- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को दिल्ली आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. उन्होंने इसे शिष्टाचार भेंट बताया.
- योगी ने इसके बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से अलग-अलग मुलाकात की. शाह के साथ उनकी करीब 45 मिनट बैठक हुई.
- सीएम योगी के इस दिल्ली दौरे को यूपी में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव और संभावित कैबिनेट फेरबदल की अटकलों से जोड़कर देखा जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शनिवार को अचानक दिल्ली पहुंचे. इस दौरान उन्होंने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात की. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से जाकर मिले. यूपी में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव और कैबिनेट विस्तार की अटकलों के बीच योगी के इस दौरे को महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
सीएम योगी लखनऊ से दिल्ली आकर सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर जाकर मिले. इसके बाद वह बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मिलने के लिए पहुंचे.
इसके बाद सीएम योगी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर उनसे मुलाकात की. दोनों के बीच करीब 45 मिनट तक बैठक चली.
अमित शाह से मुलाकात करने के बाद योगी आदित्यनाथ ने मिजोरम के राज्यपाल जनरल (से.नि.) डॉ. विजय कुमार सिंह से भी नई दिल्ली में जाकर मुलाकात की. उन्होंने इसे शिष्टाचार भेंट बताया.
बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ योगी की यह मुलाकात ऐसे समय हुई है, जब प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष के चुनाव को लेकर गहमागहमी जारी है. पार्टी पिछले कई महीनों से इस बात को लेकर माथापच्ची कर रही है कि भूपेंद्र चौधरी की जगह किसे यूपी में किसे पार्टी की कमान सौंपी जाए.
नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर पार्टी नेतृत्व की संगठन के तमाम पदाधिकारियों, फ्रंटल संगठनों और आरएसएस स्वयंसेवकों से भी बातचीत की जा चुकी है. योगी के इस अचानक दिल्ली दौरे से माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष के नाम का ऐलान किया जा सकता है.
वैसे तो यूपी में अगला विधानसभा चुनाव दो साल के बाद होना है. लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी के कमजोर प्रदर्शन के बाद पार्टी हर कदम फूंक-फूंककर रखना चाहती है. पार्टी किसी ऐसे नेता को प्रदेश अध्यक्ष की गद्दी सौंपना चाहती है, जो पार्टी संगठन को नए स्तर तक ले जा सके, साथ ही योगी के साथ संबंधों का भी ख्याल रखे.
पार्टी नए यूपी अध्यक्ष के चुनाव में जातीय समीकरण, क्षेत्रीय संतुलन और वोटों के गणित सभी का ख्याल रखना चाहती है. पार्टी किसी ऐसे नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहती है, जो इन सभी समीकरणों को साध सके. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद यूपी में कैबिनेट विस्तार होने की भी चर्चा है.