- PM मोदी लोकसभा में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर 10 घंटे की चर्चा की शुरुआत करेंगे.
- चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी वाड्रा शामिल होंगे.
- यह चर्चा वंदे मातरम् की 150वीं वर्षगांठ समारोह का हिस्सा है, जिसमें गीत के इतिहास और महत्व पर व्यापक बहस होगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज लोकसभा में राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ पर चर्चा की शुरुआत करेंगे. इस ऐतिहासिक बहस के लिए 10 घंटे का समय तय किया गया है. चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई और प्रियंका गांधी वाद्रा सहित कई प्रमुख नेता शामिल होंगे.
क्या है सरकारी की तैयारी?
यह बहस बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित और जदुनाथ भट्टाचार्य द्वारा संगीतबद्ध गीत की 150वीं वर्षगांठ के वर्षभर चलने वाले समारोह का हिस्सा है. पीएम मोदी ने कहा था कि कांग्रेस के फैसले ने बंटवारे के बीज बोए और राष्ट्रगीत के टुकड़े कर दिए. हालांकि, कांग्रेस ने दावा किया कि यह फैसला रवींद्रनाथ टैगोर की सलाह पर लिया गया था और यह दूसरे समुदायों और धर्मों के सदस्यों की भावनाओं का ध्यान रखने जैसा था. सरकार का उद्देश्य युवाओं और छात्रों में इस गीत के महत्व को लेकर जागरूकता बढ़ाना है. वंदे मातरम बहस से जुड़े शेड्यूल के मुताबिक, सत्ताधारी एनडीए सदस्यों को लोकसभा में इसके लिए तय कुल 10 घंटों में से तीन घंटे दिए गए हैं. लोकसभा के सोमवार देर रात तक चलने की संभावना है.
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क्या खुलासे होंगे?
अधिकारियों के मुताबिक, चर्चा के दौरान ‘वंदे मातरम्' से जुड़े कई अनजाने पहलू सामने आएंगे. मंगलवार को राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह चर्चा की शुरुआत करेंगे. साथ ही, संसद में चुनाव सुधारों पर भी बहस होगी, जिसमें मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) जैसे अहम मुद्दे शामिल होंगे.
क्या है वंदे मातरम का मतलब?
वंदे मातरम का मतलब है- मैं मां को नमन करता हूं... या फिर भारत माता मैं तेरी स्तुति करता हूं. इसीलिए इसे भारत माता का गीत भी कहा जाता है. इसमें वंदे संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका मतलब नमन करना होता है, वहीं मातरम इंडो-यूरोपीय शब्द है, जिसका मतलब 'मां' होता है. मातृभूमि के प्रति सम्मान जताने के लिए इस गाने का इस्तेमाल होता है.
गीत का इतिहास
‘वंदे मातरम्' की 150वीं वर्षगांठ 7 नवंबर को मनाई गई थी. यह गीत बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित है और पहली बार 1875 में बंगदर्शन पत्रिका में प्रकाशित हुआ था. बाद में इसे उनकी प्रसिद्ध कृति आनंदमठ में शामिल किया गया. गीत को संगीतबद्ध रवींद्रनाथ टैगोर ने किया और यह भारत की सांस्कृतिक और राजनीतिक चेतना का अभिन्न हिस्सा बन गया.













