जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद कौन होगा अगला उपराष्ट्रपति? जानिए क्या होती है पूरी प्रक्रिया

उपराष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा और राज्यसभा के सांसद वोट करते हैं, जिसमें राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं. इस चुनाव में आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली अपनाई जाती है और सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम का उपयोग किया जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है.
  • भारत में उपराष्ट्रपति चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों द्वारा सिंगल ट्रांसफरेबल वोट प्रणाली से होता है
  • उपराष्ट्रपति बनने के लिए उम्मीदवार का भारत का नागरिक होना जरूरी है. उम्र कम से कम 35 साल होनी चाहिए
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को सबको चौंकाते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद छोड़ा. यह इस्तीफा ऐसे समय में आया है, जब संसद का मॉनसून सत्र शुरू ही हुआ है. इस घटनाक्रम के बाद लोगों के मन में अगले उपराष्ट्रपति के चयन को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. लोग जानना चाहते हैं कि अगला उपराष्ट्रपति कौन होगा और भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव किस प्रक्रिया से होती है.

भारत में उपराष्ट्रपति का पद संवैधानिक रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि उपराष्ट्रपति ही राज्यसभा का सभापति होता है. साथ ही यदि राष्ट्रपति का पद किसी कारणवश रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति उनकी जिम्मेदारियों का निर्वहन करता है. उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों द्वारा किया जाता है, जिसमें राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी शामिल होते हैं.

उपराष्ट्रपति चुनाव: प्रक्रिया और योग्यता

  • भारत का नागरिक होना चाहिए
  • कम से कम 35 वर्ष की आयु होनी चाहिए
  • राज्यसभा का सदस्य चुने जाने की योग्यता होनी चाहिए

मतदाता और मतदान प्रक्रिया

लोकसभा के 543 सदस्य और राज्यसभा के 245 सदस्य, जिनमें 12 मनोनीत सदस्य शामिल हैं, उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान करते हैं.

उम्मीदवार को ₹15,000 की जमानत राशि जमा करनी होती है, जो कि 1/6 वोट न मिलने पर जब्त हो जाती है.

हर सांसद एक वोट देता है और प्राथमिकता के आधार पर उम्मीदवारों को 1, 2, 3… के क्रम में दर्शाता है. वोटिंग में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम का उपयोग किया जाता है, जिसमें मतदाता अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को रैंक देते हैं.

मतदान प्रक्रिया में, मतदाता अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हैं. उदाहरण के लिए, यदि तीन उम्मीदवार A, B, और C हैं, तो एक मतदाता अपने मतपत्र पर निम्नलिखित तरीके से अपनी पसंद दर्शा सकता है.

Advertisement
  • A के सामने 1 लिखकर अपनी पहली पसंद दिखा सकता है
  • B के सामने 2 लिखकर अपनी दूसरी पसंद दिखा सकता है
  • C के सामने 3 लिखकर अपनी तीसरी पसंद दिखा सकता है

चुनाव की प्रक्रिया

  • उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू होती है
  • नामांकन पत्रों की जांच के बाद, वैध उम्मीदवारों की सूची तैयार की जाती है
  • मतदान के दिन, सांसद अपने मतपत्रों पर अपनी पसंद के अनुसार उम्मीदवारों को रैंक देते हैं
  • मतों की गिनती के बाद, उम्मीदवारों को उनकी प्राथमिकता के अनुसार मतों का आवंटन किया जाता है
  • जिस उम्मीदवार को निर्धारित कोटा पूरा करने के लिए पर्याप्त मत प्राप्त होते हैं, वह उपराष्ट्रपति चुने जाते हैं 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना गांव में एक जाट किसान परिवार में हुआ. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में प्राप्त की, फिर सैनिक स्कूल, चित्तौड़गढ़ में पढ़ाई की. इसके बाद जयपुर के महाराजा कॉलेज से भौतिकी में स्नातक की डिग्री हासिल की और 1979 में राजस्थान विश्वविद्यालय से विधि में स्नातक पूरा किया. उसी वर्ष उन्होंने वकालत शुरू की और 1990 में राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किए गए. वे सुप्रीम कोर्ट और देश के कई उच्च न्यायालयों में सक्रिय वकील रहे.

राजनीतिक करियर

धनखड़ ने 1989 में जनता दल के टिकट पर झुंझुनू से लोकसभा चुनाव जीता और संसद पहुंचे. 1990 में उन्हें चंद्रशेखर सरकार में संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनाया गया. 1991 में वे कांग्रेस में शामिल हुए और अजमेर से लोकसभा चुनाव लड़ा. लेकिन हार गए. 1993 में वे किशनगढ़ विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. 1998 में उन्होंने पुनः लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमाई, लेकिन सफलता नहीं मिली.

Advertisement

उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल

जुलाई 2022 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया. 6 अगस्त 2022 को हुए चुनाव में उन्होंने विपक्ष की उम्मीदवार को हराया और 11 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली. अपने कार्यकाल के दौरान वे संसद और सार्वजनिक मंचों पर सूचना, नैतिकता, संविधान और लोकतंत्र जैसे मुद्दों पर सक्रिय रहे. उन्होंने फर्जी खबरों के खिलाफ सख्ती, वोकल फॉर लोकल और भारतीय संस्कृति व भाषायी विविधता के समर्थन में अपनी आवाज बुलंद की. संसद के मानसून सत्र से पहले उन्होंने सभी दलों से सदन की गरिमा और संवाद बनाए रखने की अपील भी की थी.

Featured Video Of The Day
Fatehpur Maqbara Controversy में नया मोड़, हिंदू पक्ष के Satish Chandra ने किया मालिकाना हक का दावा