असदुद्दीन ओवैसी के 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का यूपी में क्या होगा असर?

बड़ा सियासी सवाल ये है कि यूपी में बीजेपी के ख‍िलाफ कोई महागठबंधन ना होने की हालत में अगर ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (AIMIM) 100 सीटों पर लड़ती है तो उसका चुनाव में क्या असर होगा? यूपी विधानसभा चुनाव में अभी 7-8 माह का वक्त बचा है.

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Asaddudin Owaisi की एआईएमआईएम ने 2017 का विधानसभा चुनाव चुनाव भी लड़ा
लखनऊ:

उत्तर प्रदेश में पहले अख‍िलेश यादव और मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. जबकि एआईएमआईएम (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने यहां 100 सीटें लड़ने की घोषणा कर दी है. अब एक बड़ा सियासी सवाल ये है कि यूपी में बीजेपी के ख‍िलाफ कोई महागठबंधन ना होने की हालत में अगर ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) 100 सीटों पर लड़ती है तो उसका चुनाव में क्या असर होगा? यूपी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022 ) में अभी 7-8 माह का वक्त बचा है.

बसपा अध्यक्ष मायावती ने ऐलान कर दिया है कि वह चुनाव अकेले लड़ेंगी. चंद रोज पहले अख‍िलेश यादव ने तो कहा था कि वह छोटे दलों से गठबंधन करेंगे. लेकिन मायावती तो किसी के साथ गठबंधन से इनकार करती हैं. मायावती कहती हैं, 'मुझे पूरी उम्मीद है कि प्रदेश की जनता यहां लोकतंत्र को बचाने के लिए मेरी इन सब बातों को जरूर गंभीरता से लेगी. और यह इस बार आगामी विधानसभा चुनाव में बसपा की जरूर सरकार बनाएगी.'

यूं तो AIMIM यूपी में 10 दलों के मोर्चे भागीदारी संकल्प मोर्चे का हिस्सा है, लेकिन आज ओवैसी ने मायावती से गठबंधन की बातचीत का खंडन किया और यूपी में 100 सीटें लड़ने का ऐलान कर दिया.ओवैसी ने कहा, ''हमारे पार्टी के यूपी प्रेसिडेंट ने इस बात का ऐलान भी किया कि हम AIMIM पार्टी आने वाले 2022 के विधानसभा चुनाव में 100 सीट पर इंतेखाबात में हिस्सा लेंगे. हर पार्टी को अख्तियार है कि वो फैसला ले अपनी पार्टी की अच्छाई के लिए. मगर हमारा तो क्या, हमारी पार्टी के किसी जिम्मेदार ने किसी पॉलिटिकल पार्टी से बातचीत की? कोई बातचीत नहीं की हमने.'' 

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यूपी में 2017 के विधानसभा चुनावों में 9 छोटी पार्ट‍ियां मैदान में उतरीं. उनमें से सिर्फ तीन का खाता खुला. वह भी सिर्फ उन पार्ट‍ियों का जो किसी बड़ी पार्टी के गठबंधन में थीं. AIMIM ने 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सारी 38 सीटें हार गई. इनमें 37 सीटों पर जमानत जब्त हो गई थी. पार्टी को केवल 0.2 फीसदी वोट मिले थे. 

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एआईएमआईएम ने 100 विधानसभा सीटों पर उम्मीदवारों के लिए फॉर्म देने भी शुरू कर दिए हैं. लेकिन इस मौके पर पार्टी सत्ताधारी बीजेपी से सवाल पूछने की बजाय साढ़े चार साल पहले सत्ता से हट गई समाजवादी पार्टी से सवाल पूछ रही है कि उसने मुस्ल‍िम आरक्षण क्यों नहीं दिया.

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AIMIM के यूपी प्रदेश अध्यक्ष असिम वकार कहते हैं, ''सवाल तो हम पूछेंगे. मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के तमाम लोगों से मेरी गुजारिश है कि समाजवादी पार्टी के सभी लोगों से, चाहे वो जिले के लोग हों, नगर के लोग हों, वार्ड के लोग हों, राष्ट्र के लोग हों, जहां इनकी मीटिंग लग रही हो वहां इनसे सवाल कीजिए कि कहां है हमारा आरक्षण.''अब एक बड़ा सियासी सवाल ये भी है कि क्या AIMIM के 100 सीटों पर चुनाव लड़ने से समाजवादी पार्टी के मुस्ल‍िम वोट में सेंध लगेगी?

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फिलहाल AIMIM का यूपी में कोई बड़ा सियासी आधार नहीं है. ऐसे में अगर वो पिछड़ों के गठबंधन भागीदारी मोर्चा के साथ मिल कर 100 सीटें लड़ती है तो लगता है कि जिन सीटों पर समाजवादी पार्टी मामूली अंतर से जीत रही है वहां फर्क पड़ सकता है. वरना इस सियासी माहौल में शायद मुसलमान मुस्ल‍िम उम्मीदवार को वोट देने के बजाय उस पार्टी के उम्मीदवार को वोट देना चाहेगा जो बीजेपी को हराने की स्थ‍िति में हो.

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