मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) यूपी विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) से पहले रविवार को अपनी कैबिनेट का विस्तार (UP Cabinet Expansion) किया. यूपी में 7 नए मंत्री बनाए गए हैं. कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हुए जितिन प्रसाद को भी मंत्री बनाया गया है. पलटू राम, छत्रपाल गंगवार, संगीता बलवंत बिंद, धर्मवीर प्रजापति, संगीत कुमार गोंड और दिनेश खटिक मंत्री बनाए गए हैं. बता दें कि यूपी के तीन मंत्रियों की कोरोना से मौत हुई थी. उन तीन पदों के अलावा और जगह भी खाली थी, जिसे आज भरा गया है.
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने राजभवन के गांधी सभागार में आयोजित एक सादे समारोह में जितिन प्रसाद, पलटू राम, धर्मवीर प्रजापति, छत्रपाल गंगवार, संगीता बलवंत, संजीव कुमार गौड़ और दिनेश खटिक को मंत्री पद की शपथ दिलाई. प्रसाद को कैबिनेट मंत्री जबकि अन्य को राज्य मंत्री पद की शपथ दिलायी गयी. पूर्व में केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री रह चुके जितिन प्रसाद हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे. उन्हें राज्य मंत्रिमंडल के विस्तार के तहत मंत्री पद दिया जाना तय माना जा रहा था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे लेकर अपने कू अकाउंट पर लिखा, 'आज सम्पन्न हुआ उ.प्र. मंत्रिमंडल का विस्तार पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के दर्शन को प्रतिबिंबित करता है. आज का विस्तार हर तबके को प्रतिनिधित्व, सामाजिक संतुलन की भावना, समरसता का संदेश तथा अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को अवसर प्रदान करने की मंशा से ओतप्रोत है.'
राज्य मंत्री बनाये गये छत्रपाल सिंह गंगवार बरेली की बहेड़ी सीट से विधायक हैं. वहीं, पलटू राम बलरामपुर सीट से, संगीता बलवंत गाजीपुर सीट से, संजीव कुमार सोनभद्र जिले के ओबरा क्षेत्र से और दिनेश खटिक मेरठ के हस्तिनापुर से विधायक हैं, जबकि आगरा के धर्मवीर सिंह प्रजापति विधान परिषद सदस्य हैं.
प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार ऐसे समय किया गया है जब राज्य के विधानसभा चुनाव में बमुश्किल पांच महीने रह गए हैं. इस मंत्रिमंडल विस्तार से पहले प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री समेत 23 कैबिनेट मंत्री, नौ स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री और 21 राज्य मंत्री थे. राज्य विधानसभा में सदस्यों की संख्या 403 है, ऐसे में नियमानुसार 60 मंत्री बनाये जा सकते हैं लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार से पूर्व सिर्फ 53 मंत्री थे और सात पद खाली थे जिन्हें आज भरा गया.
बीजेपी ने कैबिनेट विस्तार में जातीय संतुलन पर ध्यान दिया है. सूत्रों के मुताबिक, मंत्रिमंडल विस्तार में ज्यादा से ज्यादा जातियों और समुदाय का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने की कोशिश की गई है.
इस मंत्रिमंडल विस्तार को बीजेपी की यूपी विधानसभा चुनाव से पहले अधिक से अधिक पिछड़ी जातियों को साथ लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर गैर यादव जातियों को. यूपी में सपा की सरकार बनने पर अक्सर ऐसी आलोचना की जाती रही है कि सिर्फ यादवों को ही प्रमुखता मिलती है.
यूपी के तीन मंत्रियों की कोरोना के चलते मौत हो चुकी है, लिहाजा उनकी जगह भी इस मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये भरी गई है. उत्तर प्रदेश में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसे देखते हुए सभी राजनीतिक दल तैयारियों में जुट गए हैं. (इनपुट भाषा से...)
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