रामलीला मंचन के दौरान उत्तराखंड की जेल से तीन कैदियों ने फरार होने की योजना बनाई थीं. जिसमें से दो कैदी फरार होने में सफल रहे. जबकि एक कैदी जेल की दीवार फांदने की कोशिश में असफल रहा और सीढ़ी गिर जाने के कारण वे भाग नहीं सका. जब जेल से दो कैदियों के फरार होने का पता चला तो हड़कंप मच गया. फरार कैदियों को पकड़ने के लिए 10 टीमें लगाई गई हैं. एसआईटी के पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षक (शहर) स्वतंत्र कुमार सिंह को सौंपी गयी है. पुलिस सूत्रों ने बताया कि हरिद्वार जिला जेल से भागने वाले दो कैदियों ने एक तीसरे कैदी के साथ मिलकर यह योजना बनाई थी, जिसने भी उनके साथ जेल की दीवार फांदने की कोशिश की थी, लेकिन असफल रहा.
विशेष जांच दल गठित
जेल से दो दिन पहले फरार दो कैदियों का अब तक कोई सुराग नहीं लग पाया. फरार कैदियों को जल्द से जल्द पकड़ने तथा मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया है. हरिद्वार के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेंद्र डोभाल ने मामले में सख्त रूख अपनाते हुए शुक्रवार रात को फरार हुए कैदियों को जल्द से जल्द फिर से गिरफ्तार करने के लिए अपर पुलिस अधीक्षक (सदर) जितेंद्र मेहरा के नेतृत्व में एक एसआईटी का गठन किया है.
छह जेल कर्मचारी निलंबित
हरिद्वार के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने घटना की जानकरी लेने के लिए जेल का दौरा किया. जेल अधिकारियों की लापरवाही सामने आने के बाद जेलर प्यारेलाल सहित छह जेल कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक जानकारी में सामने आया कि पंकज और रामकुमार सहित जेल मे बंद तीन कैदियों ने करीब एक हफ्ते पहले ही रामलीला के दौरान जेल से फरार होने की योजना बना ली थी. इस योजना में छोटू नाम का एक तीसरा कैदी भी शामिल था.
इस तरह हुए फरार
सूत्रों ने बताया कि इन तीनों ने रामलीला में जेल कर्मियों की व्यस्तता का लाभ उठाते हुए जेल मे मौजूद दो सीढ़ियों को कपड़े से जोड़कर उसे दीवार से लगा दिया, जिसके बाद पंकज और फिर रामकुमार भागने में सफल रहे लेकिन जब छोटू ने सीढ़ी चढ़ना शुरू किया तो सीढ़ी गिर पड़ी और वह भागने में नाकामयाब रहा.
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