यूपी में निषाद समाज को 'लुभाने' की होड़, प्रियंका गांधी के प्रयागराज दौरे के बाद BJP और SP भी 'मैदान' में उतरीं

यूपी में विधानसभा चुनाव में पिछड़े वोटों के लिए 'बड़ी लड़ाई' होनी है, उसमें गंगा और यमुना के किनारे बसने वाले निषादों का बड़ा रोल होगा.

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प्रियंका गांधी ने प्रयागराज पहुंचकर मल्‍लाहों के साथ पंचायत की थी (फाइल फोटो)
लखनऊ:

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi vadra) ने प्रयागराज (Prayagraj) में निषादों की बस्‍ती में पहुंचकर पंचायत क्‍या की, यूपी में 13 फीसदी निषाद वोट के लिए 'सियासी जंग' तेज हो गई है. प्रियंका के जाते ही इसमें समाजवादी पार्टी (SP) और बीजेपी (BJP) भी 'मैदान' में आ गई है. सबने प्रयागराज में बैठक करके दावा किया कि निषादों के सबसे बड़े हिमायती वहीं है. इस बीच, कांग्रेस की निषाद यात्रा पर तो विरोधी निषादों के हमले का आरोप भी लगा है, फिर भी उनकी यात्रा जारी है.सबसे पहले प्रियंका यहां आई थीं. वे निकलीं तो उनके साथ मल्‍लाहों का हुजूम चल पड़ा. नदी किनारे वे गांव-गांव घूमीं. यहां उन्‍होंने मल्‍लाहों के साथ पंचायत भी की थी. वे नदी में टूटी पड़ी नावों को देखने गई थीं जिन्‍हें पुलिस ने मल्‍लाहों पर बालू तस्‍करी का आरोप लगाकर तोड़ दिया था और उन पर लाठीचार्ज किया था. कांग्रेस नेता प्रियंका ने मांग की कि नदी पर मल्‍लाहों को अधिकार दिए जाएं. उन्‍होंने कहा, 'यदि खनन माफिया यहां खनन कर सकता है तो जो यहां पर रहने वाले लोग हैं जिनका अधिकार है घाटों पर, जिनका अधिकार है इस जमीर पर, जिनका अधिकार है इस नदी पर वो क्‍यों नहीं कर सकते?' अगले ही दिन समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव प्रयागराज पहुंच गए. उनके पिता मुलायम सिंह यादव ने निषादों के जीवन स्‍तर को ऊपर उठाने के लिए बहुत काम किया. निषाद बिरादरी की फूलन देवी को उन्‍होंने चुनाव लड़ाकर सांसद बनवाया था. अखिलेश ने भी पुलिस कार्रवाई की निंदा की और निषादों के साथ खड़े होने का ऐलान किया.

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अखिलेश ने कहा, 'यहां बीजेपी सरकार ने मल्‍लाहों की नाव नहीं तोड़ी थी उनके पेट पर, उनकी रोजी को खत्‍म करने का काम किया था. मुझे खुशी इस बात की है कि समाजवादी पार्टी के नेता और कार्यकर्ता सबसे पहले उनके बीच पहुंचे और जो कुछ भी मदद कर सकते थे, उनकी मदद की.' इसके बाद बारी बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं की थी. निषादों पर पुलिस लाठीचार्ज और उनकी नाव तोड़ने को लेकर वे सरकार से नाराज नजर आए. 

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बीजेपी ने यहां अपनी मीटिंग को निषाद समस्‍या समाधान समारोह नाम दिया. साथ की पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई का वादा किया. यूपी सरकार में मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, 'योगीजी ने मुझसे कहा है कि उसके आधार पर यहां एक मजिस्ट्रियल जांच होगी. 10 दिन में उसकी रिपोर्ट आएगी. उस  रिपोर्ट के आधार पर जो भी अधिकारी, फिर चाहे वे बड़े हों या छोटे, दोषी पाए जाएंगे, उन्‍हें दंडित किया जाएगा. साथ ही साथ उसके इसके बीच में जिस भी पुलिस अधिकारी का नाम आ रहा है, उनको लाइन हाजिर किया जाएगा.' फिर कांग्रेस ने प्रयागराज से बलिया तक 'नदी अधिकार यात्रा' प्रारंभ की जिसका नारा है-'निषादों के सम्‍मान में, कांग्रेस मैदान में'. लेकिन इस यात्रा पर हमला हो गया. निषाद पार्टी के लोगों के साथ झड़प हुई. कांग्रेस पार्टी ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया है.

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी कहते हैं, 'हमारी प्रभारी महासचिव प्रियंका गांधी ने इस संघर्ष की शपथ ली है कि हम पुत्र को जब तक माता की सेवा का मौका नहीं दिला देंगे, यह कांग्रेस का झंडा लेकर हर कार्यकर्ता लड़ता रहेगा, संघर्ष करता रहेगा' गौरतलब है कि यूपी में विधानसभा चुनाव में पिछड़े वोटों के लिए 'बड़ी लड़ाई' होनी है, उसमें गंगा और यमुना के किनारे बसने वाले निषादों का बड़ा रोल होगा. त्रेतायुग में निषादराज ने भगवान राम की नाव पार लगाई थी, कलयुग में सियासी सवारियां बहुत है, देखना दिलचस्‍प होगा कि आगामी विधानसभा चुनाव में ये किसकी नाव पार लगाते हैं?

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