राहुल और अखिलेश में फोन पर हुई बात, फूलपुर सीट के लिए होगी यह नई डील!

UP Bypoll: फूलपुर सीट से जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का नाम जुड़ा हुआ है. कांग्रेस को लगता है कि प्रयागराज से सटी ये सीट कांग्रेस की पुश्तैनी सीट है. कांग्रेस को शायद लगता है कि उसका इस सीट पर प्रभाव है. लेकिन अखिलेश पहले ही उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं.

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UP Bypoll: अखिलेश-राहुल के बीच सीट शेयरिंग पर हुआ समझौता. (फाइल फोटो)

उत्तर प्रदेश में 13 नवंबर को 9 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव (UP Bypoll) होना है. उपचुनाव में सीटों के बंटवारे को लेकर राहुल गांधी और अखिलेश यादव (Rahul Akhilesh On Seat Sharing) के बीच बातचीत हुई. प्रियंका गांधी ने श्रीनगर में अखिलेश यादव से हुई मुलाक़ात के दौरान फूलपुर विधानसभा सीट की मांग की थी. लेकिन अखिलेश यादव इसके लिए तैयार नहीं है. समाजवादी पार्टी ने कांग्रेस को लिखित में दो विधानसभा सीटें अलीगढ़ की खैर और ग़ाज़ियाबाद सदर देने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन कांग्रेस इसके लिए तैयार नहीं है. 

कांग्रेस को फूलपुर सीट चाहिए

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि दोनों सीटें पश्चिमी यूपी की है. वह यूपी के पूर्वांचल से भी एक सीट चाहती है. सूत्रों के मुताबिक,  कांग्रेस फूलपुर सीट पर अड़ी हुई है.सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी का कोई क़रीबी नेता वहां से चुनाव लड़ना चाहता है. इसीलिए कांग्रेस यह सीट अपन पाले में चाहती है.  माना जा रहा है कि राहुल और अखिलेश के बीच हुई बातचीत में सीटों पर समझौता हो गया है.आज दोपहर को इसका औपचारिक ऐलान किया जा सकता है. माना जा रहा है कि कांग्रेस के लिए सीटों की संख्या दो ही हो सकती है, लेकिन सीटें बदली जा सकती हैं.

सपा ने कांग्रेस के लिए छोड़ी ये 2 सीटें

कांग्रेस समाजवादी पार्टी से पांच सीटों की मांग कर रही थी. लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी. खबर के मुताबिक, कांग्रेस अपने मन मुताबिक सीटें हासिल नहीं कर सकी है. सपा ने अपने सहयोगी के लिए अलीगढ़ की खैर और गाजियाबाद की सदर सीट छोड़ी है. लेकिन कांग्रेस की निगाहें फूलपुर पर टिकी हुई हैं. वैसे तो अखिलेश पहले ही इस सीट को देने से इनकार कर चुके हैं. सपा ने तो इस सीट पर अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया है. कांग्रेस को कौन सी सीटों मिलेंगी, इसका ऐलान अब तक नहीं हुआ है. 

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फूलपुर सीट क्यों चाहती है कांग्रेस?

दरअसल फूलपुर सीट  से जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी का नाम जुड़ा हुआ है. कांग्रेस को लगता है कि इलाहाबाद से सटी ये सीट कांग्रेस की पुश्तैनी सीट है. कांग्रेस को शायद लगता है कि उसका इस सीट पर प्रभाव है. लेकिन अखिलेश इस सीट को किसी को भी देने के लिए तैयार नहीं हैं. वह तो उम्मीदवार के नाम का ऐलान भी कर चुके हैं. लेकिन अब भी कांग्रेस को उम्मीद है कि शायद ये सीट उनको मिल जाए. हालांकि खबर सामने आई है कि सीटों को लेकर अब अखिलेश और राहुल के बीच बातचीत हो चुकी है. कांग्रेस को कौन सी दो सीटें मिलेंगी इसे लेकर समझौता हो चुका है, सिर्फ ऐलान ही बाकी है.

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कांग्रेस किन दो सीटों पर लड़ेगी चुनाव?

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पहले से ही मजबूत स्थिति में नहीं है. जो दो सीटें दिए जाने की बात सामने आ रही है, उन पर कांग्रेस का पिछला रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं है. दरअसल गाजियाबाद की सदर सीट बीजेपी का गढ़ माना जाता है. वहीं अलीगढ़ की खैर सीट पर पिछले चुनाव में कांग्रेस 1500 वोटों तक भी नहीं पहुंच सकी थी. शायद यही वजह है कि वह अपने प्रभाव वाली सीट उप चुनाव में चाहती है. कांग्रेस अपने लिए ऐसी सीट चाहती है, जिस पर उनके लिए जीत की राह आसान हो. इसीलिए वह या तो मिर्जापुर की मझवां या फिर प्रयागराज की फूलपुर सीट चाहती थी. लेकिन कांग्रेस के हिस्से क्या आया है, ये ऐलान के बाद ही साफ हो सकेगा.
 

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