शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बृहस्पतिवार को विश्वास व्यक्त किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के अध्यक्ष शरद पवार के पार्टी प्रमुख के रूप में पद छोड़ने के फैसले से महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को नुकसान नहीं होगा. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ठाकरे ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि वह ऐसा कुछ नहीं करेंगे जिससे विपक्ष की एकता को ठेस पहुंचे. ठाकरे ने कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन तानाशाही के खिलाफ हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘राकांपा के घटनाक्रम से एमवीए गठबंधन को कोई नुकसान नहीं होगा.'' उन्होंने हालांकि पवार के राकांपा प्रमुख का पद छोड़ने के फैसले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. शरद पवार ने मंगलवार को मुंबई में अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती' के अद्यतन संस्करण के विमोचन कार्यक्रम में राकांपा प्रमुख का पद छोड़ने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था. शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), राकांपा और कांग्रेस एमवीए में साझेदार हैं.
इस गठबंधन के नेतृत्व वाली सरकार ने नवंबर, 2019 से जून 2022 तक महाराष्ट्र में शासन किया था. प्रधानमंत्री मोदी को लेकर ठाकरे ने कहा, ‘‘मेरी लड़ाई किसी एक व्यक्ति से नहीं बल्कि तानाशाही वाली प्रवृत्ति से है. इसलिए तानाशाही को हराने के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेताओं और लोगों को एक साथ आना चाहिए.'' मोदी ने बुधवार को कर्नाटक के लोगों से कांग्रेस को “सजा” देने के लिए वोट देते समय ‘जय बजरंग बली' का नारा लगाने की अपील की थी.
ठाकरे ने कहा कि धर्म के नाम पर वोट मांगने को लेकर उनके पिता दिवंगत बाल ठाकरे के मतदान करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी कर्नाटक में ‘जय बजरंग बली' नारे का इस्तेमाल करके वोट मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हो सकता है कि चुनाव से संबंधित कानून अब बदल गए हों.” कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने का वादा किया है, जिसे लेकर भाजपा के नेता पार्टी के खिलाफ हमलावर रुख अपनाए हुए हैं.
नब्बे के दशक के अंत में एक सार्वजनिक रैली में “धर्म के नाम पर वोट मांगकर भ्रष्ट आचरण” में लिप्त पाए जाने के बाद बाल ठाकरे के मतदान करने पर छह साल का प्रतिबंध लगा दिया गया था. ठाकरे ने कहा, “यदि मोदी ‘जय बजरंग बली' कह रहे हैं, तो मैं भी कर्नाटक में रहने वाले मराठी भाषी लोगों से मतदान करते समय ‘छत्रपति शिवाजी महाराज की जय' या ‘जय शिवाजी' का नारा लगाने की अपील करता हूं.”
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