उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संसद भवन परिसर में प्रेरणा-स्थल का उद्घाटन किया. यहां स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य नेताओं की वे सभी प्रतिमाएं रखी गई, जो पहले संसद परिसर में विभिन्न स्थानों पर रखी गई थीं. लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान शिलापट्ट के अनावरण के बाद गणमान्यजनो ने प्रेरणा स्थल में स्थापित प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संसद भवन परिसर के अंदर 15 महापुरुषों और महान स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाएं स्थापित हैं और उनका देश के इतिहास, संस्कृति एवं स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान रहा है. यह उल्लेख करते हुए कि ये प्रतिमाएं संसद भवन परिसर में अलग अलग स्थानों पर स्थित थीं, जिससे आगंतुकों को इनके दर्शन करने में कठिनाई होती थी. ओम बिरला ने कहा कि सामान्य रूप से आगंतुकों को पता भी नहीं होता था कि संसद भवन परिसर में किन महापुरुषों की प्रतिमाएं कहां स्थापित हैं. उन्होंने कहा कि प्रेरणा स्थल के निर्माण का मुख्य उद्देश्य यह है कि संसद परिसर में स्थापित इन प्रतिमाओं को एक स्थान पर एक सुंदर और मनोरम वाटिका में स्थापित किया जाए. इसीलिए यह निर्माण किया गया कि संसद परिसर में आगंतुकों के लिए निर्दिष्ट भ्रमण स्थल का निर्माण हो, यहां आने वाले आगंतुक आयें और एक ही स्थान पर हमारे महापुरुषों का दर्शन करें और उन्हें श्रद्धांजलि दें.
उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष संसद के नए भवन के लोकार्पण के उपरांत संसद परिसर के सौंदर्यीकरण का कार्य निरंतर चल रहा है. यह उल्लेख करते हुए कि संसद भवन परिसर लोक सभा अध्यक्ष के क्षेत्राधिकार में आता है, उन्होंने कहा कि परिसर जो भी कार्य किए जाते हैं, उसके लिए लोक सभा अध्यक्ष की स्वीकृति आवश्यक होती है. इसी व्यवस्था के तहत प्रतिमाओं को प्रेरणा स्थल पर स्थानांतरित किया गया.
ओम बिरला ने बताया कि संसद भवन परिसर के कायाकल्प की व्यापक योजना में उद्यानों और जल निकायों के साथ एक हरित पट्टी में बदलना, भारत की वनस्पतियों की समृद्ध विविधता और स्वदेशी और मौसमी पौधों को लगाना शामिल है. इसके अतिरिक्त, पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए, सांसदों को गेट से संसद भवन तक ले जाने के लिए बैटरी चालित वाहनों की शुरुआत की जा रही है.
ओम बिरला ने बताया कि यह भी कार्य योजना है कि उन प्रतिमाओं के समीप नई टेक्नोलॉजी के माध्यम से उन महापुरुषों की जीवनगाथा, उनके सन्देश भी आगंतुकों के लिए उपलब्ध हों, ताकि सभी को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा मिले, और इसीलिये इस स्थल का नाम प्रेरणा स्थल दिया गया है. उन्होंने कहा कि संसद भवन में बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी भ्रमण के लिए आते हैं. युवा एवं छात्र इन महापुरुषों के जीवन दर्शन से प्रेरणा लें, यही प्रेरणा स्थल बनाने के पीछे उद्देश्य है.
ओम बिरला ने यह भी बताया कि संसद परिसर में मूर्तियों का स्थानांतरण पहली बार नहीं हुआ है. इसके पहले भी संसद के नए भवन के निर्माण कार्य के दौरान महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू और चौधरी देवी लाल जी की प्रतिमाओं को परिसर में ही अन्य स्थान पर सम्मानपूर्वक स्थानांतरित किए गए हैं. उन्होंने यह भी बताया कि पिछली शताब्दी में, संसद भवन परिसर में कई बदलाव हुए हैं. 1920 के दशक में अपनी मूल संरचना से, अब इस परिसर में पांच इमारतें शामिल हैं.