योगी आदित्यनाथ की पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी के शीर्ष नेताओं के साथ दिल्ली में बैठकों की कड़ी को यूपी के सीएम के फिर से नियंत्रण करने के प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है क्योंकि वे पार्टी में गहरे असंतोष का सामना कर रहे हैं. ऐसे समय जब यूपी में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, केंद्रीय नेतृत्व भी इसे लेकर चिंतित है. विभिन्न स्रोतों, जिसमें सांसद, विधायक और राज्य के मंत्री भी शामिल हैं, से मिले फीडबैक के बाद बीजेपी के शीर्ष नेता यूपी में नेतृत्व को लेकर खासे चिंतित हैं. बीजेपी के वैचारिक मार्गदर्शक माने जाने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबंध राज्य के नेताओं और संघ पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबोले ने भी इसी तरह की रिपोर्ट दी है. सीएम योगी आज पीएम मोदी से मुलाकात करेंगे.
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बीजेपी के केंद्रीय नेताओं, बीएल संतोष और राधामोहन सिंह की ओर से लखनऊ में की गई तीन दिनों की समीक्षा में भी इसी तरह की राय उभरकर सामने आई थी. सूत्र बताते हैं कि सभी रिपोर्टों में यह बात प्रमुखता से कही गई कि योगी सभी को साथ लेकर नहीं चल पा रहे हैं. रिपोर्ट में गैर ठाकुरों (सीएम योगी इसी ठाकुर जाति से हैं) विशेषकर ब्राह्मणों के बीच असंतोष के बारे में भी जिक्र है. भगवा वस्त्र धारण करने वाले सीएम योगी को पार्टी सांसदों और विधायकों के लिए 'पहुंच से दूर' बताया गया है. यह भी कहा जा रहा है कि यूपी जब कोरोना की दूसरी लहर का सामना कर रहा था तब तो यह असंतोष, गहरी नाराजगी में बदल गया. सूत्र बताते हैं कि यह यूपी सरकार, सोशल मीडिया और वैश्विक रिपोर्टो में आलोचना का सामना कर रही थी, तब पार्टी में अंदरूनी स्तर पर मतभेद खुलकर सामने आ गए.
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सूत्र बताते हैं कि सीएम, अपने 'ट्रैक रिकॉर्ड' का बचाव करने के लिए विभिन्न विभागों के संबंधित अहम दस्तावेज साथ लेकर गए हैं. वे लीडरशिप को इस मामले में संतुष्ट करने का प्रयास करेंगे कि सरकार ने कोरोना संकट के दौरान कुप्रबंधन नहीं किया. हालांकि बात चाहे जो भी हो, पार्टी के शीर्ष नेता इस बात से अच्छी तरह से वाफिक है कि ऐसे समय जब राज्य में विधानसभा चुनाव के लिए एक साल से कम का समय शेष है, पार्टी के स्टार प्रचारक और लोकप्रिय चेहरों में से एक योगी आदित्यनाथ को हटाना किसी भी तरह से उचित नहीं होगा. हटाना तो दूर इस बारे में विचार भी नहीं किया जा सकता. एक विकल्प यही है कि स्टेट कैबिनेट और संगठन में बदलाव कर 'जरूरी सुधार' किए जाएं.
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सूत्र बताते हैं कि केंद्रीय नेतृत्व, पूर्व नौकरशाह एके शर्मा को कैबिनेट में स्थान देने के लिए दबाव बना रहा है. शर्मा की गिनती पीएम मोदी के करीबियों में की जाती है. दूसरी ओर, सीएम योगी का जोर स्वतंत्र देव सिंह को यूपी बीजेपी अध्यक्ष बरकरार रखने पर है. यह चर्चाएं चल रही है कि दिल्ली के नेता स्वतंत्र के स्थान पर किसी ब्राह्मण चेहरे को लाने के पक्ष में हैं. सूत्र बताते हैं कि शीर्ष नेतृत्व, सीएम योगी की कैबिनेट और पार्टी के ढांचे को समरूप/मिलनसार (accommodating) बनाना चाहता है. वह यह भी चाहता है कि संगठन में जातिगत समीकरण का संतुलन स्थापित किया जाए. सीएम योगी, कैबिनेट विस्तार के लिए अनुशंसाएं (recommendations) भी लेकर दिल्ली पहुंचे हैं. उनकी कैबिनेट में इस समय 42 मंत्री हैं और वे 18 और मंत्रियों को स्थान दे सकते हैं.