देशभर में जगहों और सड़कों के नाम बदलने को लेकर सियासत होती रहती है. अब बीजेपी के राज्य सभा सांसद दिनेश शर्मा के दिल्ली स्थित आवास तुगलक लेन का नाम बदलने से भी सियासी घमासान फिर शुरू होता दिख रहा है. दिनेश शर्मा ने गुरुवार नई दिल्ली स्थित नए आवास 6 तुगलक लेन में गृह प्रवेश किया. बीजेपी सांसद ने अपने घर के बाहर लगे नेम प्लेट में तुगलक लेन से पहले स्वामी विवेकानंद मार्ग लिखा है. सांसद ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ नए घर की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट की. पोस्ट में तुगलक लेन को स्वामी विवेकानंद मार्ग के नीचे ब्रेकेट में लिखा गया था.
नेम प्लेट विवाद पर क्या बोले बीजेपी सांसद
सांसद ने अपने परिवार के साथ जिस आवास में प्रवेश किया है, उसके बाहर लिखी नेम प्लेट में तुगलक लेन से पहले स्वामी विवेकानंद मार्ग को बड़े अक्षरों में लिखा है. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी ये तस्वीरे शेयर की है. जैसे ही इस मामले ने सियासी तूल पकड़ा वैसे ही उन्होंने अपना जवाब देते हुए कहा कि आपने शायद मेरे आवास की नेम प्लेट ठीक से नहीं देखी, उसके ऊपर विवेकानंद मार्ग लिखा है. क्योंकि गूगल में ये जगह विवेकानंद मार्ग से दिखती है. इसलिए जब पूछा गया कि नेम प्लेट पर क्या लिखना है तो मैंने कहा कि जैसा आसपास लिखा हो वैसा ही लिख दीजिए. वहीं बगल में पहले से ही सीनियर लोगों के बंगलों पर ऐसी ही नेम प्लेट लगी है.
बीजेपी राज्य सभा सांसद दिनेश शर्मा
दिल्ली में कैसे बदला जाता है किसी जगह का नाम
अगर किसी जगह का नाम बदलना है तो इसके लिए एनडीएमसी को एक प्रस्ताव जाता है. फिर इस पर एनडीएमसी की 13 सदस्य कमेटी चर्चा करती है कि जो नाम सुझाया गया है वो क्यों रखा जाए. जगह के इतिहास को देखा जाता है. फिर से इस प्रस्ताव को एनडीएमसी काउंसिल में रखा जाता है, जिसके बाद बदलने गए नाम पर फाइनल मुहर लगती है. इसके बाद ही नाम बदला जा सकता है और फिर उस जगह को नए नाम से जाना जाता है.
बीजेपी सांसद कृष्ण पाल गुर्जर के आवास की नेम प्लेट पर बदला नाम
दिल्ली में किन जगहों के कैसे रखे गए नाम
दिल्ली में कुशक रोड का नाम क्यों रखा गया. कुशक रोड नाम इसलिए रखा गया क्योंकि कुशक गांव था. कुशक गांव के लोगों ने रायसीना हिल्स के लिए अपनी जमीनें दी थी. अंग्रेजों ने जब ये नाम रखा तो उनकी मंशा ये थी कि जिन्होंने इस इलाके को बसाने में अपनी भूमिका निभाई. इसलिए ये नाम रखा गया. इसी तरह दिल्ली में अलग-अलग जगह और सड़कों के अलग-अलग नाम दिए गए.
यूपी डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य
तुगलक लेन क्यों रखा गया नाम
खिलजी वंश के बाद दिल्ली में तुगलक वंश (1320-1413) शासन में आया. तुगलक वंश ने सल्तनत के इतिहास और संस्कृति में एक महत्त्वपूर्ण काल का गठन किया. इस दौर में जहां कारखानों या फैक्टरी की स्थापना के कारण आर्थिक जीवन में तेज़ी आई वहीं नहरों के निर्माण से कृषि सिंचाई मिली. समुद्री व्यापार में इजाफा हुआ. शहरीकरण की प्रक्रिया तेज़ हो गई. शहरी केंद्रों, स्कूलों, मस्जिदों और सार्वजनिक भवनों जैसी अन्य इमारतों का भी प्रसार हुआ. तुगलक शासन की वजह से दिल्ली में रोड का नाम तुगलक रखा गया.
दिल्ली में किन जगहों के नाम बदलने की उठी मांग
27 फरवरी को BJP विधायक नीलम पहलवान ने दिल्ली विधानसभा में नजफगढ़ का नाम बदलने का प्रस्ताव रखा था. विधायक ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा था कि नजफगढ़ का नाम बदलकर नाहरगढ़ रखने से न केवल क्षेत्र की पहचान मजबूत होगी, बल्कि यह स्थान एक नई दिशा में तरक्की करेगा. नीलम पहलवान के बाद दक्षिणी दिल्ली के आरके पुरम से BJP विधायक अनिल शर्मा ने भी अपनी विधानसभा के अंतर्गत आने वाले गांव मोहम्मदपुर का नाम बदलने की मांग की थी और कहा था कि मोहम्मदपुर का नाम माधवपुरम रखा जाए. इससे पहले मुस्तफाबाद से विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने इस इलाके का नाम बदलने की मांग की थी. उन्होंने इसकी जगह 'शिवपुरी' या 'शिव विहार' नाम सुझाया था.