दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में सुनवाई हुई. त्रिदिप पॉयस ने खालिद की ओर से दलीलें शुरू कीं. पॉयस ने कहा कि उसके खिलाफ जो-जो आरोप लगाए गए हैं वे आतंक फैलाने वाले कतई नहीं हैं. खालिद के खिलाफ पुलिस ने यूएपीए, देशद्रोह और दंगा फसाद के लिए लोगों को भड़काने के आरोप हैं. आरोपों का घटनाक्रम के साथ कोई तालमेल नहीं है. खालिद दंगा-फसाद की किसी भी घटना में मौजूद नहीं था.
उन्होंने कहा कि पुलिस बोल रही है कि दिल्ली में 23 जगहों पर पूर्व नियोजित तौर से सड़क जाम, ट्रैफिक जाम किया गया था जबकि असल में सड़क जाम एक कानून का विरोध करने के लिए जनता ने अपनी मर्जी से किया था. उसके लिए न तो किसी ने उकसाया और न ही भड़काया.
उमर खालिद की ओर से कहा गया कि मुझ पर चस्पा किए गए सारे आरोप बाद में गढ़े गए हैं. मेरा फोन और चैट सभी अपने कब्जे में करके पुलिस ने कहानी बुनी है. मेरे कहे को पुलिस ने इस कदर बढ़ा चढ़ाकर बताया कि मैं इतने लंबे समय से सलाखों के पीछे हूं. जिन लोगों ने प्रदर्शन और भड़काने की योजना बनाई और अमल किया वो न तो आरोपी बनाए गए और न ही उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ. वे तो खुलेआम घूम रहे हैं.
खालिद ने सरजिल इमाम से भी किसी तरह का रिश्ता या सांठगांठ होने से इनकार किया. उसके वकील ने कहा कि एक व्हाट्सऐप ग्रुप था जिसमें मुझे भी शामिल किया गया था, बस इससे ज्यादा कुछ नहीं. लेकिन निचली अदालत ने इसी ग्रुप की वजह से मुझे जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया, जबकि न तो मैंने वह ग्रुप बनाया न ही मैंने उस ग्रुप में एक भी पोस्ट डाली.
उमर खालिद के वकील ने कहा कि उसके खिलाफ कई तथाकथित आरोप लगाए गए हैं. उमर सिर्फ लोगों से मिला था और विरोध प्रदर्शन किया था. उमर ने किसी तरह के हिंसात्मक विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं लिया. उमर दो व्हाट्सऐप ग्रुप में शामिल था लेकिन वहां पर भी कोई भड़काऊ मैसेज नहीं किया. दिल्ली में CAA,NRC के प्रदर्शन को आतंकियों का प्रदर्शन कहा गया. हर आतंकी अपराधी हो सकता है, लेकिन हर अपराधी को आतंकी का लेबल नहीं दिया जा सकता है.
उमर खालिद की जमानत अर्जी पर दिल्ली हाईकोर्ट में मंगलवार को भी सुनवाई जारी रहेगी.