टोरेस पोंजी स्कैम के मास्टरमाइंड में युक्रेनी महिला का नाम शामिल, मुंबई पुलिस ने किया बड़ा खुलासा

सात दिन पहले टोरेस ने अपने यूट्यूब पेज पर एक वीडियो शेयर करते हुए घोषणा की थी कि वो 5 जनवरी से पहले निवेश करने वाले ग्राहकों को 11 प्रतिशत तक का ब्याज देंगे और इसके बाद ब्याज दर कम हो जाएगी.

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मुंबई:

एक महिला समेत दो यूक्रेनी नागरिकों की पहचान पोंजी घोटाले के मास्टरमाइंड के रूप में की गई है, जिन्होंने निवेश पर बड़ा रिटर्न देने का वादा करके मुंबई में सैकड़ों लोगों को ठगा है. टोरेस ज्वेलरी घोटाले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने यूक्रेनी नागरिक आर्टेम और ओलेना स्टोइन की भूमिका पर ध्यान दिया और उन्हें पकड़ने की कोशिश कर रही है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, इन दोनों ने इस साजिश में अहम भूमिका निभाई कि कैसे लोगों को रत्न, सोने और चांदी में उनके निवेश पर भारी रिटर्न का लालच दिया जा सकता है.

जांचकर्ता निवेशकों को लकी ड्रा पुरस्कार के रूप में दी गई 14 लग्जरी कारों की भी जांच कर रहे हैं. सूत्रों ने बताया कि इन कारों का उद्देश्य पोंजी स्कीम में अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित करना था. पिछले हफ्ते टोरेस ज्वेलरी चेन के 6 स्टोर्स के बंद हो जाने के बाद कई निवेशकर्ताओं की दुनिया पलट गई क्योंकि इस स्कीम में बड़े रिटर्न के नाम पर उनसे करोड़ों रुपये की ठगी की गई है. शिकायत के बाद पुलिस ने होल्डिंग फर्म प्लेटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड, उसके दो निदेशकों, सीईओ, जनरल मैनेजर और एक स्टोर इंचार्ज के खिलाफ मामला दर्ज किया है. आरोपियों पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश समेत अन्य आरोप लगाए गए हैं.

क्या थी स्कीम 

पिछले साल फरवरी में टोरेस आउटलेट्स मैक्सिमम सिटी और उसके आसपास के 6 स्थानों पर खोले गए थे. वो रत्न आभूषण बेचते  थे और साथ में बोनस स्कीम देते थे. इस स्कीम के तहत एक लाख रुपये का निवेश करने वाले ग्राहक को 10 हजार रुपये के मोइसैनाइट स्टोन वाला पेंडेंट मिलता था. ग्राहकों को अब पता चला है कि ये सभी स्टोन नकली हैं. कस्टमर्स को उनके द्वारा किए गए निवेश पर 52 हफ्तों में 6 प्रतिशत का ब्जाय देने का वादा किया गया था. बाद में इस ब्याज को 11 प्रतिशत कर दिया गया था. कस्टमर्स ने बताया कि उन्हें शुरुआत में ब्याज मिल रहा था लेकिन पिछले दो महीनों से उन्हें कोई ब्याज नहीं मिला है. 

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बंपर ड्रॉ 

सात दिन पहले टोरेस ने अपने यूट्यूब पेज पर एक वीडियो शेयर करते हुए घोषणा की थी कि वो 5 जनवरी से पहले निवेश करने वाले ग्राहकों को 11 प्रतिशत तक का ब्याज देंगे और इसके बाद ब्याज दर कम हो जाएगी. इसके साथ ही कंपनी कैश भुगदान पर 0.5 प्रतिशत का अधिक ब्याज देने का वादा कर रही थी और इस वजह से बहुत सारे लोग इसमें निवेश करने के लिए पहुंचे. इसके बाद 6 जनवरी को टोरेस के सभी स्टोरी बंद हो गए और निवेशकों को एहसास हुआ कि उनके साथ स्कैम हो गया है. 

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कौन हैं निवेशक

इनमें से ज़्यादातर निवेशक निम्न मध्यम वर्ग से हैं और इनमें सब्ज़ी बेचने वाले और छोटे व्यापारी शामिल हैं जिन्हें बड़े रिटर्न का लालच दिया गया था. इस योजना के तहत निवेश की गई रकम कुछ हजार रुपये से लेकर करोड़ों रुपये तक है. पुलिस में शिकायत दर्ज कराने वाले सात लोगों ने बताया है कि उन्होंने आपस में 13 करोड़ रुपये से ज्यादा का निवेश किया था. एक निवेशक ने एनडीटीवी को बताया कि उसकी दोस्त ने उसे इस स्कीम के बारे में बताया था. "हमने कुछ पेमेंट मिली थी. हम सरकार से पूछना चाहते हैं कि उसको टैक्स मिला है तो अब वो हमारी मदद क्यों नहीं कर रही है?"

यह पूछे जाने पर कि उन्हें इस योजना पर भरोसा क्यों हुआ, एक निवेशक ने कहा कि ब्रोशर में कंपनी के जीएसटी और सीआईएन नंबर थे. "मुझे लगा कि यह बहुत व्यवस्थित है, इसलिए सरकार को इसके बारे में पता होना चाहिए. मैं सरकार से अनुरोध करता हूं, हमें ब्याज नहीं चाहिए, लेकिन हमें हमारा पैसा वापस दे."

कंपनी ने किया ये दावा 

पिछले हफ़्ते, टोरेस के आधिकारिक यूट्यूब अकाउंट ने एक वीडियो अपलोड किया, जिसमें दावा किया गया कि "टोरेस के दो कर्मचारियों, सीईओ तौसीफ रेयाज और चीफ एनालिस्ट अभिषेक गुप्ता के नेतृत्व में, आज रात टीम में तख्तापलट का आयोजन किया गया और टोरेस स्टोर्स में लूटपाट की गई." इस वीडियो में देखा जा सकता है कि स्टोर को तोड़ा जा रहा है और पैसों को लूटा जा रहा है. वॉयसओवर में इन लोगों को रेयाज और गुप्ता का "साथी" बताया गया है. "पहले, हमें पता चला कि उन्होंने एक धोखाधड़ी योजना बनाई और कई महीनों तक व्यवस्थित रूप से कंपनी के पैसे हड़प लिए. इसके बाद उन्होंने अपने अपराध में अन्य कर्मचारियों को शामिल करने का फैसला किया."

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