पटनायक के उत्तराधिकारी बनने के लिए तैयार हैं. तब पांडियन ने वादा किया था कि अगर बीजेडी जीतने में विफल रही तो वे राजनीति से संन्यास ले लेंगे.

Advertisement

पांडियन ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, "राजनीति में शामिल होने का मेरा इरादा केवल नवीन बाबू की सहायता करना था और अब मैं जानबूझकर खुद को सक्रिय राजनीति से अलग करने का फैसला करता हूं. अगर मैंने इस यात्रा में किसी को ठेस पहुंचाई है तो मुझे खेद है. मुझे खेद है कि मेरे खिलाफ इस अभियान की वजह से बीजेडी की हार हुई है."

पांडियन ने कहा कि, "मैं एक बहुत ही साधारण परिवार और एक छोटे से गांव का हूं. बचपन से ही मेरा सपना आईएएस बनकर लोगों की सेवा करना था. भगवान जगन्नाथ ने इसे पूरा किया. केंद्रपाड़ा में मेरे परिवार की वजह से मैं ओडिशा आया. जिस दिन से मैंने ओडिशा की धरती पर अपना पैर रखा है, मुझे धर्मगढ़ से लेकर राउरकेला, मयूरभंज से लेकर गंजम तक ओडिशा के लोगों से अपार प्यार और स्नेह मिला है. मैंने लोगों के लिए बहुत मेहनत करने की कोशिश की है."

Advertisement

यह भी पढ़ें -

कांपते हाथों पर बीजेपी ने कसा तंज, तो नवीन पटनायक ने दिया ये जवाब

नवीन पटनायक के करीबी बीजद नेता पांडियन ने सक्रिय राजनीति से लिया संन्यास

Featured Video Of The Day
Weather Update: देशभर में Monsoon की 'ओवरटाइम' तबाही! नदी, नाले उफान पर, शहर-शहर मचा हाहाकार
Topics mentioned in this article