उज्‍जैन रेप केस : पीड़िता की मदद के लिए सरकार ने किए थे तमाम वादे, पर मिले बस 1500 रुपये

पीड़ित का परिवार का आरोप है कि गांव में छुआछूत चरम पर है. पीड़ित अनुसूचित जाति के दोहर समुदाय से है. उसके भाई का कहना है कि इसी कारण गांव में सरपंच और शासन-प्रशासन ने उनकी तरफ पलटकर नहीं देखा.

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पीड़ित एक फूस की झोपड़ी में रहती और घर में अब भी मिट्टी का चूल्‍हा है.
भोपाल:

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के उज्जैन में महीने भर पहले खून से लथपथ और आधे कपड़ों में कई दरवाजों पर दस्तक देती मासूम की तस्वीर ने देश में हर किसी को झकझोर दिया था. आखिरकार पुलिस ने उज्‍जैन रेप केस (Ujjain Rape Case) में कार्रवाई की और रेप की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. अब लड़की की तबीयत ठीक है और वो अपने घर पहुंच चुकी है. हालांकि सरकारी वायदों के जख्‍म जस के तस हैं. एनडीटीवी की टीम उज्‍जैन से करीब 700 किमी दूर मासूम के घर पहुंची तो चौंकाने वाले तथ्‍य सामने आए हैं. 

उज्जैन में एक ऑटोरिक्शा चालक ने बीते 25 सितंबर को कथित तौर पर पीड़ित से बलात्कार किया. इसके बाद खून से लथपथ आधे कपड़ों में पीड़ित सड़कों पर मदद की गुहार लगाती रही. हालांकि कोई भी मदद के लिए आगे नहीं आया. बाद में एक संन्यासी ने उसकी मदद की और फिर पुलिस ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया.  इलाज के बाद वो 12 अक्टूबर को अपने घर चली गई. इस मामले में जब आरोपी पकड़ा गया तो सरकार ने बड़े-बड़े वायदे किए थे.  

मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह ने इस घटना को लेकर कहा था कि इस घटना ने मध्यप्रदेश की आत्मा को घायल किया है. वो मध्यप्रदेश की बेटी और हम हर तरह से उसकी चिंता करेंगे. उसका ख्याल रखेंगे. 

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फूस की झोपड़ी और मिट्टी का चूल्‍हा 

पीड़िता का घर सतना मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद है. इस वाकये को करीब एक महीना बीत चुका है, लेकिन शासन-प्रशासन के किसी अधिकारी ने उसके घर तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाई. पीड़ित एक फूस की झोपड़ी में रहती और घर में अब भी मिट्टी का चूल्‍हा है. बाहर जाने के नाम पर वह अपनी चाची के साथ करीब 300 मीटर दूर स्थित नल तक ही जाती है.  

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गांव में चरम पर है छुआछूत : पीड़ित परिवार

पीड़ित का परिवार का आरोप है कि गांव में छुआछूत चरम पर है. पीड़ित अनुसूचित जाति के दोहर समुदाय से है. उसके भाई का कहना है कि इसी कारण गांव में सरपंच और शासन-प्रशासन ने उनकी तरफ पलटकर नहीं देखा. गांव में करीब 700 वोटर हैं, जिसमें आधे अगड़ी जाती के हैं और आधे दलित. पीड़ित के भाई ने कहा कि हम नीच जाति के हैं, कोई बड़ी जाति के लोग होते तो हमारी सुनवाई होती. आंकड़े भी बताते हैं कि मध्‍य प्रदेश में दलितों की हालत बहुत बेहतर नहीं है. 

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दलितों के खिलाफ राष्‍ट्रीय औसत से अधिक अपराध 

मध्यप्रदेश में दलितों के खिलाफ अपराध राष्ट्रीय औसत से अधिक है. 2021 में देश में दलितों के खिलाफ अपराध के 50,000 हजार मामले सामने आए थे, वहीं अकेले मध्यप्रदेश में अपराध का यह आंकड़ा 7,211 था. 2021 में दलितों के खिलाफ देशभर में अपराध की दर 25.3 प्रतिशत थी, जबकि मध्यप्रदेश में ये दर 63.6 प्रतिशत के करीब थी. 

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बीजेपी उम्‍मीदवार ने की 1500 रुपये की मदद

पीड़ित का परिवार और उसके पड़ोसी बताते हैं कि उन्‍हें अब तक कोई बड़ी मदद नहीं मिली है. पीड़ित के घर लौटने के बाद सबसे बड़ी मदद इलाके के बीजेपी उम्मीदवार सुरेन्द्र सिंह गरेवार की ओर से मिली है. नेताजी हालचाल पूछने के लिए और 1500 रुपये की मदद दे गए, जिससे परिवार घर का राशन ला सके. 

सरकार से 600 रुपये की सामाजिक न्‍याय पेंशन 

परिवार ने सरकारी मदद के सवाल पर कहा कि उन्हें सरकार से जो इकलौती मदद मिली है वो है 600 रुपये की हर महीने की सामाजिक न्याय पेंशन है. ऐसा लगता है कि नारी सम्मान, लाडली लक्ष्मी, लाडली बहना और महिला आरक्षण जैसे जुमले पीड़िता के लिए शायद नहीं है. एक महीने पहले वो जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही थी, लेकिन अब वो सिस्टम की अनदेखी का शिकार है. 

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