कृषि कानूनों (farm laws) के खिलाफ एक साल तक चले किसान आंदोलन (farmers protest) और इसकी वापसी के ऐलान के बीच किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने की मांग भी हो रही है. इस बीच एक ऐसे पुराने किसान आंदोलन का ऐसा वाकया सामने आया है, जिसमें खुद बीजेपी के नेता ही मुश्किलों में घिरते नजर आ रहे हैं. यूपी में 2012 में हुए एक किसान आंदोलन ( Kisan Andolan) के दौरान कथित तौर पर ट्रेन को रोकने के मामले में बीजेपी नेता और यूपी सरकार के मंत्री की ही मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. इस मामले में मंत्री कपिल अग्रवाल सहित आठ BJP नेताओं पर मंगलवार को मुजफ्फरनगर की एक विशेष कोर्ट ने मुकदमा शुरू किया था.
जनप्रतिनिधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत ने इस मामले में सुनवाई का आदेश दिया था. व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास राज्य मंत्री अग्रवाल के अलावा 7 अन्य बीजेपी नेताओं ने तत्कालीन सरकार की "किसान विरोधी" नीतियों के खिलाफ एक आंदोलन में हिस्सा लिया. इसके तहत मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन पर हरिद्वार एक्सप्रेस को कुछ घंटों के लिए रोक दिया गया था.
इन नेताओं में बीजेपी विधायक उमेश मलिक और पूर्व विधायक अशोक कंसल शामिल हैं. विशेष जज गोपाल उपाध्याय ने रेलवे कानून की धारा 147 और 156 के तहत आरोप तय किए हैं. हालांकि बीजेपी नेता खुद को बेकसूर बता रहे हैं. जज ने आरोपी मंत्री और अन्य नेताओं से सवाल किया कि क्या वे रेलवे परिसर में प्रवेश करने और ट्रेन सेवा को रोकने से जुड़े आरोपों में दोषी हैं तो उन्होंने खुद को निर्दोष बताया और सुनवाई किए जाने का अनुरोध किया.
उसके बाद कोर्ट ने सुनवाई का आदेश दिया है. बीजेपी नेताओं के खिलाफ आरोप तय करने के बाद कोर्ट ने 30 नवंबर की तारीख तय की है. सरकारी वकील मनोज ठाकुर ने कहा कि मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन को जबरदस्ती रोकने के आरोप में 8 लोगों के खिलाफ जीआरपी ने तीन अप्रैल 2012 को मामला दर्ज किया था.