UP Elections 2022: कांग्रेस को चुनाव से पहले राज बब्बर देंगे एक और बड़ा झटका?

क्या उत्तर प्रदेश में विधानसभा (UP Assembly Elections) चुनाव से पहले कांग्रेस को एक और झटका लग सकता है? कांग्रेस के उत्तर प्रदेश में स्टार प्रचारक और बड़े नेता राज बब्बर के सुर पार्टी लाइन से हटे लग रहे हैं.

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कांग्रेस नेता राज बब्बर 1980 के दशक के आखिर में फिल्मों से राजनीति में आए थे  
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश चुनाव ( UP Election 2022) से पहले कांग्रेस (Congress) को एक और बड़ा झटका लग सकता है. कांग्रेस को अपने पुराने नेता राज बब्बर (Raj Babbar) की तरफ से परेशान करने वाले संकेत मिल रहे हैं. राज बब्बर की तरफ से हाल ही में किए गए ट्वीट पार्टी लाइन से हटे हुए नज़र आ रहे हैं और उन्हें अधिक स्पष्टीकरण देने की ज़रूरत भी नहीं लगती है.  जब कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को दिए गए पद्म भूषण अवार्ड की वजह से जयराम रमेश जैसे दूसरी पार्टी के लीडर्स की तरफ से तंज कसे गए तो राज बब्बर ने उन्हें बधाई दी. 

राज बब्बर की तरफ से लिखा गया, " बधाई हो गुलाम नबी आज़ाद साहब! आप एक बड़े भाई जैसे हैं और आपका बेदाग सार्वजनिक जीवन और गांधीवादी विचारों के लिए आपकी प्रतिबद्धता एक प्रेरणा है. देश के लिए आपकी पांच दशकों की सेवा को पद्म भूषण पुरस्कार उचित पहचान देता है."

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जब कांग्रेस में गांधी परिवार की आलोचना करने वाले 23 नेताओं के "G-23" समूह में से एक गुलाम नबी आज़ाद की प्रशंसा करने पर उनकी आलोचना हुई तो राज बब्बर ने जवाब देते हुए ट्वीट किया कि अवार्ड की अहमियत तो तब है जब विरोधी पक्ष किसी नेता की उपलब्धियों को सम्मान दे - अपनी सरकार में तो कोई भी ख़्वाहिश पूरी कर सकते हैं लोग.  उन्होंने कहा कि पद्म भूषण पुरस्कार पर बहस की ज़रूरत नहीं है. 

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ऐसे ख़बरें राजनैतिक गलियारों में घूम रहीं हैं कि राज बब्बर अपनी पिछली पार्टी, अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी में उत्तरप्रदेश चुनाव से पहले जा सकते हैं.   

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राज बब्बर को कथित तौर से अखिलेश यादव के संपर्क में बताया जा रहा है. 

एक समय के मशहूर फिल्म स्टार राज बब्बर ने 1980 के दशक के आखिर में जनता दल के साथ राजनीति में कदम रखा था.  

वह बाद में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. उन्होंने 1999 और 2004 में आगरा से लोकसभा चुनाव भी जीता था.  लेकिन 2006 में उन्हें समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया. दो साल बाद, वो कांग्रेस में शामिल हो गए थे.   

साल 2009 में, राज बब्बर ने फिरोज़ाबाद से उप-चुनाव जीता था. लेकिन 2014 और 2019 के चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा.  

अगले महीने होने वाले उत्तर प्रदेश चुनाव में राज बब्बर प्रचार में भी कम ही नज़र आए लेकिन सोमवार को जारी हुई स्टार प्रचारकों की लिस्ट में उनका नाम है. 

लेकिन इस लिस्ट में नाम तो आरपीएन सिंह का भी था, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का बड़ा चेहरा रहे इस नेता ने अगले ही दिन भाजपा का दामन थाम लिया था. 

कांग्रेस पिछले कुछ समय से अपने बड़े नेताओं को संतुष्ट करने में चुनौतियों का सामना कर रही है. 

राहुल गांधी के करीबी समूह "टीम राहुल" में 2020 से ही सेंध लगनी शुरू हो गई थी जब ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी छोड़ी और भाजपा में शामिल हो गए. इसके बाद मध्य-प्रदेश में कांग्रेस का पतन हुआ और भाजपा की सरकार बनी. 

पिछले साल, जितिन प्रसाद ने कांग्रेस से भाजपा का रुख किया और उत्तर प्रदेश की भाजपा की योग आदित्यनाथ की सरकार में उन्हें शामिल किया गया.  यह तीनों ही साल 2004-2009 में कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे थे. 

ये VIDEO भी देखें- सवाल इंडिया का : कांग्रेस में खेमेबाजी, कौन आजाद है और कौन गुलाम?

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