उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से महीनाभर पहले अजीब खेल चल रहा है. यहां मंत्री और विधायक सत्तारूढ़ पार्टी से पलायन कर रहे हैं और कहीं किसी विधायक के अपहरण की ही खबरें उड़ जा रही हैं. इसी खेल के चलते बुधवार को बीमार पड़े एक बीजेपी विधायक को सफाई देनी पड़ गई. खबरें आ रही थीं कि बड़े ओबीसी नेता और यूपी के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या के साथ पार्टी छोड़ रहे विधायकों में इस विधायक का नाम भी है और मौर्या से अच्छे संबध रखने वाले भाई ने उन्हें 'किडनैप' ही कर लिया है.
बीजेपी नेता विनय शाक्य औरेया जिला के बिधुना से विधायक हैं. मंगलवार की शाम को स्वामी प्रसाद मौर्या के साथियों ने कहा था कि जो चार बीजेपी नेता मौर्या के साथ पार्टी छोड़ रहे हैं, उनमें शाक्य का नाम भी है. इसके कुछ ही घंटों बाद विनय शाक्य की बेटी ने एक बयान दिया कि उनके पिता का अपहरण कर लिया गया है.
रीना शाक्य ने न्यूज एजेंसी ANI को दिए एक बयान में कहा था कि 'आप सब जानते हैं कि कुछ सालों पहले मेरे पिता पैरालाइज हो गए थे, उसके बाद से वो चल नहीं पाते हैं. मेरे चाचा देवेश शाक्य ने इसका फायदा उठाया और उनके नाम पर अपनी राजनीति करने लगे. आज उन्होंने सारी हदें पार कर दीं और जबरदस्त मेरे पिता को घर से उठा ले गए और सपा जॉइन करने के लिए लखनऊ चले गए.'
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विधायक की बेटी ने कहा कि 'मैं आपको बताना चाहती हूं कि हम बीजेपी के लिए काम कर रहे हैं और हमेशा पार्टी के साथ खड़े रहेंगे. जब मेरे पिता बीमार थे तो हमारी किसी ने मदद नहीं की थी, बस मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने की थी.'
मामला बढ़ने पर औरेया पुलिस को एक बयान जारी करना पड़ गया और पुलिस ने किसी भी अपहरण की घटना से इनकार कर दिया.
अब बुधवार की सुबह विनय शाक्य के घर से कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें वो इटावा के अपने निवास पर ही मौजूद दिखाई दे रहे हैं, जहां वो बीमार हैं और साथ में उनकी बुजुर्ग मां हैं. पूरे मामले पर उनका कहना था कि 'मेरी बेटी ने जो कुछ भी कहा, उसमें कोई सच्चाई नहीं है.' जब उनसे पूछा गया कि उनकी बेटी ने ये आरोप क्यों लगाए तो इसपर शाक्य ने हंसकर बात टाल दी.
इस ड्रामे से पता चलता है कि अगले महीने शुरू हो रहे विधानसभा चुनावों में कितना कुछ दांव पर लगा है. एक तरफ सीएम योगी की सत्तारूढ़ पार्टी इन चुनावों में भी विजयी रहने के दावे कर रहे हैं, वहीं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कई छोटी पार्टियों, खासकर गैर-यादवों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टियों के साथ गठबंधन करके चुनौतियां पैदा कर रहे हैं. पूर्वांचल से आने वाले गैर यादव ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्या और उनके वफादार नेता समाजवादी पार्टी में जाते हैं तो उनका दांव और मजबूत कहा जा सकता है.