उत्तराखंड उच्च न्यायालय (Uttarakhand High Court) ने राज्य सरकार को झटका देते हुए राज्य की नई खनन नीति (New Mining Policy) पर रोक लगा दी है, जिसे 28 अक्टूबर, 2021 को लागू किया गया था. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की पीठ ने इस मामले को लेकर दायर याचिका पर सरकार को नोटिस जारी किया. सरकार को इस याचिका पर चार सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया है. यह याचिका नैनीताल (Nainital) के एक निवासी ने दायर की है. याचिकेा में आरोप लगाया है कि नई खनन नीति केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से मंजूरी लिए बिना लागू की गई थी.
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याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि निजी पार्टियों को खनन पट्टे जारी करते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और पर्यावरण को संभावित नुकसान की अनदेखी की गई. नई नीति में 5 हेक्टेयर तक की भूमि पर उत्खनन का पहला अधिकार उसके मालिक को दिया जाएगा और किसी भी व्यक्ति को दो क्षेत्रों के उत्खनन का अधिकार पट्टे पर नहीं दिया जाएगा.
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इससे पहले, फरवरी 2019 में सरकार ने विधासनभा में खुद माना कि 2009 से 2015 तक 42,152 खनन से जुड़े मामले दर्ज कराए गए हैं, लेकिन किसी में कड़ी कार्रवाई नहीं हुई. यही नहीं फरवरी 2018 में रेत माफिया ने आईएफएस अभिषेक तोमर की हत्या की कोशिश की. 2017 में मुरैना में रेत माफिया ने पुलिसकर्मी धर्मेंद्र चौहान को कुचल दिया. 2017 में ही आएएस सोनिया मीणा को खनन माफिया ने धमकी दी. अवैध खनन की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों पर भी मध्यप्रदेश में खूब हमले हुए. 2015 में रेत माफिया ने पत्रकारों पर 19 दफे तो 2016 में 24 बार जानलेवा हमले किए.